रात की इस एक आदत को बदलकर कैंसर का खतरा कम करें?

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क्या आप जानते हैं कि आपकी रात की दिनचर्या में एक छोटा सा बदलाव आपके कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है? आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, हमारी जीवनशैली और आदतें हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं। हाल ही में हुए शोध और विशेषज्ञों की राय के अनुसार, रात में नींद से पहले स्क्रीन टाइम को कम करना आपके शरीर की आंतरिक घड़ी को संतुलित रखने में मदद कर सकता है। यह न केवल आपकी नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को भी कम करता है। हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, रात में नीली रोशनी (ब्लू लाइट) के संपर्क में आने से मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन प्रभावित होता है, जो कैंसर से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डॉ. किरण कमलासनन, अपोलो कैंसर सेंटर, गुवाहाटी में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के सलाहकार, बताते हैं कि नीली रोशनी हमारे दिमाग को यह संदेश देती है कि अभी दिन है, जिससे मेलाटोनिन का स्राव देरी से होता है। मेलाटोनिन न केवल नींद के लिए जरूरी है, बल्कि यह हमारे शरीर की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी मदद करता है। अगर आप रात में देर तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी देखते हैं, तो यह आपके शरीर की प्राकृतिक लय को बिगाड़ सकता है। इससे कैंसर कोशिकाओं के विकास का खतरा बढ़ सकता है, क्योंकि मेलाटोनिन ट्यूमर के विकास को दबाने में मदद करता है।

इसके अलावा, नींद की कमी और अनियमित नींद का पैटर्न भी कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। उदाहरण के लिए, यह तनाव, थकान और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। नियमित और अच्छी नींद आपके शरीर को रात में ठीक होने और खुद को रिचार्ज करने का मौका देती है। इसलिए, अगर आप रात में स्क्रीन टाइम को कम करते हैं और एक नियमित नींद की दिनचर्या अपनाते हैं, तो आप न केवल अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएंगे, बल्कि कैंसर जैसे गंभीर रोगों से भी बचाव कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे छोटे-छोटे बदलाव आपकी रात की दिनचर्या में क्रांति ला सकते हैं और आपके स्वास्थ्य को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।

नीली रोशनी क्या है और यह क्यों खतरनाक है?

नीली रोशनी वह प्रकाश है जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन से निकलता है। यह रोशनी हमारे दिमाग और शरीर पर गहरा प्रभाव डालती है, खासकर रात के समय। जब हम रात में इन उपकरणों का उपयोग करते हैं, तो नीली रोशनी हमारे दिमाग को यह संदेश देती है कि अभी दिन का समय है। इससे हमारी सर्कैडियन रिदम, यानी शरीर की आंतरिक घड़ी, गड़बड़ा जाती है। सर्कैडियन रिदम हमारे नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करती है, और इसका असंतुलन कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को रोकती है। मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है जो रात में हमारे शरीर को नींद के लिए तैयार करता है और कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करता है। जब यह हार्मोन कम बनता है, तो हमारे शरीर की कैंसर से लड़ने की क्षमता कमजोर हो सकती है। शोध बताते हैं कि नीली रोशनी के लगातार संपर्क में रहने से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर जैसे रोगों का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, नीली रोशनी आंखों पर भी बुरा असर डालती है, जिससे आंखों में थकान, सूखापन और लंबे समय में दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

नीली रोशनी का प्रभाव केवल नींद तक सीमित नहीं है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य, हार्मोनल संतुलन और यहां तक कि मेटाबॉलिज्म को भी प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, अनियमित नींद के कारण वजन बढ़ना, मधुमेह और हृदय रोगों का जोखिम भी बढ़ सकता है। इसलिए, रात में नीली रोशनी के संपर्क को कम करना एक आसान लेकिन प्रभावी कदम है जो आपके स्वास्थ्य को कई स्तरों पर बेहतर बना सकता है। आप अपने डिवाइस में ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग कर सकते हैं, रात में स्क्रीन टाइम को सीमित कर सकते हैं, और गर्म रोशनी वाले बल्ब का इस्तेमाल कर सकते हैं।

मेलाटोनिन: कैंसर से लड़ने वाला हार्मोन?

मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है जो हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से बनता है और नींद को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हार्मोन पीनियल ग्रंथि में बनता है और रात के अंधेरे में इसका उत्पादन बढ़ता है। मेलाटोनिन न केवल हमें अच्छी नींद दिलाने में मदद करता है, बल्कि यह हमारी कोशिकाओं को स्वस्थ रखने और कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में भी सहायक होता है। शोध बताते हैं कि मेलाटोनिन ट्यूमर के विकास को रोकने में मदद करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।

जब हम रात में नीली रोशनी के संपर्क में आते हैं, तो मेलाटोनिन का उत्पादन कम हो जाता है। इससे न केवल हमारी नींद खराब होती है, बल्कि शरीर की प्राकृतिक मरम्मत प्रक्रिया भी बाधित होती है। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि मेलाटोनिन की कमी से कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि हो सकती है, जो कैंसर का कारण बन सकती है। उदाहरण के लिए, ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के कई मामलों में मेलाटोनिन की कमी को एक जोखिम कारक के रूप में देखा गया है।

इसके अलावा, मेलाटोनिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी है, जो हमारे शरीर को हानिकारक फ्री रेडिकल्स से बचाता है। फ्री रेडिकल्स वे अणु हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कैंसर के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। नियमित और पर्याप्त नींद के माध्यम से मेलाटोनिन का स्तर बनाए रखना आपके स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक रक्षा तंत्र की तरह काम करता है। इसलिए, रात में स्क्रीन टाइम को कम करके और एक नियमित नींद की दिनचर्या अपनाकर आप अपने शरीर को मेलाटोनिन के लाभों का पूरा फायदा उठाने में मदद कर सकते हैं।

रात की दिनचर्या में क्या बदलाव करें?

रात की दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव करके आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। सबसे पहला और महत्वपूर्ण कदम है स्क्रीन टाइम को कम करना। रात में सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्मार्टफोन, लैपटॉप और टीवी का उपयोग बंद कर दें। इसके बजाय, आप कोई किताब पढ़ सकते हैं, ध्यान कर सकते हैं, या हल्की सैर कर सकते हैं। ये गतिविधियां आपके दिमाग को शांत करने और नींद के लिए तैयार करने में मदद करती हैं।

दूसरा, अपने कमरे को नींद के लिए अनुकूल बनाएं। कमरे में गर्म और मंद रोशनी का उपयोग करें, क्योंकि तेज रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को रोक सकती है। आप ब्लू लाइट फिल्टर चश्मे का उपयोग भी कर सकते हैं, जो नीली रोशनी के प्रभाव को कम करते हैं। तीसरा, एक नियमित नींद का समय निर्धारित करें। हर रात एक ही समय पर सोने और सुबह एक ही समय पर जागने की कोशिश करें। इससे आपकी सर्कैडियन रिदम संतुलित रहती है।

इसके अलावा, रात में भारी भोजन और कैफीन से बचें। कैफीन नींद को बाधित कर सकता है, और भारी भोजन पाचन तंत्र पर दबाव डालता है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है। हल्का और पौष्टिक भोजन, जैसे फल, सब्जियां और हर्बल चाय, आपके शरीर को रात में आराम करने में मदद करेगा। इन छोटे बदलावों को अपनाकर आप न केवल अपनी नींद को बेहतर बनाएंगे, बल्कि अपने शरीर को कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए भी तैयार करेंगे।

नींद और कैंसर के बीच संबंध?

नींद और कैंसर के बीच गहरा संबंध है, जिसे अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। अच्छी नींद न केवल आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि यह आपके शरीर को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने की ताकत भी देती है। जब हम पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लेते हैं, तो हमारा शरीर रात में अपनी मरम्मत और पुनर्जनन की प्रक्रिया को पूरा करता है। इस दौरान, हमारी कोशिकाएं ठीक होती हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।

नींद की कमी या अनियमित नींद का पैटर्न इस प्रक्रिया को बाधित करता है। उदाहरण के लिए, रात में देर तक जागने या बार-बार नींद टूटने से मेलाटोनिन का उत्पादन कम हो सकता है, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। शोध बताते हैं कि जो लोग रात में नियमित रूप से कम नींद लेते हैं या नाइट शिफ्ट में काम करते हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा अधिक होता है। इसका कारण यह है कि नींद की कमी सर्कैडियन रिदम को बिगाड़ देती है, जिससे हार्मोनल असंतुलन और कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि हो सकती है।

इसके अलावा, नींद की कमी तनाव को बढ़ाती है, जो कैंसर के विकास में एक और जोखिम कारक है। तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल को बढ़ाता है, जो शरीर में सूजन को बढ़ावा दे सकता है। सूजन लंबे समय तक रहने पर कैंसर कोशिकाओं के विकास को प्रोत्साहित कर सकती है। इसलिए, एक नियमित और पर्याप्त नींद की दिनचर्या अपनाना आपके स्वास्थ्य के लिए एक निवेश की तरह है। यह न केवल आपको तरोताजा रखता है, बल्कि आपके शरीर को कैंसर जैसे खतरों से बचाने में भी मदद करता है।

ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग कैसे करें?

