क्या आपने कभी सोचा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कितनी जल्दी एक बड़े सैन्य ऑपरेशन में बदल सकता है? हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट ने सबका ध्यान खींचा, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना (IAF) के कुछ विमानों के नुकसान की बात स्वीकारी। यह ऑपरेशन, जो अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों में सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष माना जा रहा है। जनरल चौहान ने सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग के दौरान रॉयटर्स और ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में बताया कि 7 मई को शुरुआती चरण में कुछ नुकसान हुए, लेकिन भारत ने अपनी रणनीति को जल्दी ही सुधार लिया और 10 मई को पाकिस्तान के अंदर गहरे तक सटीक हमले किए। इस खबर ने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में हलचल मचा दी। आइए, इस ऑपरेशन की गहराई में जाकर समझते हैं कि क्या हुआ, क्यों हुआ, और इसका भारत-पाकिस्तान संबंधों पर क्या असर पड़ेगा।
ऑपरेशन सिंदूर: क्यों शुरू हुआ यह अभियान?
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक भयानक आतंकी हमले से हुई। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे। भारत ने इस हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद, को ठहराया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसका मकसद पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था। विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने बताया कि इस ऑपरेशन में नौ ठिकाने निशाना बनाए गए, जिनमें पांच PoK में और चार पाकिस्तान के सियालकोट, मुरिदके, और बहावलपुर जैसे इलाकों में थे। यह ऑपरेशन 2019 के बालाकोट हमले से अलग था, क्योंकि इस बार भारत ने कई ठिकानों पर एक साथ हमला किया। इस ऑपरेशन में ब्रह्मोस और स्कैल्प जैसे हाई-टेक मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया, जिससे भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो-टॉलरेंस नीति को और मजबूत किया। लेकिन इस ऑपरेशन के दौरान कुछ शुरुआती नुकसान भी हुए, जिन्हें जनरल चौहान ने स्वीकार किया।
भारतीय वायुसेना का नुकसान: क्या हुआ 7 मई को?
7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत में भारतीय वायुसेना को कुछ नुकसान का सामना करना पड़ा। जनरल अनिल चौहान ने ब्लूमबर्ग टीवी को बताया कि शुरुआती चरण में कुछ “टैक्टिकल मिस्टेक्स” की वजह से विमानों को नुकसान हुआ। हालांकि, उन्होंने यह साफ किया कि पाकिस्तान का दावा कि उसने छह भारतीय विमान (जिनमें तीन राफेल शामिल थे) मार गिराए, “पूरी तरह गलत” है। चौहान ने यह भी नहीं बताया कि कितने विमान खोए गए, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि नुकसान से ज्यादा जरूरी यह समझना था कि ये नुकसान क्यों हुए और भारत ने इसके बाद क्या किया। इंडिया टुडे और द हिंदू की रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये नुकसान पाकिस्तान की चीनी निर्मित HQ-9B सतह-से-हवा मिसाइल सिस्टम और PL-15 लंबी दूरी की हवा-से-हवा मिसाइल की वजह से हो सकते हैं। लेकिन भारत ने जल्दी ही अपनी गलतियों को सुधारा और 8 और 10 मई को बड़े पैमाने पर हमले किए। इस दौरान भारतीय वायुसेना ने सभी तरह के विमानों और हथियारों का इस्तेमाल किया, जिससे पाकिस्तान के हवाई ठिकानों पर सटीक हमले किए गए।
रणनीति में सुधार: कैसे भारत ने पलटवार किया?
जनरल चौहान ने रॉयटर्स को बताया कि 7 मई के नुकसान के बाद भारत ने अपनी रणनीति को जल्दी ही सुधार लिया। उन्होंने कहा, “हमने टैक्टिकल गलतियों को समझा, उन्हें ठीक किया, और दो दिन बाद फिर से हमले शुरू किए।” 10 मई को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के अंदर 300 किलोमीटर तक गहरे ठिकानों पर हमला किया, जिसमें रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस भी शामिल था। इंडियन एक्सप्रेस की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 11 पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें सरगोधा, भोलारी, और जैकबाबाद जैसे प्रमुख ठिकाने शामिल थे। इन हमलों में ब्रह्मोस, स्कैल्प, और रैम्पेज मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ, जिन्होंने पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणाली को पूरी तरह बेकार कर दिया। भारत ने डमी विमानों का भी इस्तेमाल किया, जो पाकिस्तानी रडार को भ्रमित करने के लिए भेजे गए। इससे पाकिस्तान की HQ-9 मिसाइल सिस्टम की लोकेशन उजागर हो गई, जिसे बाद में नष्ट कर दिया गया। इस रणनीति ने भारत को एक निर्णायक बढ़त दिलाई और ऑपरेशन को सफल बनाया।
पाकिस्तान का जवाब और नुकसान?
पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में 7 और 8 मई को भारत पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए। लेकिन भारतीय वायुसेना की इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) ने इन हमलों को नाकाम कर दिया। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने S-400, MRSAM, और आकाश मिसाइल सिस्टम का इस्तेमाल करके पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों को नष्ट किया। दूसरी ओर, भारत के हमलों ने पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया। फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट में बताया गया कि पाकिस्तान के रिटायर्ड एयर मार्शल मसूद अख्तर ने स्वीकार किया कि भोलारी एयरबेस पर एक AWACS विमान ब्रह्मोस मिसाइल की चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हो गया। इसके अलावा, इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि पाकिस्तान के 20% हवाई बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा, जिसमें कई F-16 और JF-17 विमान नष्ट हुए। पाकिस्तान ने पहले इन नुकसानों को छिपाने की कोशिश की, लेकिन बाद में 11 सैन्य कर्मियों की मौत की पुष्टि की। इन नुकसानों ने पाकिस्तान को 10 मई को सीजफायर के लिए मजबूर किया।
क्या थी भारत की रणनीति? डमी विमानों का खेल?
