18 मई 2025 को हैदराबाद के ऐतिहासिक चारमीनार के पास गुलजार हाउस में एक भयानक आग लगी, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई, जिनमें 8 बच्चे (1.5 से 13 साल) और 5 महिलाएं शामिल थीं। यह आग सुबह 5:30 बजे एक सदी पुरानी तीन मंजिला इमारत में लगी, जिसमें मोती व्यापारी प्रह्लाद मोदी का परिवार वीकेंड मिलन के लिए जमा हुआ था। आग की वजह संदिग्ध शॉर्ट सर्किट मानी जा रही है, जो ग्राउंड फ्लोर की श्रीकृष्णा पर्ल्स दुकान से शुरू हुई। संकरी गलियां और प्रवेश द्वार ने बचाव कार्य को मुश्किल बना दिया। 10 लोग घायल हुए, जो अस्पताल में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता राशि दी। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने जांच के आदेश दिए और 5 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की। आइए, इस त्रासदी की पूरी कहानी, कारण, और बचाव के तरीकों को आसान भाषा में समझें।
गुलजार हाउस में आग: क्या हुआ?
18 मई को सुबह 5:30 बजे गुलजार हाउस की एक पुरानी तीन मंजिला इमारत में आग लगी। यह इमारत चारमीनार के पास एक तंग गली में थी, जहां मोदी परिवार रहता था। आग ग्राउंड फ्लोर पर श्रीकृष्णा पर्ल्स दुकान से शुरू हुई और तेजी से ऊपरी मंजिलों तक फैल गई। प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट को कारण बताया गया। आग इतनी तेज थी कि परिवार के 17 लोग, जिनमें 8 बच्चे और 5 महिलाएं थीं, फंस गए। संकरी गलियों और छोटे प्रवेश द्वार ने फायर ब्रिगेड के लिए बचाव को मुश्किल बना दिया। 10 घायल लोगों को अस्पताल ले जाया गया। स्थानीय लोगों, जैसे मिर ज़ाहिद और मोहम्मद अज़मथ, ने दीवार तोड़कर बचाव की कोशिश की, लेकिन आग ने सब कुछ तबाह कर दिया।
मोदी परिवार की त्रासदी: तीन पीढ़ियों का नुकसान?
मोदी परिवार गुलजार हाउस में मोती व्यापार के लिए मशहूर था, जिसकी जड़ें निज़ाम युग तक जाती थीं। परिवार के मुखिया प्रह्लाद मोदी और उनके रिश्तेदार वीकेंड मिलन के लिए इकट्ठा हुए थे। इस आग में तीन पीढ़ियों—1.5 साल के प्रथम से 73 साल के बुजुर्ग तक—के 17 लोग मारे गए। इनमें 8 बच्चे (1.5 से 13 साल) और 5 महिलाएं थीं। परिवार का 36 साल का सदस्य पंकज बाहर निकला था, लेकिन अपनी पत्नी और बच्चों को बचाने वापस गया और जान गंवा दी। यह नुकसान चारमीनार के व्यापारी समुदाय के लिए बड़ा झटका है।
संकरी गलियां: क्यों मुश्किल हुआ बचाव?
आग वाली इमारत एक तंग गली में थी, जिसके दो संकरे प्रवेश द्वार थे। यह गली टनल जैसी थी, जिससे फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को अंदर पहुंचने में दिक्कत हुई। आग तेजी से फैली, और धुएं ने इमारत को घेर लिया, जिससे लोग बाहर नहीं निकल सके। फायर डिपार्टमेंट को सुबह 6:30 बजे कॉल मिली, और 11 फायर टेंडर मौके पर पहुंचे। लेकिन, संकरी गलियों और इमारत की पुरानी संरचना ने बचाव को मुश्किल बना दिया। स्थानीय लोगों ने दीवार तोड़ी, लेकिन आग की लपटें रुक नहीं सकीं।
स्थानीय नायकों की कोशिश: मिर ज़ाहिद और मोहम्मद अज़मथ?
