अडानी ग्रुप ने ठुकराया अमेरिकी जांच का दावा: क्या है ईरानी LPG विवाद?

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अडानी ग्रुप ईरानी LPG विवाद

क्या आपने हाल ही में अडानी ग्रुप और ईरानी LPG को लेकर छपी खबरों के बारे में सुना? इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की उस खबर को “निराधार और शरारतपूर्ण” बताया, जिसमें दावा किया गया था कि अमेरिकी अधिकारी उनके मुंद्रा पोर्ट के जरिए ईरानी LPG के आयात की जांच कर रहे हैं। अडानी ग्रुप ने 2 जून 2025 को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि वे किसी भी तरह की अमेरिकी जांच से अनजान हैं और उन्होंने जानबूझकर ईरानी LPG या प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं किया। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब WSJ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुंद्रा पोर्ट और पर्सियन गल्फ के बीच आने-जाने वाले कुछ टैंकरों में प्रतिबंधों से बचने की प्रवृत्ति दिखी। अडानी ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी नीति के तहत किसी भी ईरानी कार्गो या जहाज को उनके पोर्ट्स पर जगह नहीं दी जाती। इस मामले ने न सिर्फ अडानी ग्रुप की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए, बल्कि वैश्विक व्यापार और अमेरिकी प्रतिबंधों के मुद्दे को भी चर्चा में ला दिया। आइए, इस पूरे विवाद को विस्तार से समझते हैं।

WSJ की रिपोर्ट: अडानी पर क्या हैं आरोप?

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने 2 जून 2025 को अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया कि अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट अडानी ग्रुप की कंपनियों की जांच कर रहा है। इस जांच का मकसद यह पता लगाना था कि क्या अडानी एंटरप्राइजेज ने गुजरात के मुंद्रा पोर्ट के जरिए ईरानी LPG का आयात किया, जो अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन हो सकता है। WSJ ने अपनी जांच में कहा कि पर्सियन गल्फ और मुंद्रा पोर्ट के बीच आने-जाने वाले कुछ टैंकरों में “प्रतिबंधों से बचने” की प्रवृत्ति दिखी, जैसे शिप-टू-शिप ट्रांसफर और सिग्नल ब्लैकआउट। उदाहरण के लिए, एक टैंकर SMS Bros (जिसका नाम बाद में Neel रखा गया) ने अपने AIS (ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम) में इराक के खोर अल ज़ुबैर पोर्ट को दिखाया, लेकिन सैटेलाइट इमेज में वह ईरान के टोनबक LPG टर्मिनल पर था। इस टैंकर ने बाद में मुंद्रा पोर्ट पर 11,250 मीट्रिक टन LPG पहुंचाया, जिसकी कीमत 7 मिलियन डॉलर थी। WSJ ने दावा किया कि ऐसे पैटर्न प्रतिबंधों से बचने वाले जहाजों में आम हैं। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को “गलत अनुमानों और अटकलों” पर आधारित बताया और कहा कि वे किसी भी तरह की जांच से अनजान हैं।

अडानी का जवाब: “हमारा कोई ईरानी कनेक्शन नहीं”

अडानी ग्रुप ने WSJ की रिपोर्ट का जोरदार खंडन किया है। इकोनॉमिक टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी एंटरप्राइजेज ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “हम जानबूझकर प्रतिबंधों से बचने या ईरानी LPG के व्यापार में शामिल नहीं हैं। WSJ की कहानी पूरी तरह गलत अनुमानों और अटकलों पर आधारित है।” अडानी ने साफ किया कि उनकी नीति के तहत कोई भी ईरानी कार्गो या ईरानी मालिकों के जहाज उनके पोर्ट्स पर नहीं उतरते। कंपनी ने यह भी बताया कि LPG उनके कुल राजस्व का सिर्फ 1.46% (171.2 मिलियन डॉलर) है, जो उनके कारोबार का बहुत छोटा हिस्सा है। इसके अलावा, अडानी ने कहा कि वे अपने सप्लायर्स की पूरी KYC और ड्यू डिलिजेंस करते हैं, ताकि कोई भी OFAC प्रतिबंध सूची में शामिल न हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे SMS Bros/Neel जैसे टैंकरों को न तो नियंत्रित करते हैं, न ही उनके मालिक हैं, और इनके बारे में टिप्पणी नहीं कर सकते। अडानी ने यह भी कहा कि उनके LPG व्यापार की लॉजिस्टिक्स तीसरे पक्ष की अंतरराष्ट्रीय कंपनियां संभालती हैं, जो वैश्विक नियमों का पालन करती हैं।

अमेरिकी प्रतिबंध: ईरान और LPG व्यापार की सच्चाई?

अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, खासकर उसके तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों पर, ताकि तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को रोका जा सके। इकोनॉमिक टाइम्स और द ट्रिब्यून की रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मई 2025 में कहा था कि कोई भी देश या व्यक्ति जो ईरान से तेल या पेट्रोकेमिकल खरीदेगा, उसे तुरंत द्वितीयक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। ये प्रतिबंध किसी भी देश या कंपनी को अमेरिका के साथ व्यापार करने से रोक सकते हैं। WSJ की रिपोर्ट में दावा किया गया कि कुछ टैंकर, जैसे SMS Bros, ने अपने कार्गो के मूल को छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेज़ इस्तेमाल किए, जैसे ओमान और इराक से। लेकिन अडानी ने कहा कि उनके पास सभी शिपमेंट्स के लिए वैध दस्तावेज़ हैं, जो दिखाते हैं कि कार्गो ओमान के सोहार पोर्ट से आया था। अडानी ने यह भी बताया कि वे S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस नेटवर्क (MINT) जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो कि जहाज प्रतिबंधित नहीं हैं। इस विवाद ने वैश्विक व्यापार में प्रतिबंधों की जटिलता को उजागर किया है।

मुंद्रा पोर्ट ईरानी LPG

अडानी की प्रतिष्ठा: पहले भी विवादों में रही?

यह पहली बार नहीं है जब अडानी ग्रुप विवादों में घिरा हो। टाइम्स ऑफ इंडिया और फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन और एकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद उनके शेयरों में भारी गिरावट आई थी। इसके बाद, नवंबर 2024 में अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट और SEC ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत और निवेशकों को गुमराह करने का आरोप लगाया। अडानी ने इन आरोपों को भी “निराधार” बताया और कानूनी कार्रवाई का वादा किया। WSJ की ताजा रिपोर्ट को अडानी ने “प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की साजिश” करार दिया। X पर कई पोस्ट्स में इसे “अडानी के खिलाफ एक और हमला” बताया गया। इसने निवेशकों में चिंता बढ़ा दी, क्योंकि अडानी के शेयर पहले ही दबाव में हैं। लेकिन अडानी ने कहा कि वे एक कानून का पालन करने वाली कंपनी हैं और सभी नियमों का पालन करते हैं। यह विवाद उनकी प्रतिष्ठा और कारोबार पर लंबे समय तक असर डाल सकता है।

LPG व्यापार: अडानी के लिए कितना अहम?

क्या आपको लगता है कि LPG अडानी ग्रुप के लिए बहुत बड़ा कारोबार है? आश्चर्यजनक रूप से, ऐसा नहीं है। इकोनॉमिक टाइम्स और बिजनेस टुडे की रिपोर्ट्स के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज की FY24-25 में कुल आय 11,727 मिलियन डॉलर थी, जिसमें LPG सेगमेंट का योगदान सिर्फ 171.2 मिलियन डॉलर (1.46%) था। अडानी ने साफ किया कि LPG उनके कारोबार का “गैर-महत्वपूर्ण” हिस्सा है, और वे इसे पूरी तरह वैधानिक और अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत संचालित करते हैं। कंपनी ने बताया कि वे अपने LPG सप्लायर्स के साथ वैध अनुबंध करते हैं, जिनमें साफ लिखा होता है कि कार्गो गैर-प्रतिबंधित देशों से होना चाहिए। इसके लिए वे OFAC प्रतिबंध सूची की जांच करते हैं और S&P ग्लोबल MINT जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। अडानी ने यह भी कहा कि उनकी लॉजिस्टिक्स तीसरे पक्ष की कंपनियां संभालती हैं, जो वैश्विक मानकों का पालन करती हैं। इस छोटे से सेगमेंट के बावजूद, WSJ की रिपोर्ट ने अडानी के कारोबार पर बड़ा सवाल खड़ा किया है, जिसे उन्होंने “अटकलबाजी” करार दिया।

अमेरिका-ईरान तनाव: वैश्विक व्यापार पर असर?