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का एक बड़ा कारण भारत की चतुर रणनीति थी। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना ने डमी विमानों का इस्तेमाल किया, जो असली लड़ाकू विमानों की तरह दिखते थे। इन डमी विमानों ने पाकिस्तान की चीनी निर्मित HQ-9 मिसाइल सिस्टम को सक्रिय कर दिया, जिससे उनकी लोकेशन उजागर हो गई। इसके बाद भारत ने ब्रह्मोस, स्कैल्प, और क्रिस्टल मेज़ मिसाइलों से सटीक हमले किए। इस रणनीति ने पाकिस्तान की हवाई रक्षा प्रणाली को पूरी तरह नाकाम कर दिया। इंडियन एक्सप्रेस की एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि भारत ने 15 ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिसने पाकिस्तान के 11 में से 12 प्रमुख हवाई ठिकानों को नष्ट कर दिया। इस रणनीति ने न सिर्फ भारत की तकनीकी श्रेष्ठता दिखाई, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम है। इस ऑपरेशन में भारत ने अंतरिक्ष, साइबर, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के क्षेत्र में भी अपनी ताकत दिखाई।
पाकिस्तान की गलत सूचनाएं और भारत का जवाब?
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने गलत सूचनाएं फैलाने की कोशिश की। फर्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत के हमलों से उनके नागरिक क्षेत्रों को नुकसान पहुंचा। लेकिन PIB फैक्ट चेक और भारतीय रक्षा अधिकारियों ने इन दावों को खारिज कर दिया। जनरल चौहान ने शांगरी-ला डायलॉग में कहा कि 15% समय गलत सूचनाओं का जवाब देने में खर्च हुआ। भारत ने सत्यापित तथ्यों और सबूतों के आधार पर अपनी कहानी को सामने रखा, भले ही इसमें समय लगा। उदाहरण के लिए, भारतीय वायुसेना ने हमलों के बाद पाकिस्तानी ठिकानों की सैटेलाइट तस्वीरें जारी कीं, जिसमें भोलारी और सरगोधा जैसे ठिकानों को हुआ नुकसान साफ दिख रहा था। यह रणनीति न सिर्फ पाकिस्तान की गलत सूचनाओं को नाकाम करने में कामयाब रही, बल्कि भारत की विश्वसनीयता को भी बढ़ाया। इसने दुनिया को दिखाया कि भारत न सिर्फ सैन्य ताकत में, बल्कि सूचना युद्ध में भी मजबूत है।
क्या था चीन का रोल?
पाकिस्तान और चीन के करीबी रिश्तों के बावजूद, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन की कोई सक्रिय भागीदारी नहीं दिखी। जनरल चौहान ने रॉयटर्स को बताया कि 22 अप्रैल से शुरू हुए इस संघर्ष के दौरान भारत के उत्तरी सीमा पर कोई असामान्य गतिविधि नहीं देखी गई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने शायद चीनी या पश्चिमी सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल किया हो, लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं है। यह बात भारत के लिए राहत की थी, क्योंकि चीन की भागीदारी स्थिति को और जटिल कर सकती थी। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान ने चीनी निर्मित हथियारों, जैसे HQ-9B मिसाइल सिस्टम और J-10C लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया। लेकिन भारत की उन्नत तकनीक और रणनीति ने इन हथियारों को बेअसर कर दिया। इसने न सिर्फ भारत की सैन्य ताकत को दिखाया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के अपने दुश्मनों का सामना कर सकता है।
डोनाल्ड ट्रम्प का दावा: सच्चाई या प्रचार?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध को रोका। लेकिन जनरल चौहान ने इस दावे को “अतिशयोक्ति” करार दिया। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चौहान ने कहा कि दोनों देशों ने समझदारी से काम लिया और परमाणु युद्ध का कोई खतरा नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संचार के चैनल हमेशा खुले रहे, जिसने स्थिति को नियंत्रित करने में मदद की। भारत ने साफ किया कि सीजफायर सैन्य नेताओं के बीच सीधी बातचीत से हुआ, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से। ट्रम्प का यह दावा उनके व्यापार कूटनीति के दावों का हिस्सा था, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके द्वारा लगाए गए टैरिफ ने चीन को कमजोर किया। लेकिन भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह भारत की रणनीति और ताकत का नतीजा था।
भविष्य की राह: भारत की तैयारियां?
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत को कई सबक सिखाए। पहला, हमें अपनी रणनीति को लगातार अपडेट करने की जरूरत है। जनरल चौहान ने कहा कि भारत ने अपनी गलतियों से सीखा और जल्दी ही उन्हें सुधारा। दूसरा, सूचना युद्ध और साइबर युद्ध जैसे नए क्षेत्रों में भी हमें मजबूत होना होगा। भारत ने इस ऑपरेशन में अंतरिक्ष, साइबर, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में अपनी ताकत दिखाई। भविष्य में, हमें ड्रोन युद्ध, AI, और उन्नत मिसाइल सिस्टम पर और निवेश करना होगा। इसके अलावा, भारत को अपने युवाओं को सैन्य और तकनीकी क्षेत्रों में प्रशिक्षित करने की जरूरत है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह भी दिखाया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को तैयार है। सरकार ने साफ किया कि अगर भविष्य में पाकिस्तान से कोई और आतंकी हमला हुआ, तो भारत का जवाब और भी सख्त होगा। यह ऑपरेशन भारत की सैन्य और कूटनीतिक ताकत का एक शानदार उदाहरण है।