मंगल ग्रह का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी: अर्सिया मॉन्स, जो माउंट एवरेस्ट से भी बड़ा है?

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मंगल ग्रह, जिसे हम लाल ग्रह के नाम से जानते हैं, अपनी अनोखी भौगोलिक संरचनाओं के लिए मशहूर है। इनमें से एक है अर्सिया मॉन्स, जो मंगल के थारसिस मॉन्टेस क्षेत्र में स्थित तीन विशाल ज्वालामुखियों में से सबसे दक्षिणी है। यह ज्वालामुखी इतना ऊँचा है कि यह पृथ्वी के सबसे ऊँचे पर्वत, माउंट एवरेस्ट, को भी पीछे छोड़ देता है। माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई 8,848 मीटर है, जबकि अर्सिया मॉन्स 20 किलोमीटर की ऊँचाई तक पहुँचता है। यह आश्चर्यजनक आँकड़ा इसे सौरमंडल के सबसे प्रभावशाली ज्वालामुखियों में से एक बनाता है। नासा के 2001 मार्स ओडिसी ऑर्बिटर ने 2 मई 2025 को सुबह होने से पहले इस ज्वालामुखी की तस्वीर खींची, जिसमें इसका शिखर जल-बर्फ के बादलों के ऊपर नजर आ रहा था। यह तस्वीर न केवल इसकी भव्यता को दर्शाती है, बल्कि मंगल के मौसमी बदलावों को समझने में भी मदद करती है। इस लेख में हम अर्सिया मॉन्स की खोज, इसकी विशेषताओं, और मंगल ग्रह के भूवैज्ञानिक इतिहास में इसके महत्व को विस्तार से जानेंगे।

अर्सिया मॉन्स की खोज: एक ऐतिहासिक क्षण?

अर्सिया मॉन्स की यह तस्वीर नासा के मार्स ओडिसी ऑर्बिटर ने खींची, जो 2001 से मंगल ग्रह की परिक्रमा कर रहा है। यह ऑर्बिटर सौरमंडल में किसी अन्य ग्रह की सबसे लंबे समय तक चलने वाली मिशन है। इस तस्वीर को खींचने के लिए ऑर्बिटर को 90 डिग्री घुमाया गया, ताकि इसकी थर्मल इमिशन इमेजिंग सिस्टम (THEMIS) कैमरा क्षितिज की तस्वीर ले सके। इस अनोखे कोण ने वैज्ञानिकों को मंगल के वायुमंडल में धूल और जल-बर्फ के बादलों की परतों को देखने का मौका दिया। यह तस्वीर मंगल के अपहेलियन (जब मंगल सूर्य से सबसे दूर होता है) के दौरान खींची गई, जब मंगल के भूमध्य रेखा पर “अपहेलियन क्लाउड बेल्ट” बनता है। इस खोज ने न केवल अर्सिया मॉन्स की भव्यता को उजागर किया, बल्कि मंगल के मौसमी और वायुमंडलीय बदलावों को समझने में भी मदद की। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की तस्वीरें भविष्य के मिशनों, जैसे कि मंगल पर सुरक्षित लैंडिंग, के लिए महत्वपूर्ण हैं।

मंगल के थारसिस मॉन्टेस का हिस्सा?

अर्सिया मॉन्स, थारसिस मॉन्टेस के तीन प्रमुख ज्वालामुखियों—एस्क्रियस मॉन्स, पावोनिस मॉन्स, और अर्सिया मॉन्स—में से सबसे दक्षिणी है। यह क्षेत्र मंगल के पश्चिमी गोलार्ध में एक विशाल ज्वालामुखी पठार है। थारसिस क्षेत्र अपने विशाल ज्वालामुखियों के लिए जाना जाता है, जिनमें सौरमंडल का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी, ओलंपस मॉन्स, भी शामिल है। अर्सिया मॉन्स का व्यास 450 किलोमीटर है, जो इसे पृथ्वी के किसी भी ज्वालामुखी से कहीं बड़ा बनाता है। इसकी ढलानें इतनी विशाल हैं कि यह रोमानिया जैसे देश के आकार के बराबर क्षेत्र को कवर करता है। इसकी ऊँचाई और विशालता मंगल के निचले गुरुत्वाकर्षण (पृथ्वी का 38%) और स्थिर क्रस्ट के कारण संभव हुई, जो पृथ्वी की तरह टेक्टोनिक प्लेटों की गति से प्रभावित नहीं होती। इस स्थिरता ने लावा को एक ही स्थान पर जमा होने दिया, जिससे अर्सिया मॉन्स जैसे विशालकाय ज्वालामुखी बने।

मंगल के ज्वालामुखियों की अनोखी विशेषताएँ?

