क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने यूईएफए नेशंस लीग फाइनल में पुर्तगाल को दिलाई जीत?

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8 जून 2025 को म्यूनिख के एलियांज एरेना में यूईएफए नेशंस लीग 2025 का फाइनल मुकाबला पुर्तगाल और स्पेन के बीच खेला गया। इस रोमांचक मैच में क्रिस्टियानो रोनाल्डो ने एक बार फिर साबित कर दिया कि क्यों उन्हें फुटबॉल का लीजेंड कहा जाता है। स्पेन ने शुरुआत में दबदबा बनाया और मार्टिन जुबिमेंडी ने 21वें मिनट में गोल करके अपनी टीम को 1-0 की बढ़त दिलाई। लेकिन पुर्तगाल ने हार नहीं मानी। सिर्फ पांच मिनट बाद, नूनो मेंडेस ने पेड्रो नेटो के पास पर शानदार गोल दागकर स्कोर 1-1 कर दिया। इसके बाद, स्पेन ने मिकेल ओयारजाबाल के गोल से हाफटाइम से पहले 2-1 की बढ़त हासिल कर ली। लेकिन दूसरे हाफ में रोनाल्डो ने 61वें मिनट में मेंडेस के क्रॉस पर शानदार वॉली मारकर स्कोर फिर से बराबर कर दिया। यह गोल न केवल मैच में पुर्तगाल को वापस लाया, बल्कि रोनाल्डो का अंतरराष्ट्रीय फाइनल में पहला गोल भी था। इस गोल ने उनके करियर की एक और उपलब्धि को चमकाया, क्योंकि वे पहले से ही 138 गोल के साथ अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी हैं। मैच 2-2 की बराबरी पर खत्म हुआ, और अतिरिक्त समय में भी कोई गोल नहीं हुआ। अंत में, पेनल्टी शूटआउट में पुर्तगाल ने 5-3 से जीत हासिल की, जिसमें डियोगो कोस्टा ने अल्वारो मोराटा की पेनल्टी बचाई और रूबेन नेवेस ने निर्णायक किक मारी। यह पुर्तगाल की नेशंस लीग में दूसरी जीत थी, और रोनाल्डो की अगुवाई में टीम ने एक बार फिर इतिहास रच दिया।

 पुर्तगाल बनाम स्पेन: एक रोमांचक फाइनल की कहानी?

पुर्तगाल और स्पेन के बीच यह फाइनल केवल दो टीमों का मुकाबला नहीं था, बल्कि यह दो फुटबॉल दिग्गजों—क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लामिने यामाल—के बीच एक पीढ़ीगत टकराव भी था। स्पेन ने शुरुआत में अपनी तेज-तर्रार और तकनीकी खेल शैली से पुर्तगाल को दबाव में रखा। लामिने यामाल और निको विलियम्स की जोड़ी ने पुर्तगाल की डिफेंस को कई बार परेशान किया। 21वें मिनट में यामाल के क्रॉस पर पुर्तगाल की डिफेंस ने गलती की, और जुबिमेंडी ने आसान गोल करके स्पेन को बढ़त दिलाई। लेकिन पुर्तगाल ने जल्द ही जवाब दिया। रोनाल्डो ने अपनी अनुभवी खेल शैली से पेड्रो नेटो को मौका दिया, और नूनो मेंडेस ने शानदार फिनिश के साथ स्कोर बराबर किया। हाफटाइम से ठीक पहले, ओयारजाबाल ने पेड्री के पास पर गोल करके स्पेन को फिर से आगे कर दिया। दूसरे हाफ में रोनाल्डो ने अपनी ताकत और अनुभव का इस्तेमाल करते हुए मार्क कुकुरेला को पछाड़कर बराबरी का गोल दागा। यह गोल रोनाल्डो के लिए खास था, क्योंकि यह उनका पहला अंतरराष्ट्रीय फाइनल गोल था। अतिरिक्त समय में दोनों टीमें गोल करने में नाकाम रहीं, लेकिन पुर्तगाल ने पेनल्टी शूटआउट में अपनी ताकत दिखाई। डियोगो कोस्टा की शानदार गोलकीपिंग और नेवेस की निर्णायक किक ने पुर्तगाल को चैंपियन बनाया। यह मुकाबला न केवल फुटबॉल का रोमांच था, बल्कि दो पड़ोसी देशों की ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता का भी प्रतीक था।

 क्रिस्टियानो रोनाल्डो: उम्र केवल एक नंबर है?

