आजकल हवाई यात्रा करना जितना सुविधाजनक है, उतना ही यह महंगा भी हो सकता है, खासकर जब बात सामान के शुल्क की आती है। पहले के समय में, जब आप हवाई जहाज का टिकट खरीदते थे, तो उसमें सामान, सीट चुनने की सुविधा, और खाना-पीना सब शामिल होता था। लेकिन अब, अधिकांश एयरलाइंस ने अपनी नीतियों को बदल दिया है और सामान के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। 2025 में, वैश्विक स्तर पर एयरलाइंस ने सामान, सीट चयन, वाई-फाई, और अन्य सुविधाओं के लिए 145 बिलियन डॉलर की कमाई की, जो कि उनकी कुल आय का 14% है। यह आंकड़ा इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने दिया है, जो एयरलाइन उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है।
लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है? इसका जवाब है—लो-कॉस्ट एयरलाइंस। पहले, लो-कॉस्ट एयरलाइंस जैसे इंडिगो या रायनएयर ने सस्ते टिकट की पेशकश की, लेकिन सामान और अन्य सुविधाओं के लिए अलग से पैसे वसूले। इससे उनकी टिकट की कीमतें कम दिखती थीं, जिसने यात्रियों को आकर्षित किया। धीरे-धीरे, पारंपरिक एयरलाइंस जैसे लुफ्थांसा या ब्रिटिश एयरवेज को भी इस रणनीति को अपनाना पड़ा ताकि वे प्रतिस्पर्धा में बने रहें। लेकिन इसका असर यात्रियों पर पड़ा, जो अब हर छोटी-छोटी चीज के लिए अतिरिक्त भुगतान कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपका बैग वजन सीमा से थोड़ा भी ज्यादा हुआ, तो आपको हवाई अड्डे पर भारी शुल्क देना पड़ सकता है। यह यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
इसके अलावा, कुछ नियम भी हैं जो यात्रियों की मदद कर सकते हैं। जैसे, यूरोपीय संघ में 2014 में एक नियम बनाया गया था, जिसमें कहा गया कि अगर आपका हैंड बैग वजन और आकार की उचित सीमा में है और सुरक्षा नियमों का पालन करता है, तो इसके लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता। लेकिन कई एयरलाइंस इस नियम को पूरी तरह लागू नहीं करतीं, जिससे यात्रियों को भ्रम होता है। भारत में भी, डीजीसीए (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन) ने सामान के लिए कुछ नियम बनाए हैं, लेकिन कई बार यात्री इनके बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि आप इन शुल्कों से कैसे बच सकते हैं और अपनी हवाई यात्रा को और सस्ता और सुविधाजनक बना सकते हैं।
लो-कॉस्ट एयरलाइंस ने कैसे बदला खेल?
लो-कॉस्ट एयरलाइंस ने हवाई यात्रा के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है। 90 के दशक में, जब लो-कॉस्ट एयरलाइंस जैसे इंडिगो, स्पाइसजेट, और ग्लोबल स्तर पर रायनएयर या ईजीजेट जैसी कंपनियां सामने आईं, तो उन्होंने एक नया मॉडल पेश किया। इस मॉडल में टिकट की कीमत को बहुत कम रखा जाता था, लेकिन बाकी सभी सुविधाओं—जैसे सामान, सीट चयन, खाना, और वाई-फाई—के लिए अलग से पैसे लिए जाते थे। इससे यात्रियों को लगता था कि वे सस्ते में यात्रा कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में, अगर आप इन अतिरिक्त सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो कुल खर्चा पारंपरिक एयरलाइंस जैसा ही हो जाता है।
इस रणनीति ने लो-कॉस्ट एयरलाइंस को बहुत फायदा पहुंचाया। वे कम कीमतों के कारण ज्यादा यात्रियों को आकर्षित कर पाए, और उनकी आय का बड़ा हिस्सा इन अतिरिक्त शुल्कों से आने लगा। उदाहरण के लिए, अगर आप इंडिगो से दिल्ली से मुंबई की फ्लाइट लेते हैं, तो टिकट की कीमत शायद 3,000 रुपये दिखे, लेकिन अगर आप 20 किलो का सामान ले जाना चाहते हैं, तो आपको 1,500 रुपये अतिरिक्त देने पड़ सकते हैं। इसी तरह, अगर आप अपनी पसंद की सीट चुनना चाहते हैं, तो इसके लिए भी 200-500 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लग सकता है।
पारंपरिक एयरलाइंस को यह रणनीति अपनाने में समय लगा, लेकिन जब उन्हें लगा कि वे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं, तो उन्होंने भी इस मॉडल को अपनाना शुरू कर दिया। आज, ज्यादातर बड़ी एयरलाइंस, जैसे एयर इंडिया या ब्रिटिश एयरवेज, भी सामान और अन्य सुविधाओं के लिए अलग से शुल्क लेती हैं। इससे उनकी आय तो बढ़ी, लेकिन यात्रियों को लगने लगा कि उन्हें हर चीज के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। कई बार, यात्री हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद ही पता चलता है कि उनका सामान वजन सीमा से ज्यादा है, और उन्हें हजारों रुपये अतिरिक्त देने पड़ते हैं। यह न केवल परेशानी भरा है, बल्कि यात्रियों का विश्वास भी कम करता है।
सामान शुल्क से कैसे बचें?