आजकल, हमारे ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में ब्लू लाइट फिल्टर की सुविधा उपलब्ध होती है, जो नीली रोशनी के प्रभाव को कम करने में मदद करती है। ब्लू लाइट फिल्टर आपके डिवाइस की स्क्रीन को एक गर्म, पीले रंग की टोन देता है, जो आंखों पर कम दबाव डालता है और मेलाटोनिन के उत्पादन को प्रभावित होने से बचाता है। अगर आप रात में अपने फोन या लैपटॉप का उपयोग करना चाहते हैं, तो इस फीचर को चालू करना एक आसान और प्रभावी तरीका है।

अधिकांश स्मार्टफोन्स में, आप सेटिंग्स में जाकर “डिस्प्ले” या “स्क्रीन” विकल्प में ब्लू लाइट फिल्टर को सक्रिय कर सकते हैं। कुछ डिवाइस में इसे “नाइट मोड” या “आई कम्फर्ट” के नाम से भी जाना जाता है। आप इस फिल्टर को रात के समय स्वचालित रूप से चालू होने के लिए सेट कर सकते हैं, ताकि आपको हर बार मैन्युअल रूप से इसे चालू न करना पड़े। इसके अलावा, ब्लू लाइट ब्लॉकिंग चश्मे भी एक अच्छा विकल्प हैं, जो नीली रोशनी को फिल्टर करते हैं और आंखों को आराम देते हैं।

ब्लू लाइट फिल्टर का उपयोग करने से न केवल आपकी नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि यह आपके आंखों के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। लंबे समय तक नीली रोशनी के संपर्क में रहने से आंखों में थकान, सूखापन और यहां तक कि दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, अगर आप रात में डिवाइस का उपयोग करना चाहते हैं, तो ब्लू लाइट फिल्टर को जरूर आजमाएं। यह एक छोटा सा कदम है, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़े हो सकते हैं।

स्वस्थ नींद के लिए अन्य टिप्स?

स्वस्थ नींद के लिए स्क्रीन टाइम कम करना तो एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य आदतें हैं जो आपकी नींद को बेहतर बना सकती हैं। पहला, अपने बेडरूम को नींद के लिए अनुकूल बनाएं। बेडरूम में मंद और गर्म रोशनी का उपयोग करें, क्योंकि तेज रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को रोक सकती है। इसके अलावा, अपने बेड को आरामदायक और साफ रखें, ताकि आपको सोते समय किसी तरह की असुविधा न हो।

दूसरा, रात में भारी भोजन और कैफीन से बचें। कैफीन युक्त पेय, जैसे कॉफी, चाय या एनर्जी ड्रिंक्स, नींद को बाधित कर सकते हैं। इसके बजाय, आप हर्बल चाय, जैसे कैमोमाइल या पेपरमिंट चाय, पी सकते हैं, जो आपके दिमाग को शांत करने में मदद करती हैं। तीसरा, रात में हल्का व्यायाम या ध्यान करें। योग, गहरी सांस लेने के व्यायाम या मेडिटेशन आपके तनाव को कम कर सकते हैं और नींद को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

चौथा, एक नियमित नींद का समय निर्धारित करें। हर रात एक ही समय पर सोने और सुबह एक ही समय पर जागने की कोशिश करें। इससे आपकी सर्कैडियन रिदम संतुलित रहती है और आपका शरीर एक नियमित पैटर्न में ढल जाता है। इसके अलावा, रात में शोर और अन्य बाहरी हस्तक्षेप को कम करने के लिए इयरप्लग या व्हाइट नॉइज़ मशीन का उपयोग करें। इन सभी छोटे-छोटे बदलावों को अपनाकर आप अपनी नींद की गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।

कैंसर के अन्य जोखिम कारक?