40 साल की उम्र में भी क्रिस्टियानो रोनाल्डो का जादू बरकरार है। इस फाइनल में उन्होंने एक बार फिर दिखाया कि उम्र उनके लिए सिर्फ एक नंबर है। रोनाल्डो ने न केवल बराबरी का गोल किया, बल्कि पूरे मैच में अपनी मौजूदगी से स्पेन की डिफेंस को परेशान रखा। उनकी फिटनेस, जुनून और गोल करने की भूख आज भी युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है। इस नेशंस लीग में रोनाल्डो ने नौ मैचों में आठ गोल किए, जो स्वीडन के विक्टर जायोकेरेस के नौ गोल से सिर्फ एक कम है। रोनाल्डो के 219 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 138 गोल का रिकॉर्ड उन्हें फुटबॉल इतिहास का सबसे बड़ा गोलस्कोरर बनाता है। इस फाइनल में, हालांकि, उन्हें क्रैंप की वजह से सामान्य समय के अंत में बाहर जाना पड़ा, लेकिन उनकी मौजूदगी ने पुर्तगाल की टीम को प्रेरित किया। रोनाल्डो की कप्तानी और अनुभव ने युवा खिलाड़ियों जैसे जोआओ फेलिक्स, विटिन्हा और राफेल लियाओ को और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। पुर्तगाल के कोच रॉबर्टो मार्टिनेज ने भी रोनाल्डो की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी “विजेता मानसिकता” ने टीम को मुश्किल हालात में जीत दिलाई। यह गोल और जीत रोनाल्डो के करियर में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ता है, और यह साबित करता है कि वह अभी भी फुटबॉल की दुनिया में एक ताकत हैं।

 नूनो मेंडेस: पुर्तगाल का उभरता सितारा?

नूनो मेंडेस इस फाइनल में पुर्तगाल के लिए एक गेम-चेंजर साबित हुए। उन्होंने न केवल पहला गोल दागा, बल्कि रोनाल्डो के बराबरी के गोल में भी अहम भूमिका निभाई। मेंडेस ने अपनी तेजी और तकनीक से स्पेन के स्टार लामिने यामाल को पूरी तरह से काबू में रखा। 21वें मिनट में जब स्पेन ने बढ़त बनाई, तो मेंडेस ने सिर्फ पांच मिनट बाद शानदार गोल करके पुर्तगाल को बराबरी दिलाई। उनकी यह क्षमता कि वे बड़े मौकों पर चमक सकते हैं, ने उन्हें यूईएफए द्वारा मैन ऑफ द मैच का खिताब दिलाया। मेंडेस ने हाल ही में पेरिस सेंट-जर्मेन के साथ चैंपियंस लीग जीती थी, और इस फाइनल में भी उनकी फॉर्म बरकरार रही। पेनल्टी शूटआउट में भी मेंडेस ने अपनी किक को गोल में बदला, जिससे पुर्तगाल की जीत और पक्की हो गई। मेंडेस की यह परफॉर्मेंस दिखाती है कि पुर्तगाल की नई पीढ़ी अब रोनाल्डो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। उनके खेल ने यह भी साबित किया कि पुर्तगाल की टीम अब केवल रोनाल्डो पर निर्भर नहीं है, बल्कि उनके पास कई युवा सितारे हैं जो भविष्य में भी बड़े टूर्नामेंट्स में चमक सकते हैं।

 पेनल्टी शूटआउट: पुर्तगाल की जीत का निर्णायक क्षण?