सामान शुल्क से बचना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बस आपको थोड़ी समझदारी और पहले से प्लानिंग करनी होगी। सबसे पहला और आसान तरीका है कि आप केवल हैंड बैग के साथ यात्रा करें। ज्यादातर एयरलाइंस, खासकर भारत में, 7-8 किलो तक का हैंड बैग मुफ्त में ले जाने की अनुमति देती हैं। अगर आपका सामान इस वजन और आकार की सीमा में है, तो आपको कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा। लेकिन इसके लिए आपको अपने सामान को सावधानी से पैक करना होगा। हल्के कपड़े, जरूरी सामान, और मल्टीपर्पस चीजें ले जाएं, जैसे एक जैकेट जो कई मौसम में काम आ सके।
दूसरा, टिकट बुक करते समय हमेशा सामान की नीतियों को अच्छे से पढ़ लें। हर एयरलाइन की नीतियां अलग होती हैं। उदाहरण के लिए, इंडिगो 15 किलो तक का चेक-इन बैग मुफ्त में ले जाने की अनुमति देता है, लेकिन अगर आपका बैग 15 किलो से ज्यादा है, तो प्रति किलो 400-500 रुपये का शुल्क लग सकता है। अगर आप पहले से ही जानते हैं कि आपका सामान ज्यादा होगा, तो ऑनलाइन बुकिंग के समय अतिरिक्त सामान का शुल्क जोड़ लें। यह हवाई अड्डे पर देने वाले शुल्क से सस्ता पड़ता है।
तीसरा, अगर आप बार-बार एक ही एयरलाइन से यात्रा करते हैं, तो उनके लॉयल्टी प्रोग्राम में शामिल होने पर विचार करें। कई एयरलाइंस अपने लगातार यात्रा करने वाले ग्राहकों को मुफ्त सामान भत्ता या छूट देती हैं। उदाहरण के लिए, एयर इंडिया का फ्लाइंग रिटर्न्स प्रोग्राम आपको अतिरिक्त सामान ले जाने की सुविधा दे सकता है। इसके अलावा, कुछ क्रेडिट कार्ड कंपनियां भी एयरलाइंस के साथ टाई-अप करती हैं, जिससे आपको सामान शुल्क में छूट मिल सकती है।
यूरोपीय संघ के नियम और भारत में यात्री अधिकार?