अर्सिया मॉन्स की सतह पर कई अनोखी भौगोलिक विशेषताएँ हैं, जैसे लावा प्रवाह, गड्ढों की श्रृंखलाएँ, और चैनल जैसे रिल्स। ये विशेषताएँ मंगल के प्राचीन ज्वालामुखी गतिविधियों का प्रमाण हैं। वैज्ञानिकों ने इसकी दक्षिणी ढलानों पर एक विशाल ढही हुई संरचना देखी, जो 70 किलोमीटर तक फैली हुई है। ये ढहाव संभवतः भूमिगत रिक्तियों के कारण हुए, जो सतह के अस्थिर होने से ढह गईं। इसे पृथ्वी पर सिंकहोल की तरह समझा जा सकता है। इसके अलावा, अर्सिया मॉन्स पर लावा ट्यूब्स और विशाल दरारें भी देखी गई हैं, जो दसियों किलोमीटर तक फैली हैं। ये संरचनाएँ यह दर्शाती हैं कि मंगल पर अरबों साल पहले ज्वालामुखी गतिविधियाँ बहुत तीव्र थीं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन संरचनाओं का निर्माण लावा, राख, या पानी के प्रवाह—or उनके संयोजन—से हुआ होगा।

मंगल का अपहेलियन क्लाउड बेल्ट?

मंगल के अपहेलियन के दौरान, जब यह सूर्य से सबसे दूर होता है, इसके भूमध्य रेखा पर एक अनोखा बादल बेल्ट बनता है, जिसे “अपहेलियन क्लाउड बेल्ट” कहा जाता है। यह बादल बेल्ट जल-बर्फ के बादलों से बना होता है, जो अर्सिया मॉन्स जैसे ऊँचे ज्वालामुखियों के शिखरों के ऊपर दिखाई देता है। नासा के मार्स ओडिसी की तस्वीरों में यह बादल बेल्ट स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जो मंगल के वायुमंडल की गतिशीलता को समझने में मदद करता है। ये बादल न केवल मंगल के मौसम को प्रभावित करते हैं, बल्कि भविष्य के मिशनों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, मंगल पर अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के दौरान इन बादलों का अध्ययन सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये बादल मंगल के मौसमी बदलावों को समझने की कुंजी हैं।

मंगल के ज्वालामुखियों का भूवैज्ञानिक महत्व?

अर्सिया मॉन्स और थारसिस क्षेत्र के अन्य ज्वालामुखी मंगल के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण हैं। मंगल पर टेक्टोनिक प्लेटों की अनुपस्थिति ने इन ज्वालामुखियों को इतना विशाल बनाया। पृथ्वी पर, टेक्टोनिक प्लेटों की गति के कारण ज्वालामुखी गतिविधियाँ विभिन्न स्थानों पर फैल जाती हैं, लेकिन मंगल पर लावा एक ही स्थान पर जमा होता रहा, जिससे अर्सिया मॉन्स और ओलंपस मॉन्स जैसे विशालकाय ज्वालामुखी बने। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये ज्वालामुखी अरबों साल पहले सक्रिय थे, और कुछ सबूत बताते हैं कि मंगल पर अभी भी ज्वालामुखी गतिविधियाँ हो सकती हैं। अर्सिया मॉन्स का अध्ययन मंगल के प्राचीन पर्यावरण, जैसे कि पानी और बर्फ की उपस्थिति, को समझने में भी मदद करता है। ये ज्वालामुखी मंगल के अतीत में जीवन की संभावनाओं को तलाशने का एक महत्वपूर्ण स्रोत हो सकते हैं।

नासा का मार्स ओडिसी मिशन?