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव ने वैश्विक व्यापार को जटिल बना दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल निर्यात पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं। 2018 में ट्रम्प ने ईरान के साथ न्यूक्लियर डील (JCPOA) से अमेरिका को बाहर कर लिया था, जिसके बाद प्रतिबंध और सख्त हो गए। मई 2025 में ट्रम्प ने कहा कि कोई भी देश जो ईरान से तेल या पेट्रोकेमिकल खरीदेगा, उसे अमेरिका के साथ व्यापार से वंचित किया जाएगा। यह नीति खासकर चीन पर निशाना साधती है, जो ईरान से रोजाना 1 मिलियन बैरल तेल आयात करता है। लेकिन अडानी जैसे मामलों ने दिखाया कि प्रतिबंधों का असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ सकता है। WSJ की रिपोर्ट में कहा गया कि ईरानी तेल के खरीदार अक्सर ओमान और इराक जैसे देशों से फर्जी दस्तावेज़ इस्तेमाल करते हैं। अडानी ने कहा कि उनके पास सभी शिपमेंट्स के लिए वैध दस्तावेज़ हैं, और वे किसी भी तरह की गड़बड़ी में शामिल नहीं हैं।

अमेरिका ईरान प्रतिबंध 2025

अडानी की कानूनी रणनीति: अगला कदम क्या?

अडानी ग्रुप ने WSJ की रिपोर्ट को “प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की साजिश” बताते हुए कानूनी कार्रवाई की बात कही है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस और आउटलुक बिजनेस की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी ने पहले भी हिंडनबर्ग और अमेरिकी रिश्वत के आरोपों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी है। 2024 में, अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने गौतम अडानी और सागर अडानी पर 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत और निवेशकों को गुमराह करने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में, अडानी ने Kirkland & Ellis और Quinn Emanuel जैसे बड़े लॉ फर्म्स को हायर किया और मार्च 2025 में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की, ताकि मामला खत्म किया जाए। इस ताजा विवाद में भी, अडानी ने कहा कि वे “सभी संभावित कानूनी रास्ते” तलाशेंगे। X पर कई पोस्ट्स में इसे “अडानी की मजबूत वापसी” बताया गया। कंपनी ने यह भी कहा कि WSJ की रिपोर्ट का समय संदिग्ध है, क्योंकि यह उनके खिलाफ चल रही DOJ जांच को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अडानी इस मामले में कैसे आगे बढ़ते हैं।

स्टॉक मार्केट पर असर: निवेशकों की चिंता?

WSJ की रिपोर्ट का अडानी ग्रुप के शेयरों पर क्या असर पड़ा? इकोनॉमिक टाइम्स और बिजनेस टुडे की रिपोर्ट्स के अनुसार, 2 जून 2025 को इस खबर के बाद अडानी के शेयरों में अस्थिरता देखी गई। हालांकि, कंपनी के त्वरित खंडन और स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग ने निवेशकों को कुछ राहत दी। 2024 में अमेरिकी रिश्वत के आरोपों के बाद अडानी के शेयरों में 20% तक की गिरावट आई थी, और उनकी कुल मार्केट वैल्यू में 2.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इस बार, अडानी ने तुरंत जवाब देकर नुकसान को सीमित करने की कोशिश की। X पर @StocktwitsIndia और @CNBCTV18Live जैसे अकाउंट्स ने अडानी के बयान को हाइलाइट किया, जिससे निवेशकों में भरोसा बढ़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि LPG सेगमेंट का छोटा हिस्सा होने के कारण इस विवाद का अडानी के कारोबार पर बड़ा असर नहीं होगा। लेकिन बार-बार के विवादों ने निवेशकों में अनिश्चितता पैदा की है, और अडानी को अपनी पारदर्शिता और गवर्नेंस को और मजबूत करना होगा।

भविष्य की राह: अडानी के लिए सबक?

यह विवाद अडानी ग्रुप के लिए क्या सबक देता है? इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स नाउ की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी को अपनी आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक्स प्रक्रियाओं को और पारदर्शी करना होगा। कंपनी ने कहा कि वे पहले से ही KYC, OFAC चेक, और S&P ग्लोबल MINT जैसे उपायों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन WSJ जैसे दावों ने उनकी प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अडानी को तीसरे पक्ष की लॉजिस्टिक्स कंपनियों पर निर्भरता कम करनी चाहिए और अपनी शिपिंग प्रक्रियाओं पर अधिक नियंत्रण रखना चाहिए। इसके अलावा, बार-बार के विवादों ने अडानी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है, जिसे ठीक करने के लिए उन्हें मजबूत PR और कानूनी रणनीति की जरूरत है। भारत जैसे देश में, जहां अडानी का इंफ्रास्ट्रक्चर और एनर्जी सेक्टर में बड़ा योगदान है, इस तरह के विवाद सरकार और निवेशकों के लिए भी चिंता का विषय हैं। भविष्य में, अडानी को वैश्विक प्रतिबंधों और व्यापार नियमों का और सख्ती से पालन करना होगा, ताकि ऐसे विवादों से बचा जा सके।

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