यूरोपीय संघ (EU) ने यात्रियों के हित में कई नियम बनाए हैं, जो सामान शुल्क को लेकर बहुत सख्त हैं। 2014 में, EU कोर्ट ऑफ जस्टिस ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि अगर आपका हैंड बैग उचित आकार और वजन में है और सुरक्षा नियमों का पालन करता है, तो इसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता। यह नियम यूरोप में यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए बहुत फायदेमंद है। लेकिन कई बार, लो-कॉस्ट एयरलाइंस इस नियम को पूरी तरह लागू नहीं करतीं और छोटे-छोटे बहानों से शुल्क वसूलने की कोशिश करती हैं। अगर आप यूरोप में यात्रा कर रहे हैं, तो अपने अधिकारों को अच्छे से जान लें और जरूरत पड़ने पर एयरलाइन से इस नियम का हवाला दें।
भारत में भी, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने यात्रियों के लिए कुछ नियम बनाए हैं। उदाहरण के लिए, ज्यादातर भारतीय एयरलाइंस 15 किलो तक का चेक-इन बैग और 7 किलो तक का हैंड बैग मुफ्त में ले जाने की अनुमति देती हैं। अगर एयरलाइन आपके सामान को नुकसान पहुंचाती है या खो देती है, तो आप मुआवजे की मांग कर सकते हैं। DGCA के नियमों के अनुसार, अगर आपका सामान खो जाता है, तो आपको प्रति किलो 350 रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है, बशर्ते आपने सामान का बीमा करवाया हो।
हालांकि, कई यात्री इन नियमों से अनजान होते हैं और एयरलाइंस इसका फायदा उठाती हैं। इसलिए, टिकट बुक करने से पहले एयरलाइन की वेबसाइट पर उनकी सामान नीतियों को अच्छे से पढ़ लें। अगर आपको लगता है कि एयरलाइन ने गलत शुल्क लिया है, तो आप DGCA की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत पोस्ट करना भी असरदार हो सकता है, क्योंकि एयरलाइंस अपनी छवि को लेकर बहुत सतर्क रहती हैं।
अतिरिक्त शुल्क से होने वाली परेशानियां?
सामान शुल्क और अन्य अतिरिक्त शुल्क यात्रियों के लिए कई तरह की परेशानियां खड़ी करते हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि ये शुल्क अक्सर छिपे हुए होते हैं। जब आप ऑनलाइन टिकट बुक करते हैं, तो टिकट की कीमत बहुत कम दिखती है, लेकिन जब आप चेक-इन के लिए हवाई अड्डे पहुंचते हैं, तो आपको पता चलता है कि आपके सामान का वजन ज्यादा है या आपने गलत सीट चुन ली है, और अब आपको हजारों रुपये अतिरिक्त देने होंगे। यह न केवल आपका बजट बिगाड़ता है, बल्कि आपकी यात्रा का मजा भी खराब करता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए आप एक परिवार के साथ यात्रा कर रहे हैं। अगर आपके पास चार लोग हैं और हर किसी का सामान 2-3 किलो ज्यादा है, तो आपको 5,000-10,000 रुपये तक का अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है। यह राशि कई बार आपके टिकट की कीमत से भी ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा, कुछ एयरलाइंस बहुत सख्त नियम लागू करती हैं। जैसे, अगर आपका हैंड बैग थोड़ा बड़ा है, तो वे आपको इसे चेक-इन बैग के रूप में जमा करने के लिए कह सकते हैं, जिसके लिए भारी शुल्क देना पड़ता है।
इसके अलावा, अतिरिक्त शुल्क की वजह से यात्रियों का एयरलाइंस पर भरोसा भी कम हो रहा है। कई बार, यात्री सोचते हैं कि एयरलाइन जानबूझकर उन्हें भ्रम में रख रही है ताकि ज्यादा पैसे वसूले जा सकें। इससे न केवल यात्रियों का अनुभव खराब होता है, बल्कि एयरलाइन की छवि भी प्रभावित होती है। कुछ देशों में, जैसे अमेरिका और यूरोप में, उपभोक्ता संगठन इन शुल्कों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और सरकार से सख्त नियम बनाने की मांग कर रहे हैं। भारत में भी, उपभोक्ता संगठनों को इस दिशा में और सक्रिय होने की जरूरत है।
एयरलाइंस की आय का बड़ा हिस्सा: अतिरिक्त शुल्क?
