भारत 2025 में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: क्या है इसकी कहानी?

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भारत 2025 में चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: क्या है इसकी कहानी?

25 मई 2025 को नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने घोषणा की कि भारत ने जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अप्रैल 2025 वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार, भारत की नॉमिनल जीडीपी 4.19 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो जापान के 4.186 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ा अधिक है। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि यह 2024 तक पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। सुब्रह्मण्यम ने कहा, “हम अब 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं, और यह आईएमएफ का डेटा है।” उन्होंने यह भी अनुमान लगाया कि अगले 2.5-3 साल में भारत जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आईएमएफ ने भारत को अगले दो वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बताया है, जिसकी वृद्धि दर 2025 में 6.2% और 2026 में 6.3% रहने की उम्मीद है। यह वृद्धि निजी खपत, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, और जनसांख्यिकीय लाभ से प्रेरित है। लेकिन वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी टैरिफ जैसे चुनौतियां भी हैं। यह लेख भारत की इस उपलब्धि, दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्थाओं, और भविष्य की संभावनाओं को सरल हिंदी में समझाएगा। क्या भारत जल्द ही तीसरा स्थान हासिल करेगा? [भारत अर्थव्यवस्था 2025] पढ़ें।

दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्थाएं: कौन है लिस्ट में?

आईएमएफ के 2025 वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार, दुनिया की टॉप 10 अर्थव्यवस्थाएं नॉमिनल जीडीपी के आधार पर रैंक की गई हैं। अमेरिका 30.51 ट्रिलियन डॉलर के साथ पहले स्थान पर है, इसके बाद चीन 19.23 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरा। जर्मनी 4.74 ट्रिलियन डॉलर के साथ तीसरे स्थान पर है, जबकि भारत 4.19 ट्रिलियन डॉलर के साथ चौथे स्थान पर जापान (4.186 ट्रिलियन) को पछाड़ चुका है। पांचवें से दसवें स्थान पर क्रमशः यूनाइटेड किंगडम (3.84 ट्रिलियन), फ्रांस, इटली, कनाडा, दक्षिण कोरिया, और ब्राजील हैं। भारत की यह उपलब्धि उल्लेखनीय है, क्योंकि इसका जीडीपी पिछले दशक में 100% बढ़ा है। भारत की युवा जनसंख्या और सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से टेक्नोलॉजी और आउटसोर्सिंग, ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत अभी भी पीछे है, जो इसकी विशाल जनसंख्या के कारण है। अन्य देशों की तुलना में, अमेरिका और चीन का जीडीपी भारत से क्रमशः 7.3 और 4.6 गुना बड़ा है। जापान की उम्रदराज जनसंख्या के कारण उसकी वृद्धि धीमी हो रही है, जबकि भारत का जनसांख्यिकीय लाभ इसे आगे ले जा रहा है। क्या भारत की यह रैंकिंग बरकरार रहेगी? [टॉप 10 अर्थव्यवस्थाएं] जानें।

भारत ने जापान को कैसे पीछे छोड़ा?

भारत का जापान को पछाड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना एक बड़ी उपलब्धि है। आईएमएफ के अनुसार, 2025-26 में भारत की नॉमिनल जीडीपी 4.287 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो जापान के 4.186 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। भारत की यह वृद्धि निजी खपत, ग्रामीण क्षेत्रों में मांग, और सेवा क्षेत्र की ताकत से प्रेरित है। भारत की युवा और बढ़ती कार्यबल जनसंख्या ने इसे जापान पर बढ़त दी, जहां उम्रदराज जनसंख्या के कारण आर्थिक वृद्धि धीमी है। 1990 के दशक से भारत के आर्थिक सुधार, जैसे उदारीकरण और विदेशी निवेश को बढ़ावा, ने इस प्रगति को गति दी। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा, “भारत अब टेकऑफ स्टेज पर है, और अगले 20-25 साल तक इसका जनसांख्यिकीय लाभ इसे तेजी से बढ़ने में मदद करेगा।” दूसरी ओर, जापान की अर्थव्यवस्था उच्च प्रति व्यक्ति आय के बावजूद, श्रम बल की कमी से जूझ रही है। हालांकि, भारत को प्रति व्यक्ति आय, भ्रष्टाचार, और बुनियादी ढांचे जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह उपलब्धि भारत के लिए गर्व का क्षण है, लेकिन क्या यह गति बरकरार रहेगी? [भारत बनाम जापान] पढ़ें।

भारत की आर्थिक वृद्धि: क्या हैं प्रमुख कारण?

