FPV ड्रोन: यूक्रेन-रूस युद्ध का नया हथियार?

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FPV ड्रोन: यूक्रेन-रूस युद्ध का नया हथियार?

क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटा सा ड्रोन युद्ध के मैदान को कैसे बदल सकता है? यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में FPV (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन ने सबका ध्यान खींचा है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन ने 1 जून 2025 को “ऑपरेशन स्पाइडर वेब” में इन ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रूस के 40 से ज्यादा सैन्य विमानों को नष्ट किया। यह हमला रूस के चार प्रमुख हवाई ठिकानों पर हुआ, जो यूक्रेन की सीमा से 4000 किलोमीटर तक दूर थे। FPV ड्रोन छोटे, सस्ते, और बेहद सटीक हथियार हैं, जो ऑपरेटर को रियल-टाइम वीडियो फीड देते हैं, जैसे कि वह ड्रोन के कॉकपिट में बैठा हो। इन ड्रोन्स को रूस में गुप्त रूप से तस्करी कर “मोबाइल वुडन हाउसेस” में छिपाया गया था, जिन्हें ट्रकों पर ले जाया गया। इस ऑपरेशन ने न सिर्फ रूस को चौंकाया, बल्कि यह भी दिखाया कि ड्रोन युद्ध की दुनिया में कितना बड़ा बदलाव ला रहे हैं। आइए, इस लेख में हम FPV ड्रोन्स की ताकत, उनके इस्तेमाल, और यूक्रेन-रूस युद्ध पर उनके प्रभाव को समझते हैं।

ऑपरेशन स्पाइडर वेब: यूक्रेन का सबसे बड़ा ड्रोन हमला?

ऑपरेशन स्पाइडर वेब यूक्रेन का अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला था। इंडियन एक्सप्रेस और हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस (SBU) ने 1 जून 2025 को रूस के चार हवाई ठिकानों—बेलाया, डायगिलेवो, ओलेन्या, और इवानोवो—पर 117 FPV ड्रोन्स के जरिए हमला किया। इन ड्रोन्स ने रूस के Tu-95 और Tu-22 जैसे स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स को निशाना बनाया, जिनका इस्तेमाल रूस यूक्रेन पर मिसाइल हमले करने के लिए करता था। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इस ऑपरेशन को “शानदार” बताया और कहा कि इसे 18 महीने की गुप्त योजना के बाद अंजाम दिया गया। ड्रोन्स को रूस में तस्करी कर ट्रकों पर लदे मोबाइल वुडन केबिन्स में छिपाया गया था। इन केबिन्स की छतें रिमोट से खोली गईं, और ड्रोन्स ने हवाई ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस हमले ने रूस के 34% स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स को नुकसान पहुंचाया, जिसकी कीमत 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा थी। यह ऑपरेशन ड्रोन युद्ध की ताकत को दिखाता है।

FPV ड्रोन क्या हैं और कैसे काम करते हैं?

FPV ड्रोन यानी फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन, छोटे और हल्के ड्रोन होते हैं, जिनके सामने एक कैमरा लगा होता है। यह कैमरा ऑपरेटर को रियल-टाइम वीडियो फीड देता है, जिसे वह खास गॉगल्स के जरिए देखता है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ये ड्रोन 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकते हैं और 1-1.5 किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकते हैं। इनका सबसे बड़ा फायदा उनकी सटीकता और कम लागत है—एक FPV ड्रोन की कीमत करीब 500 डॉलर (लगभग 42,000 रुपये) होती है, जो पारंपरिक हथियारों की तुलना में बहुत सस्ता है। ऑपरेटर इन ड्रोन्स को रिमोट कंट्रोलर और गॉगल्स के जरिए उड़ाता है, जैसे कि वह वीडियो गेम खेल रहा हो। लेकिन इनकी एक कमी यह है कि ऑपरेटर को ड्रोन के आसपास का माहौल नहीं दिखता, जिसके लिए कभी-कभी एक अलग रिकॉन्सन्स ड्रोन की जरूरत पड़ती है। यूक्रेन ने इन ड्रोन्स को टैंकों, सैन्य वाहनों, और यहां तक कि हेलिकॉप्टर्स को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल किया है।

यूक्रेन ने FPV ड्रोन्स का इस्तेमाल कैसे शुरू किया?