हालांकि नींद की कमी और नीली रोशनी का संपर्क कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य कारक हैं जो कैंसर के खतरे को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन कैंसर के प्रमुख जोखिम कारकों में से हैं। धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर के साथ-साथ मुंह, गले और पेट के कैंसर का कारण बन सकता है। इसी तरह, शराब का अधिक सेवन लिवर, ब्रेस्ट और कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है।

इसके अलावा, अस्वास्थ्यकर आहार भी कैंसर का एक बड़ा कारण हो सकता है। प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट और उच्च चीनी युक्त खाद्य पदार्थ कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। इसके विपरीत, फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार कैंसर के खतरे को कम करने में मदद करता है। मोटापा भी कैंसर का एक प्रमुख जोखिम कारक है, क्योंकि यह हार्मोनल असंतुलन और शरीर में सूजन को बढ़ावा देता है। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखना कैंसर से बचाव का एक प्रभावी तरीका है।

इसके अतिरिक्त, तनाव और अनियमित जीवनशैली भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल को बढ़ाता है, जो शरीर में सूजन को प्रोत्साहित करता है। इसलिए, तनाव प्रबंधन के लिए मेडिटेशन, योग और अन्य रिलैक्सेशन तकनीकों को अपनाना महत्वपूर्ण है। नियमित स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग भी कैंसर के शुरुआती चरण में पता लगाने में मदद करती हैं, जिससे उपचार की संभावना बढ़ जाती है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखकर एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आपके स्वास्थ्य के लिए एक दीर्घकालिक निवेश है।

नियमित स्क्रीनिंग का महत्व?

कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के साथ-साथ नियमित स्क्रीनिंग भी बहुत महत्वपूर्ण है। कैंसर का शुरुआती चरण में पता लगना उपचार की सफलता की संभावना को काफी हद तक बढ़ा देता है। उदाहरण के लिए, ब्रेस्ट कैंसर के लिए नियमित मैमोग्राम, कोलोरेक्टल कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी, और सर्वाइकल कैंसर के लिए पैप स्मीयर टेस्ट बहुत प्रभावी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं और पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को नियमित स्क्रीनिंग करानी चाहिए।

भारत में, राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम जैसे पहल स्क्रीनिंग की पहुंच और जागरूकता को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। नियमित स्क्रीनिंग न केवल कैंसर का जल्दी पता लगाने में मदद करती है, बल्कि यह आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी रखती है। अगर आपको अपने शरीर में कोई असामान्य बदलाव, जैसे गांठ, असामान्य रक्तस्राव, या लगातार दर्द, दिखाई दे, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

स्क्रीनिंग के साथ-साथ, जेनेटिक काउंसलिंग भी उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकती है जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है। यह आपको आपके जोखिम को समझने और उचित निवारक उपाय अपनाने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, कुछ जेनेटिक म्यूटेशन, जैसे BRCA1 और BRCA2, ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। जेनेटिक काउंसलिंग के माध्यम से आप इन जोखिमों को समझ सकते हैं और अपने स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल कर सकते हैं। नियमित स्क्रीनिंग और स्वस्थ जीवनशैली का संयोजन आपके कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकता है।

स्वस्थ जीवनशैली के लिए अतिरिक्त सुझाव?

कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए नींद के साथ-साथ एक समग्र स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है। पहला, अपने आहार को बेहतर बनाएं। अपने भोजन में रंग-बिरंगे फल और सब्जियां शामिल करें, जैसे पालक, गाजर, टमाटर, और बेरीज। ये खाद्य पदार्थ एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो कैंसर के जोखिम को कम करते हैं। प्रोसेस्ड फूड, रेड मीट और उच्च चीनी युक्त खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि ये कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।

दूसरा, नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सप्ताह में 150 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि, जैसे तेज चलना, योग, या साइकिल चलाना, आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। व्यायाम न केवल वजन नियंत्रित करता है, बल्कि यह सूजन को कम करता है और हार्मोनल संतुलन को बनाए रखता है। तीसरा, धूम्रपान और शराब से पूरी तरह बचें। ये दोनों आदतें कैंसर के प्रमुख जोखिम कारक हैं और इनका त्याग आपके स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है।

चौथा, तनाव प्रबंधन पर ध्यान दें। तनाव न केवल आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकता है। मेडिटेशन, गहरी सांस लेने के व्यायाम, और समय-समय पर छुट्टियां लेना आपके तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, नियमित स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण, जैसे हेपेटाइटिस बी और एचपीवी वैक्सीन, कैंसर के कुछ प्रकारों से बचाव में मदद करते हैं। इन सभी सुझावों को अपनाकर आप एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकते हैं, जो कैंसर के जोखिम को कम करने में मददगार होगा।

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