आग लगने के दौरान, मिर ज़ाहिद और मोहम्मद अज़मथ, जो सुबह की नमाज़ के बाद लौट रहे थे, ने चीखें सुनीं। उन्होंने तुरंत दीवार तोड़कर लोगों को बचाने की कोशिश की। ज़ाहिद ने बताया कि दो महिलाएं बालकनी में फंसी थीं, और उन्होंने उन्हें निकालने की कोशिश की। लेकिन, आग और धुआं इतना घना था कि ज्यादा लोग नहीं बच सके। इन स्थानीय नायकों की बहादुरी ने समुदाय में उम्मीद जगाई, भले ही नुकसान बड़ा था। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी मौके का दौरा किया और पीड़ितों के लिए समर्थन जताया।
सरकार का जवाब: सहायता और जांच?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने X पर लिखा, “हैदराबाद की आग त्रासदी से गहरी पीड़ा हुई। मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना। घायलों के जल्द ठीक होने की कामना।” उन्होंने मृतकों के परिजनों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता राशि दी। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने 5 लाख रुपये की सहायता और गहन जांच के आदेश दिए। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने दावा किया कि फायर टेंडर देर से पहुंचे, जिससे नुकसान बढ़ा। सरकार ने घायलों के लिए मुफ्त इलाज और पीड़ित परिवारों के लिए तुरंत मदद का वादा किया।
समुदाय का दर्द: ओस्मानिया अस्पताल में मातम?
आग के बाद, ओस्मानिया जनरल अस्पताल का मुर्दाघर दुख और अराजकता का दृश्य बन गया। सुबह 11:30 बजे से शव अलग-अलग अस्पतालों से पहुंचे। परिवार वाले, कुछ सदमे में, कुछ आंसुओं में, अपने प्रियजनों की आखिरी झलक पाने के लिए इकट्ठा हुए। गुलजार हाउस के व्यापारी और पड़ोसी भी शोक में डूबे थे। चारमीनार का व्यापारी समुदाय, जो सुबह दुकानें खोल रहा था, इस खबर से स्तब्ध रह गया। यह त्रासदी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की हानि थी।
आग का कारण: शॉर्ट सर्किट की आशंका?
फायर डिपार्टमेंट की शुरुआती जांच में पता चला कि आग श्रीकृष्णा पर्ल्स दुकान में शॉर्ट सर्किट से शुरू हुई। यह दुकान इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर थी, और पुरानी वायरिंग ने आग को तेजी से फैलने में मदद की। विशेषज्ञों का कहना है कि पुरानी इमारतों में खराब इलेक्ट्रिकल सिस्टम और सुरक्षा मानकों की कमी बड़ा खतरा है। गुलजार हाउस जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में यह समस्या आम है। जांच जारी है ताकि सटीक कारण और जिम्मेदारी तय हो सके।
हैदराबाद में आग की घटनाएं: पहले भी हुईं त्रासदियां?
हैदराबाद में यह पहली आग की घटना नहीं है। 15 मई 2025 को अफज़लगंज में एक बहुमंजिला इमारत में आग लगी, जिसमें 7 लोग बाल-बाल बचे। उसी दिन मेडचल में एक बस में आग लगी, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। पुराने शहर के घने इलाकों, जैसे गुलजार हाउस, में संकरी गलियां और पुरानी इमारतें आग के लिए जोखिम बढ़ाती हैं। इन घटनाओं से साफ है कि शहर में फायर सेफ्टी को और सख्त करना होगा।
फायर सेफ्टी टिप्स: अपने घर को सुरक्षित रखें?
इस त्रासदी से हमें फायर सेफ्टी की अहमियत समझनी चाहिए। ये आसान टिप्स अपनाएं:
1. स्मोक डिटेक्टर लगाएं: हर मंजिल पर स्मोक अलार्म लगाएं और महीने में चेक करें।
2. इलेक्ट्रिकल सिस्टम चेक करें: पुरानी वायरिंग बदलें और ओवरलोडिंग से बचें।
3. फायर एक्सटिंग्विशर रखें: घर और दुकान में छोटा फायर एक्सटिंग्विशर रखें।
4. इमरजेंसी प्लान बनाएं: परिवार के साथ निकासी योजना बनाएं और अभ्यास करें।
5. सुरक्षा नियम फॉलो करें: गैस सिलेंडर और बिजली के उपकरण सावधानी से इस्तेमाल करें।
अपने आसपास के फायर स्टेशन का नंबर सेव करें।
आगे क्या? जांच और जवाबदेही?
तेलंगाना सरकार ने इस आग की गहन जांच के आदेश दिए हैं। सीएम रेवंत रेड्डी ने कहा कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। फायर डिपार्टमेंट पुरानी इमारतों की सुरक्षा जांच शुरू करेगा। यह त्रासदी हमें पुराने शहरों में फायर सेफ्टी, बेहतर सड़कों, और आपातकालीन सेवाओं की जरूरत बताती है। क्या आपने अपने घर में फायर सेफ्टी चेक की है? अपनी राय कमेंट में शेयर करें, और ताजा अपडेट्स के लिए [यहां क्लिक करें]