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से ही ड्रोन्स का इस्तेमाल बढ़ गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स और द गार्जियन की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन ने 2022 में कमर्शियल ड्रोन्स, जैसे DJI Mavic, को युद्ध में इस्तेमाल करना शुरू किया। लेकिन जैसे-जैसे युद्ध बढ़ा, यूक्रेन ने FPV ड्रोन्स पर ध्यान दिया, जो सस्ते और ज्यादा सटीक थे। शुरुआत में ये ड्रोन रेसिंग और फिल्ममेकिंग के लिए बनाए गए थे, लेकिन यूक्रेन ने इन्हें विस्फोटकों के साथ जोड़कर हथियार बना दिया। 2024 में यूक्रेन ने 10 लाख से ज्यादा FPV ड्रोन बनाए, और 2025 में यह संख्या 45 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में बताया गया कि यूक्रेन की कंपनी 3DTech ने “खजाक REBOff” नाम का एक अनजैमेबल FPV ड्रोन बनाया, जो फाइबर ऑप्टिक केबल्स से कंट्रोल होता है। ये ड्रोन रूस के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) सिस्टम्स को चकमा दे सकते हैं। यूक्रेन की यह रणनीति सिविल सोसाइटी और प्राइवेट फंडिंग से चली, जिसमें लोग अपने घरों में ड्रोन असेंबल करते थे।

ऑपरेशन स्पाइडर वेब रूस नुकसान

रूस के खिलाफ FPV ड्रोन्स की ताकत?

FPV ड्रोन्स ने यूक्रेन को रूस के खिलाफ एक बड़ी बढ़त दी है। हिंदुस्तान टाइम्स और पॉलिटिको की रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑपरेशन स्पाइडर वेब में यूक्रेन ने 117 FPV ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रूस के 41 सैन्य विमानों को नष्ट किया। इनमें Tu-95, Tu-22M, और A-50 जैसे विमान शामिल थे, जो रूस के लंबी दूरी के मिसाइल हमलों के लिए अहम थे। इन ड्रोन्स की खासियत यह है कि ये सस्ते होने के साथ-साथ रूस के एयर डिफेंस सिस्टम्स को चकमा दे सकते हैं। वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में बताया गया कि FPV ड्रोन इतने सटीक होते हैं कि वे टैंकों के कमजोर हिस्सों, जैसे इंजन और ट्रैक्स, को निशाना बना सकते हैं। यूक्रेन ने इन ड्रोन्स को रूस के अंदर गहरे तक पहुंचाने के लिए ट्रकों और मोबाइल केबिन्स का इस्तेमाल किया, जो रूस के लिए एक बड़ा झटका था। इसने रूस को अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को फिर से डिज़ाइन करने के लिए मजबूर किया।

रूस की प्रतिक्रिया: क्या कर रहा है रूस?

रूस ने भी FPV ड्रोन्स का इस्तेमाल शुरू किया है, लेकिन यूक्रेन की तुलना में उनकी रणनीति कम प्रभावी रही है। इंडियन एक्सप्रेस और यूरोमेडन प्रेस की रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस ने यूक्रेन के ड्रोन हमलों का जवाब देने के लिए अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की कोशिश की। रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि इवानोवो, रियाज़ान, और अमूर हवाई ठिकानों पर हमले नाकाम कर दिए गए। लेकिन बेलाया और ओलेन्या हवाई ठिकानों पर हुए नुकसान को वे छिपा नहीं सके। रूस ने चीनी निर्मित ड्रोन्स और ईरान के शाहेद-136 ड्रोन्स का इस्तेमाल भी किया, जो सस्ते और लंबी दूरी तक हमला करने में सक्षम हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया कि रूस हर दिन 4000 ड्रोन बना रहा है। लेकिन यूक्रेन की तरह रूस में ड्रोन प्रोडक्शन सिविल सोसाइटी पर निर्भर नहीं है, जिसके कारण उनकी तकनीक में उतनी तेजी से बदलाव नहीं हो रहा। रूस के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम्स भी यूक्रेन के फाइबर ऑप्टिक ड्रोन्स के सामने कमजोर पड़ रहे हैं।

ड्रोन युद्ध की चुनौतियां: क्या हैं कमियां?

FPV ड्रोन्स भले ही युद्ध में गेम-चेंजर साबित हुए हों, लेकिन इनकी भी अपनी सीमाएं हैं। इंडियन एक्सप्रेस और द गार्जियन की रिपोर्ट्स के अनुसार, इन ड्रोन्स की रेंज कुछ किलोमीटर तक ही सीमित होती है, और ऑपरेटर को आसपास का माहौल देखने के लिए दूसरा रिकॉन्सन्स ड्रोन चाहिए। इसके अलावा, रूस के इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम्स इन ड्रोन्स के सिग्नल को जैम कर सकते हैं। हालांकि, यूक्रेन ने फाइबर ऑप्टिक कंट्रोल वाले ड्रोन्स बनाकर इस समस्या को हल करने की कोशिश की है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट में बताया गया कि फाइबर ऑप्टिक ड्रोन, जैसे खजाक REBOff, जैमिंग को बायपास कर सकते हैं, लेकिन इनके केबल्स नाजुक होते हैं और आसानी से टूट सकते हैं। इसके लिए खास अनस्पूलिंग मैकेनिज्म की जरूरत होती है। एक और चुनौती यह है कि FPV ड्रोन ऑपरेटर को बहुत ज्यादा ट्रेनिंग चाहिए, क्योंकि इन्हें उड़ाना वीडियो गेम से भी मुश्किल है। फिर भी, इन ड्रोन्स की सस्ती कीमत और सटीकता उन्हें युद्ध में अनमोल बनाती है।

रूस Tu-95 बॉम्बर ड्रोन हमला

ड्रोन युद्ध का भविष्य: AI और नई तकनीक?