नेशंस लीग फाइनल का सबसे रोमांचक पल था पेनल्टी शूटआउट। 120 मिनट के खेल के बाद स्कोर 2-2 था, और अब फैसला पेनल्टियों पर होना था। पुर्तगाल और स्पेन, दोनों ने अपनी पहली तीन पेनल्टियां आसानी से गोल में बदलीं। गोंसालो रामोस, विटिन्हा और ब्रूनो फर्नांडेस ने पुर्तगाल के लिए शानदार किक्स लगाईं, जबकि स्पेन की तरफ से भी शुरुआती किक्स सटीक थीं। लेकिन चौथी पेनल्टी में डियोगो कोस्टा ने अल्वारो मोराटा की किक को रोककर पुर्तगाल को बढ़त दिलाई। इसके बाद, रूबेन नेवेस ने शांत मन से अपनी किक को गोल में बदला, और पुर्तगाल ने 5-3 से जीत हासिल की। इस पल ने पूरे स्टेडियम में उत्साह की लहर दौड़ा दी, और रोनाल्डो समेत पूरी टीम मैदान पर खुशी से झूम उठी। कोस्टा की गोलकीपिंग और नेवेस की सटीकता ने पुर्तगाल को नेशंस लीग का दूसरा खिताब दिलाया। यह जीत पुर्तगाल के लिए ऐतिहासिक थी, क्योंकि वे इस टूर्नामेंट को दो बार जीतने वाली पहली टीम बन गए। इस शूटआउट ने एक बार फिर साबित किया कि बड़े मैचों में छोटे-छोटे पल कितने अहम हो सकते हैं।

 स्पेन की रणनीति और लामिने यामाल की भूमिका?

स्पेन ने इस फाइनल में अपनी तकनीकी और आक्रामक खेल शैली से शुरुआत में दबदबा बनाया। 17 साल के लामिने यामाल, जो इस टूर्नामेंट में स्पेन के लिए एक सनसनी बनकर उभरे थे, ने पुर्तगाल की डिफेंस को कई बार परेशान किया। यामाल ने सेमीफाइनल में फ्रांस के खिलाफ दो गोल किए थे, और उनकी तेजी और ड्रिबलिंग इस फाइनल में भी चर्चा का विषय थी। 21वें मिनट में उनके क्रॉस ने जुबिमेंडी के लिए गोल का मौका बनाया, जिसे उन्होंने भुनाया। हालांकि, दूसरे हाफ में नूनो मेंडेस ने यामाल को अच्छी तरह से काबू में रखा, जिससे उनकी चमक थोड़ी फीकी पड़ गई। स्पेन के कोच लुइस डे ला फुएंते ने यामाल और निको विलियम्स की जोड़ी पर भरोसा जताया, लेकिन पुर्तगाल की मजबूत डिफेंस ने उनके प्रयासों को नाकाम कर दिया। ओयारजाबाल का गोल स्पेन के लिए एक और हाइलाइट था, लेकिन पेनल्टी शूटआउट में मोराटा की गलती ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। स्पेन की रणनीति तेज पासिंग और विंग्स के जरिए आक्रमण करने की थी, लेकिन पुर्तगाल की अनुभवी और युवा खिलाड़ियों की जोड़ी ने उनके प्लान को नाकाम कर दिया।

 रोनाल्डो बनाम यामाल: पुरानी और नई पीढ़ी का टकराव?

इस फाइनल को कई लोग रोनाल्डो और यामाल के बीच एक पीढ़ीगत टकराव के रूप में देख रहे थे। 40 साल के रोनाल्डो, जो फुटबॉल के सबसे बड़े सितारे हैं, और 17 साल के यामाल, जो भविष्य के सुपरस्टार माने जा रहे हैं, इस मैच में एक-दूसरे के सामने थे। रोनाल्डो ने अपनी अनुभवी खेल शैली से यामाल को शुरुआती मिनटों में ही चेतावनी दी, जब उन्होंने गेंद छीनकर पुर्तगाल को आक्रमण का मौका दिया। दूसरी तरफ, यामाल ने अपनी तेजी और ड्रिबलिंग से पुर्तगाल की डिफेंस को कई बार परेशान किया। यह मुकाबला न केवल दो खिलाड़ियों का था, बल्कि दो अलग-अलग फुटबॉल युगों का भी प्रतीक था। रोनाल्डो ने जहां अनुभव और ताकत का इस्तेमाल किया, वहीं यामाल ने अपनी युवा ऊर्जा और तकनीक से प्रभावित किया। हालांकि, इस फाइनल में रोनाल्डो का अनुभव भारी पड़ा, क्योंकि उनका गोल और पुर्तगाल की जीत ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। यामाल ने भी दिखाया कि वह भविष्य में फुटबॉल की दुनिया में बड़ा नाम बन सकते हैं। यह टकराव फुटबॉल प्रशंसकों के लिए एक यादगार पल था, जो पुरानी और नई पीढ़ी के बीच का मिश्रण दर्शाता है।

 पुर्तगाल की टीम: रोनाल्डो के साथ नई ताकत?