एयरलाइंस के लिए अतिरिक्त शुल्क अब आय का एक बहुत बड़ा स्रोत बन गया है। 2025 में, वैश्विक स्तर पर एयरलाइंस ने सामान, सीट चयन, वाई-फाई, लाउंज एक्सेस, और खाने-पीने की सुविधाओं से 145 बिलियन डॉलर की कमाई की। यह राशि पिछले साल के 137 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है। IATA के अनुसार, यह राशि एयरलाइन उद्योग की कुल आय का 14% है। इसका मतलब है कि हर 100 रुपये की कमाई में से 14 रुपये अतिरिक्त शुल्क से आ रहे हैं।
यह ट्रेंड खासकर लो-कॉस्ट एयरलाइंस में ज्यादा देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, रायनएयर और स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस अपनी आय का 20-30% हिस्सा अतिरिक्त शुल्क से कमाती हैं। यह शुल्क उनकी बिजनेस रणनीति का एक अहम हिस्सा है। कम टिकट की कीमत दिखाकर वे ज्यादा यात्रियों को आकर्षित करती हैं, लेकिन फिर सामान और अन्य सुविधाओं के लिए शुल्क वसूलकर मुनाफा कमाती हैं।
पारंपरिक एयरलाइंस भी अब इस रणनीति को अपना रही हैं। पहले, एयर इंडिया या लुफ्थांसा जैसी एयरलाइंस अपने टिकट में सभी सुविधाएं शामिल करती थीं, लेकिन अब वे भी सामान और सीट चयन के लिए शुल्क लेने लगी हैं। इससे उनकी आय तो बढ़ी है, लेकिन यात्रियों को लगता है कि उन्हें हर चीज के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह ट्रेंड भविष्य में और बढ़ेगा, क्योंकि एयरलाइंस हमेशा नए तरीके खोजती रहती हैं जिससे वे अपनी आय बढ़ा सकें।
यात्रियों के लिए सुझाव: सस्ती यात्रा कैसे करें?
सस्ती हवाई यात्रा के लिए कुछ आसान टिप्स अपनाकर आप अपने पैसे बचा सकते हैं। सबसे पहले, हमेशा पहले से प्लानिंग करें। टिकट बुक करने से पहले एयरलाइन की सामान नीतियों को अच्छे से जांच लें। अगर आप जानते हैं कि आपका सामान ज्यादा होगा, तो ऑनलाइन बुकिंग के समय अतिरिक्त सामान का शुल्क जोड़ लें। यह हवाई अड्डे पर देने वाले शुल्क से सस्ता पड़ता है।
दूसरा, हल्के सामान के साथ यात्रा करें। अगर आप केवल हैंड बैग के साथ यात्रा कर सकते हैं, तो यह सबसे अच्छा विकल्प है। 7-8 किलो का हैंड बैग ज्यादातर एयरलाइंस में मुफ्त होता है। इसके लिए, आपको स्मार्ट पैकिंग करनी होगी। हल्के कपड़े, जरूरी सामान, और मल्टीपर्पस चीजें ले जाएं। उदाहरण के लिए, एक हल्का बैकपैक चुनें जिसमें ज्यादा सामान समा सके, लेकिन वह वजन में कम हो।
तीसरा, लॉयल्टी प्रोग्राम्स और क्रेडिट कार्ड ऑफर्स का फायदा उठाएं। कई एयरलाइंस और क्रेडिट कार्ड कंपनियां मुफ्त सामान भत्ता या छूट देती हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपके पास HDFC या SBI का कोई खास क्रेडिट कार्ड है, तो आप कुछ एयरलाइंस पर सामान शुल्क में छूट पा सकते हैं। इसके अलावा, अगर आप बार-बार यात्रा करते हैं, तो एयरलाइन के लॉयल्टी प्रोग्राम में शामिल हों।
भविष्य में क्या होगा: सामान शुल्क का ट्रेंड?
सामान शुल्क का ट्रेंड भविष्य में और बढ़ने की संभावना है। जैसे-जैसे एयरलाइंस अपनी आय बढ़ाने के नए तरीके खोज रही हैं, वे और भी ज्यादा शुल्क लागू कर सकती हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में एयरलाइंस और भी छोटी-छोटी चीजों के लिए शुल्क लेना शुरू कर सकती हैं, जैसे कि बोर्डिंग पास प्रिंट करने या प्राथमिकता से बोर्डिंग की सुविधा के लिए।
हालांकि, कुछ देशों में सरकारें और उपभोक्ता संगठन इन शुल्कों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। यूरोप में, 2014 के नियम के बाद कई एयरलाइंस को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़ा। भारत में भी, DGCA समय-समय पर एयरलाइंस को सख्त निर्देश देता है ताकि यात्री हितों की रक्षा हो सके। लेकिन इसके बावजूद, कई एयरलाइंस नियमों के बीच की खामियों का फायदा उठाती हैं।
यात्रियों के लिए जरूरी है कि वे अपने अधिकारों को जानें और स्मार्ट तरीके से यात्रा करें। अगर आप पहले से प्लानिंग करते हैं और एयरलाइन की नीतियों को समझते हैं, तो आप इन अतिरिक्त शुल्कों से काफी हद तक बच सकते हैं। इसके अलावा, अगर आपको लगता है कि एयरलाइन ने गलत शुल्क लिया है, तो आप शिकायत दर्ज कर सकते हैं। भविष्य में, अगर ज्यादा यात्री इन शुल्कों के खिलाफ आवाज उठाएंगे, तो शायद एयरलाइंस को अपनी नीतियों में बदलाव करना पड़े।
भारत में सामान शुल्क: क्या है स्थिति?