नासा का 2001 मार्स ओडिसी मिशन मंगल ग्रह की सतह और वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए शुरू किया गया था। यह मिशन अब तक का सबसे लंबा चलने वाला मंगल मिशन है। इसके THEMIS कैमरे ने मंगल की सतह, खनिजों, और वायुमंडल की संरचना का अध्ययन किया है। अर्सिया मॉन्स की तस्वीरें खींचने के लिए इस ऑर्बिटर ने एक अनोखा दृष्टिकोण अपनाया, जिसमें इसे 90 डिग्री घुमाया गया ताकि क्षितिज की तस्वीरें ली जा सकें। इस तकनीक ने वैज्ञानिकों को मंगल के वायुमंडल में मौसमी बदलावों, जैसे कि अपहेलियन क्लाउड बेल्ट, को समझने में मदद की। यह मिशन मंगल के भविष्य के अन्वेषण, जैसे कि मानव मिशन और रोवर्स की लैंडिंग, के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है।

मंगल पर जीवन की संभावनाएँ?

अर्सिया मॉन्स जैसे ज्वालामुखी मंगल पर प्राचीन जीवन की संभावनाओं को तलाशने के लिए महत्वपूर्ण हैं। ज्वालामुखी क्षेत्रों में गर्मी और पानी की उपस्थिति जीवन के लिए अनुकूल वातावरण बना सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अर्सिया मॉन्स के आसपास बर्फ और पानी के अवशेष हो सकते हैं, जो प्राचीन सूक्ष्मजीवों के लिए अनुकूल रहे होंगे। हाल के अध्ययनों से पता चला है कि मंगल के ज्वालामुखियों के शिखरों पर जल-बर्फ का पाला (frost) पाया गया है, जो पहले असंभव माना जाता था। यह खोज मंगल के वायुमंडल और पर्यावरण को समझने में एक नया आयाम जोड़ती है। भविष्य में, नासा के रोवर्स और अन्य मिशन इन क्षेत्रों में जीवन के संकेतों की खोज कर सकते हैं।

मंगल के अन्य विशाल ज्वालामुखी?

मंगल ग्रह पर अर्सिया मॉन्स के अलावा कई अन्य विशाल ज्वालामुखी हैं, जैसे ओलंपस मॉन्स, जो सौरमंडल का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी है। ओलंपस मॉन्स 21.9 किलोमीटर ऊँचा है और इसका आधार 600 किलोमीटर तक फैला है। इसके अलावा, नोक्टिस मॉन्स नामक एक नया ज्वालामुखी भी हाल ही में खोजा गया है, जो माउंट एवरेस्ट से थोड़ा ऊँचा है। ये ज्वालामुखी मंगल के भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में महत्वपूर्ण हैं। इनकी विशालता मंगल के निचले गुरुत्वाकर्षण और स्थिर क्रस्ट के कारण संभव हुई। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये ज्वालामुखी मंगल के प्राचीन पर्यावरण, जैसे कि पानी और बर्फ की उपस्थिति, को समझने में मदद कर सकते हैं।

भविष्य में मंगल की खोज?

मंगल ग्रह की खोज भविष्य में और भी रोमांचक होने वाली है। अर्सिया मॉन्स जैसे ज्वालामुखी न केवल वैज्ञानिकों के लिए, बल्कि भविष्य के मंगल अन्वेषकों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इन ज्वालामुखियों के ढलानों पर संसाधन, जैसे कि पानी और खनिज, मिल सकते हैं, जो मंगल पर मानव बस्तियों के लिए उपयोगी होंगे। नासा और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियाँ मंगल पर मानव मिशन की योजना बना रही हैं, और अर्सिया मॉन्स जैसे क्षेत्र इन मिशनों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसके शिखर से मंगल की विशाल मैदानों का नजारा देखना किसी भी अंतरिक्ष यात्री के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव होगा। मंगल की खोज न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बल्कि मानव सभ्यता के विस्तार के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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