पुर्तगाल की इस जीत में रोनाल्डो का योगदान तो अहम था ही, लेकिन यह जीत केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरी टीम की मेहनत का नतीजा थी। नूनो मेंडेस, राफेल लियाओ, जोआओ फेलिक्स, विटिन्हा और रूबेन डियास जैसे खिलाड़ियों ने इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। कोच रॉबर्टो मार्टिनेज ने एक संतुलित टीम बनाई, जिसमें अनुभव और युवा जोश का सही मिश्रण था। मेंडेस ने इस फाइनल में न केवल गोल किया, बल्कि रोनाल्डो के गोल में भी अहम भूमिका निभाई। डियोगो कोस्टा की गोलकीपिंग ने पेनल्टी शूटआउट में जीत सुनिश्चित की, जबकि रूबेन नेवेस ने निर्णायक किक मारकर इतिहास रच दिया। पुर्तगाल की यह टीम अब केवल रोनाल्डो पर निर्भर नहीं है, बल्कि उनके पास कई युवा सितारे हैं जो भविष्य में और भी बड़े टूर्नामेंट्स जीत सकते हैं। यह जीत पुर्तगाल के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहां वे अपनी पुरानी ताकत को नए चेहरों के साथ जोड़ रहे हैं।

 नेशंस लीग का महत्व: क्या यह वाकई मायने रखता है?

यूईएफए नेशंस लीग को अक्सर फुटबॉल प्रशंसकों के बीच एक “दूसरे दर्जे” का टूर्नामेंट माना जाता है, लेकिन इस फाइनल ने साबित कर दिया कि यह प्रतियोगिता कितनी रोमांचक और महत्वपूर्ण हो सकती है। पुर्तगाल और स्पेन जैसे दो बड़े देशों के बीच यह फाइनल केवल एक ट्रॉफी के लिए नहीं था, बल्कि यह दो पड़ोसी देशों की ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता को भी दर्शाता था। पुर्तगाल ने 2019 में इस टूर्नामेंट का पहला संस्करण जीता था, और अब 2025 में दूसरी बार खिताब जीतकर उन्होंने इतिहास रच दिया। यह टूर्नामेंट न केवल बड़े खिलाड़ियों को चमकने का मौका देता है, बल्कि युवा सितारों जैसे लामिने यामाल और नूनो मेंडेस को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच प्रदान करता है। नेशंस लीग ने फुटबॉल को और प्रतिस्पर्धी बनाया है, और यह फाइनल इसका जीता-जागता सबूत था। रोनाल्डो जैसे दिग्गज और यामाल जैसे युवा सितारों की मौजूदगी ने इस टूर्नामेंट को और भी आकर्षक बना दिया।

भविष्य की ओर: पुर्तगाल और स्पेन का अगला कदम?

इस फाइनल के बाद पुर्तगाल और स्पेन दोनों ही भविष्य की ओर देख रहे हैं। पुर्तगाल ने इस जीत के साथ साबित कर दिया कि उनकी टीम अब केवल रोनाल्डो पर निर्भर नहीं है, बल्कि उनके पास एक मजबूत और संतुलित स्क्वॉड है। नूनो मेंडेस, राफेल लियाओ और जोआओ फेलिक्स जैसे खिलाड़ी भविष्य में पुर्तगाल को और भी ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। दूसरी तरफ, स्पेन की हार के बावजूद उनकी युवा टीम ने दिखाया कि वे आने वाले समय में और भी मजबूत होकर वापस आएंगे। लामिने यामाल और निको विलियम्स जैसे खिलाड़ी पहले ही दुनिया भर में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। स्पेन के कोच लुइस डे ला फुएंते ने हार के बाद कहा कि उनकी टीम अब वर्ल्ड कप पर ध्यान देगी। यह फाइनल दोनों देशों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जहां पुरानी और नई पीढ़ी मिलकर फुटबॉल के भविष्य को आकार दे रही है। रोनाल्डो और यामाल जैसे खिलाड़ियों ने इस फाइनल में साबित किया कि फुटबॉल का रोमांच कभी खत्म नहीं होता, चाहे वह अनुभव हो या युवा जोश।

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