IMF ने पाकिस्तान को 8300 करोड़ की मदद दी: भारत ने आतंकवाद के डर से वोट नहीं किया

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9 मई 2025 को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान को 8300 करोड़ रुपये (1 बिलियन डॉलर) की आर्थिक मदद मंजूर की। यह रकम पाकिस्तान के 58,000 करोड़ रुपये के एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) प्रोग्राम का हिस्सा है। लेकिन भारत ने इस फैसले पर आपत्ति जताई और वोटिंग से खुद को अलग रखा। भारत का कहना है कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है, खासकर 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद। आइए, इस पूरी कहानी को आसान भाषा में समझते हैं कि IMF ने यह फैसला क्यों लिया, भारत ने विरोध क्यों किया, और इसका क्या असर हो सकता है।

IMF ने पाकिस्तान को इतनी बड़ी मदद क्यों दी?

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से मुश्किल में है। उसका कर्ज इतना बढ़ गया है कि वह IMF और अन्य देशों की मदद के बिना चल नहीं सकता। 2024 में IMF ने पाकिस्तान को 58,000 करोड़ रुपये (7 बिलियन डॉलर) का बेलआउट पैकेज दिया था, जिसका एक हिस्सा अब 8300 करोड़ रुपये के रूप में दिया गया है। इसके अलावा, IMF ने 10,800 करोड़ रुपये (1.3 बिलियन डॉलर) का एक नया रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF) लोन भी मंजूर किया, जो पर्यावरण और आर्थिक स्थिरता के लिए है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे बड़ी जीत बताया और कहा कि भारत की कोशिशें नाकाम रहीं। लेकिन भारत का मानना है कि इतनी बड़ी मदद देना गलत है, क्योंकि पाकिस्तान ने पहले भी IMF के कई प्रोग्राम्स को सही से लागू नहीं किया। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “पिछले 35 सालों में पाकिस्तान ने 28 साल तक IMF से मदद ली, लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था सुधरी नहीं।

भारत ने IMF की मदद का विरोध क्यों किया?

भारत ने IMF की मदद का विरोध क्यों किया?

भारत ने IMF की बोर्ड मीटिंग में साफ कहा कि पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद का गलत इस्तेमाल हो सकता है। भारत के तीन बड़े तर्क थे:
आतंकवाद को बढ़ावा**: भारत का कहना है कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को समर्थन देता है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिसके पीछे पाकिस्तान का हाथ माना जाता है। भारत ने कहा कि IMF के पैसे आतंकवाद के लिए इस्तेमाल हो सकते हैं।

खराब रिकॉर्ड**: 1989 से अब तक पाकिस्तान ने 24 IMF प्रोग्राम्स लिए, लेकिन ज्यादातर असफल रहे। भारत ने पूछा, “अगर पिछले प्रोग्राम्स कामयाब होते, तो पाकिस्तान को बार-बार मदद क्यों मांगनी पड़ती?”
कर्ज का बोझ**: पाकिस्तान का कर्ज इतना बढ़ गया है कि वह IMF के लिए “टू बिग टू फेल” बन गया है। यानी, IMF को डर है कि अगर मदद नहीं दी, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ढह जाएगी। भारत ने इसे गलत नीति बताया।

भारत ने वोटिंग से दूरी बनाकर दुनिया को संदेश दिया कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त है और ऐसी मदद का समर्थन नहीं करेगा।

पहलगाम हमला: क्यों बढ़ा भारत-पाकिस्तान तनाव?

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शहीद हुए। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, जिसके तार लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं। खुफिया जानकारी के मुताबिक, इसकी साजिश पाकिस्तान में रची गई थी।

इस घटना ने भारत को गुस्से और दुख से भर दिया। भारत ने इसके जवाब में 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस ऑपरेशन ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा, उसे आर्थिक मदद देना खतरनाक है।

IMF ने भारत की चेतावनी को क्यों नजरअंदाज किया?

IMF ने भारत की चेतावनी को क्यों नजरअंदाज किया?