भारत में हवाई यात्रा तेजी से बढ़ रही है, और इसके साथ ही सामान शुल्क भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है। भारत की ज्यादातर एयरलाइंस, जैसे इंडिगो, स्पाइसजेट, और गो फर्स्ट, लो-कॉस्ट मॉडल पर काम करती हैं। इन एयरलाइंस में टिकट की कीमत तो कम होती है, लेकिन सामान, सीट चयन, और अन्य सुविधाओं के लिए आपको अतिरिक्त पैसे देने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप इंडिगो से यात्रा कर रहे हैं और आपका चेक-इन बैग 15 किलो से ज्यादा है, तो आपको प्रति किलो 400-500 रुपये का शुल्क देना पड़ सकता है।
DGCA ने कुछ नियम बनाए हैं ताकि यात्रियों को अनुचित शुल्क से बचाया जा सके। उदाहरण के लिए, हर यात्री को 7 किलो तक का हैंड बैग और 15 किलो तक का चेक-इन बैग मुफ्त में ले जाने की अनुमति है। अगर आपका सामान खो जाता है या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो आप मुआवजे की मांग कर सकते हैं। लेकिन कई बार, यात्री इन नियमों से अनजान होते हैं, और एयरलाइंस इसका फायदा उठाती हैं।
भारत में यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे टिकट बुक करने से पहले एयरलाइन की वेबसाइट पर सामान नीतियों को अच्छे से पढ़ लें। इसके अलावा, अगर आप हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद शुल्क को लेकर कोई समस्या होती है, तो आप वहां मौजूद DGCA के प्रतिनिधि से बात कर सकते हैं। भारत में उपभोक्ता संगठनों को भी इस दिशा में और सक्रिय होने की जरूरत है ताकि यात्रियों को अनुचित शुल्क से बचाया जा सके।
निष्कर्ष: स्मार्ट यात्रा करें, पैसे बचाएं?
हवाई यात्रा को सस्ता और सुविधाजनक बनाने के लिए आपको स्मार्ट तरीके से प्लानिंग करनी होगी। सामान शुल्क और अन्य अतिरिक्त शुल्क आज एयरलाइंस की आय का एक बड़ा हिस्सा हैं, और यह ट्रेंड भविष्य में भी जारी रहने की संभावना है। लेकिन अगर आप पहले से तैयार रहते हैं, तो आप इन शुल्कों से काफी हद तक बच सकते हैं। हमेशा एयरलाइन की नीतियों को पढ़ें, हल्के सामान के साथ यात्रा करें, और लॉयल्टी प्रोग्राम्स या क्रेडिट कार्ड ऑफर्स का फायदा उठाएं।
इसके अलावा, अपने अधिकारों को जानें। भारत में DGCA और यूरोप में EU के नियम आपके हितों की रक्षा करते हैं। अगर आपको लगता है कि एयरलाइन ने गलत शुल्क लिया है, तो शिकायत दर्ज करने से न हिचकिचाएं। सोशल मीडिया पर अपनी बात रखना भी एक अच्छा तरीका हो सकता है, क्योंकि एयरलाइंस अपनी छवि को लेकर बहुत सतर्क रहती हैं।
अंत में, हवाई यात्रा का मजा लें, लेकिन सावधानी बरतें। सही जानकारी और थोड़ी सी समझदारी से आप न केवल पैसे बचा सकते हैं, बल्कि अपनी यात्रा को और भी सुखद बना सकते हैं। तो अगली बार जब आप फ्लाइट बुक करें, तो इन टिप्स को जरूर आजमाएं और देखें कि आप कितना बचा सकते हैं!