FPV ड्रोन्स का भविष्य और भी रोमांचक है। रॉयटर्स और अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन और रूस दोनों ही ड्रोन युद्ध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं। AI से लैस ड्रोन दुश्मन के उपकरणों को पहचान सकते हैं और ऑटोनॉमस अटैक कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यूक्रेन का स्काउट ड्रोन 64 तरह के सैन्य उपकरणों को पहचान सकता है, भले ही वे छिपे हों। इंसाइड अनमैन्ड सिस्टम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया कि यूक्रेन ने ड्रोन-टू-ड्रोन अटैक की तकनीक विकसित की है, जिसमें FPV ड्रोन रूस के बड़े ड्रोन्स, जैसे ओरलान-10, को मार गिराते हैं। भविष्य में, ड्रोन स्वार्म्स (झुंड हमले) और फाइबर ऑप्टिक कंट्रोल के साथ ड्रोन युद्ध और खतरनाक हो सकता है। यूक्रेन ने 2024 में ड्रोन के लिए एक अलग सैन्य शाखा बनाई, जो दिखाता है कि ड्रोन अब युद्ध का अहम हिस्सा हैं। यह तकनीक भारत जैसे देशों के लिए भी सबक है, जहां ड्रोन रक्षा प्रणाली को मजबूत करना जरूरी हो सकता है।

भारत के लिए सबक: ड्रोन युद्ध की अहमियत?

यूक्रेन-रूस युद्ध ने भारत जैसे देशों के लिए ड्रोन युद्ध की अहमियत को उजागर किया है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में विशेषज्ञ ब्रायन शुगरट ने चेतावनी दी कि ड्रोन हमले हवाई ठिकानों के लिए बड़ा खतरा हैं। भारत, जो ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों में ड्रोन्स का इस्तेमाल कर चुका है, को अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को और मजबूत करना होगा। फर्स्टपोस्ट और द हिंदू की रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों और डमी ड्रोन्स का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के हवाई ठिकानों को नष्ट किया था। लेकिन FPV ड्रोन्स की सस्ती कीमत और सटीकता भारत के लिए एक नया अवसर हो सकती है। भारत को अपनी ड्रोन तकनीक में निवेश बढ़ाने और सिविल सोसाइटी को शामिल करने की जरूरत है, जैसा कि यूक्रेन ने किया। साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और फाइबर ऑप्टिक ड्रोन्स जैसी नई तकनीकों पर ध्यान देना होगा। यह युद्ध दिखाता है कि भविष्य के युद्धों में ड्रोन और AI की भूमिका और बढ़ेगी।

ड्रोन युद्ध का वैश्विक प्रभाव?

यूक्रेन-रूस युद्ध में FPV ड्रोन्स का इस्तेमाल दुनिया भर के सैन्य विशेषज्ञों का ध्यान खींच रहा है। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स और अटलांटिक काउंसिल की रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह युद्ध दुनिया का पहला बड़े पैमाने का ड्रोन युद्ध है। FPV ड्रोन्स ने दिखाया कि सस्ते और सटीक हथियार महंगे सैन्य उपकरणों, जैसे टैंक और विमान, को नष्ट कर सकते हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया कि यूक्रेन के ड्रोन्स ने रूस के 19 अब्राम्स टैंकों को नष्ट किया, जो अमेरिका ने यूक्रेन को दिए थे। यह दिखाता है कि ड्रोन पारंपरिक हथियारों की जगह ले सकते हैं। साथ ही, यह युद्ध अन्य देशों, जैसे भारत, इज़राइल, और अमेरिका, को अपनी ड्रोन तकनीक को अपग्रेड करने के लिए प्रेरित कर रहा है। लेकिन इसके साथ ही सवाल उठता है कि क्या ड्रोन युद्ध दुनिया को और खतरनाक बना देगा। ड्रोन्स की आसान उपलब्धता आतंकी संगठनों के लिए भी खतरा बन सकती है। इसलिए, वैश्विक स्तर पर ड्रोन नियमों को और सख्त करना होगा।

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