IMF ने भारत की आपत्तियों को नोट किया, लेकिन फिर भी मदद को मंजूरी दे दी। इसके पीछे कुछ कारण हो सकते हैं:
– **आर्थिक स्थिरता**: IMF का मानना है कि अगर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ढह गई, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।
– **राजनीतिक दबाव**: कुछ देश, जैसे चीन, पाकिस्तान का समर्थन करते हैं, जिससे IMF पर दबाव रहता है।
– **प्रक्रियागत सीमाएं**: IMF ने कहा कि उसका काम सिर्फ आर्थिक मदद देना है, न कि आतंकवाद जैसे मुद्दों पर फैसला करना। भारत ने इसे “प्रक्रियागत खामी” बताया और कहा कि वैश्विक संस्थानों को नैतिकता को भी ध्यान में रखना चाहिए।

IMF की अपनी एक रिपोर्ट में भी कहा गया कि पाकिस्तान को बार-बार मदद देने में “राजनीतिक विचार” बड़ा रोल निभाते हैं। भारत ने इसकी आलोचना की और कहा कि इससे वैश्विक वित्तीय व्यवस्था की साख को नुकसान होता है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल ?

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का हाल ?

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। मार्च 2025 तक उसका IMF से लिया कर्ज 51,000 करोड़ रुपये (6.23 बिलियन SDR) था। इसके अलावा, उसे विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे संस्थानों से भी कर्ज लेना पड़ता है। भारत ने चेतावनी दी कि बार-बार बेलआउट देने से पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियां और ताकतवर हो रही हैं, जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं।

पाकिस्तान ने IMF के सामने कुछ सुधारों का वादा किया, जैसे टैक्स बढ़ाना और सरकारी खर्च कम करना। लेकिन भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने पहले भी ऐसे वादे तोड़े हैं। 2019 से 2024 तक चार IMF प्रोग्राम्स के बावजूद उसकी अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी।

भारत की रणनीति और वैश्विक समर्थन ?

भारत ने IMF में अपनी बात रखने के साथ-साथ अन्य वैश्विक मंचों पर भी पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश की। भारत ने इन कदमों को उठाया:
– **FATF**: भारत ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स में पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने की मांग की।
– **इंडस वाटर ट्रीटी**: पहलगाम हमले के बाद भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिससे पाकिस्तान की पानी की सप्लाई पर असर पड़ेगा।
– **वैश्विक बैंक**: भारत ने विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से भी पाकिस्तान को कर्ज न देने की अपील की।

कई देशों, जैसे इजरायल और कुछ यूरोपीय राष्ट्रों ने भारत की चिंताओं का समर्थन किया। लेकिन चीन और कुछ अन्य देशों ने पाकिस्तान का साथ दिया, जिससे IMF का फैसला प्रभावित हुआ।

इस फैसले का भारत-पाकिस्तान तनाव पर असर ?

IMF का यह फैसला भारत-पाकिस्तान तनाव को और बढ़ा सकता है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान को आर्थिक मदद देना आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसा है। दूसरी ओर, पाकिस्तान का कहना है कि भारत उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की साजिश कर रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव भी बढ़ गया है। भारत ने अपनी सीमाओं पर हाई अलर्ट जारी किया है, और कई हवाई अड्डे बंद हैं। अगर तनाव और बढ़ा, तो इसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है।

क्या IMF को अपनी नीतियां बदलनी चाहिए?

भारत ने IMF से मांग की है कि वह अपनी नीतियों में बदलाव करे और आतंकवाद जैसे मुद्दों को भी ध्यान में रखे। भारत का कहना है कि वैश्विक संस्थानों को सिर्फ आर्थिक आंकड़ों पर नहीं, बल्कि नैतिकता और सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। कई देशों ने भारत की इस बात का समर्थन किया, लेकिन IMF ने कहा कि उसका काम सिर्फ आर्थिक मदद देना है।

यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या IMF जैसी संस्थाएं आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाएंगी? अगर आप इस बारे में अपनी राय रखना चाहते हैं, तो [यहां क्लिक करें](#) और कमेंट करें। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पर ताजा अपडेट्स के लिए [यहां](#) देखें।

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