भारत की आर्थिक वृद्धि के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। आईएमएफ के अनुसार, 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.2% रहेगी, जो वैश्विक औसत 2.8% से कहीं अधिक है। निजी खपत, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, इस वृद्धि का मुख्य इंजन है। भारत की युवा जनसंख्या, जो दुनिया में सबसे बड़ी है, ने कार्यबल को मजबूती दी है। सेवा क्षेत्र, विशेष रूप से आईटी, सॉफ्टवेयर, और बिजनेस आउटसोर्सिंग, भारत का प्रमुख निर्यात है। 1990 के दशक के उदारीकरण ने विदेशी निवेश को आकर्षित किया, जिससे औद्योगिक और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिला। सरकार की योजनाएं, जैसे मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया, ने भी आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया है। नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल मीटिंग में पीएम मोदी ने राज्यों से ‘विकसित भारत 2047’ के लिए विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने को कहा। हालांकि, भारत को गरीबी, बेरोजगारी, और बुनियादी ढांचे की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। प्रति व्यक्ति आय 2600 डॉलर के आसपास है, जो अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से कम है। फिर भी, भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वैश्विक मंच पर इसकी स्थिति को मजबूत कर रही है। क्या ये कारण भारत को तीसरे स्थान तक ले जाएंगे? [भारत आर्थिक वृद्धि] जानें।

वैश्विक चुनौतियां: व्यापार तनाव का असर?

वैश्विक चुनौतियां: व्यापार तनाव का असर?

वैश्विक व्यापार तनाव भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए एक बड़ी चुनौती है। आईएमएफ ने 2025 के लिए वैश्विक विकास दर को 2.8% तक कम कर दिया है, जो अमेरिकी टैरिफ और व्यापार नीति अनिश्चितताओं के कारण है। अप्रैल 2025 में अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 27% टैरिफ लगाया, जो बाद में 10% तक कम हुआ। इन टैरिफ्स ने भारत के निर्यात और मुद्रा स्थिरता पर असर डाला। आईएमएफ के आर्थिक सलाहकार पियरे-ओलिवियर गौरिनचास ने कहा, “बाजार पहुंच की अनिश्चितता ने कई कंपनियों को निवेश रोकने के लिए मजबूर किया है।” भारत की वृद्धि दर भी 6.5% से घटकर 6.2% हो गई है, जो वैश्विक व्यापार में कमी को दर्शाता है। नीति आयोग के सीईओ ने डोनाल्ड ट्रम्प के “अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग” वाले बयान पर कहा कि भारत अभी भी एक सस्ता मैन्युफैक्चरिंग हब बना रहेगा। भारत को अपनी निर्यात रणनीति को मजबूत करने और घरेलू मांग पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन और मुद्रास्फीति जैसे मुद्दे भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं। क्या भारत इन चुनौतियों से पार पा सकेगा?

भारत का जनसांख्यिकीय लाभ: युवा शक्ति की भूमिका?

भारत की आर्थिक सफलता में उसका जनसांख्यिकीय लाभ एक प्रमुख कारक है। भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, और इसकी युवा जनसंख्या (50% से अधिक 25 वर्ष से कम) कार्यबल को मजबूती दे रही है। आईएमएफ के अनुसार, भारत का कार्यबल अगले 20-25 वर्षों तक बढ़ेगा, जबकि जापान और अन्य विकसित देश उम्रदराज जनसंख्या से जूझ रहे हैं। नीति आयोग के सीईओ ने कहा, “भारत की युवा शक्ति इसे तेजी से बढ़ने में मदद कर रही है।” टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप्स, और सेवा क्षेत्र में युवाओं की भागीदारी ने भारत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है। सरकार की स्किल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाएं युवाओं को रोजगार और उद्यमिता के अवसर दे रही हैं। हालांकि, बेरोजगारी और शिक्षा की गुणवत्ता जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं। भारत को अपने युवाओं को प्रशिक्षित करने और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने की जरूरत है। अन्य देशों की तुलना में, भारत का जनसांख्यिकीय लाभ इसे लंबे समय तक आर्थिक वृद्धि का लाभ दे सकता है। क्या यह लाभ भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएगा?

तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: कब और कैसे?

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने अनुमान लगाया कि भारत 2.5-3 वर्षों में जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। आईएमएफ का अनुमान है कि 2028 तक भारत की जीडीपी 5.58 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। मॉर्गन स्टैनली ने भी कहा कि 2026 तक भारत 4.7 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा, और 2028 तक जर्मनी को पीछे छोड़ देगा। भारत की यह प्रगति निरंतर सुधारों, निजी निवेश, और निर्यात वृद्धि पर निर्भर है। सरकार का ‘विकसित भारत 2047’ विजन इस दिशा में एक रोडमैप है। हालांकि, प्रति व्यक्ति आय में सुधार, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, और बुनियादी ढांचे का विकास जरूरी है। भारत को वैश्विक व्यापार तनाव और मुद्रास्फीति जैसे जोखिमों से भी निपटना होगा। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में 34 ट्रिलियन रुपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश हुआ है, जो आर्थिक वृद्धि को गति देगा। क्या भारत 2028 तक तीसरे स्थान पर पहुंच पाएगा, या चुनौतियां इसे रोकेंगी?

प्रति व्यक्ति आय: भारत क्यों है पीछे?

प्रति व्यक्ति आय: भारत क्यों है पीछे?

भारत की नॉमिनल जीडीपी में वृद्धि के बावजूद, प्रति व्यक्ति आय अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कम है। 2025 में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2600 डॉलर है, जबकि अमेरिका (54,280 डॉलर), जर्मनी, और जापान जैसे देश कहीं आगे हैं। इसकी मुख्य वजह भारत की विशाल जनसंख्या (1.4 बिलियन) है, जो जीडीपी को प्रति व्यक्ति आधार पर कम करती है। हालांकि, परचेजिंग पावर पैरिटी (PPP) के आधार पर भारत की स्थिति बेहतर है, क्योंकि भारत में वस्तुओं और सेवाओं की लागत कम है। उदाहरण के लिए, 10 डॉलर की शर्ट अमेरिका में है, लेकिन भारत में वही शर्ट 200 रुपये (लगभग 2.5 डॉलर) में मिलती है। भारत को प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए तेजी से आर्थिक वृद्धि, शिक्षा, और रोजगार सृजन पर ध्यान देना होगा। गरीबी और असमानता भी बड़ी चुनौतियां हैं। सरकार की योजनाएं, जैसे आयुष्मान भारत और स्किल इंडिया, इन मुद्दों को हल करने की कोशिश कर रही हैं। क्या भारत प्रति व्यक्ति आय में सुधार कर पाएगा?

पीएम मोदी के सुधार: भारत की प्रगति का आधार?

पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई आर्थिक सुधार किए, जो इसकी प्रगति का आधार बने। 1990 के दशक के उदारीकरण के बाद, मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, और स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रम शुरू किए। पिछले नौ वर्षों में 34 ट्रिलियन रुपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश हुआ, जिसमें 40,000 किमी रेलवे लाइनों का विद्युतीकरण शामिल है। 2025 के बजट में 10 ट्रिलियन रुपये का पूंजीगत व्यय रखा गया है। नीति आयोग की 10वीं मीटिंग में मोदी ने राज्यों से ‘विकसित भारत 2047’ के लिए विजन बनाने को कहा। विदेशी निवेश को आसान करने और श्रम कानूनों में सुधार ने भारत को विश्व बैंक के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में 77वें स्थान पर ला दिया। हालांकि, कानूनी सुधार और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण अभी भी जरूरी है। इन सुधारों ने भारत को वैश्विक मंच पर एक आर्थिक शक्ति बनाया है। क्या ये सुधार भारत को तीसरे स्थान तक ले जाएंगे?

भविष्य की राह: भारत का आर्थिक विजन?

भारत का आर्थिक भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। नीति आयोग और मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि 2028 तक भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। 2035 तक भारत की जीडीपी 6.6-10.3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, depending on growth scenarios. ‘विकसित भारत 2047’ का विजन भारत को ऊपरी-मध्य आय वर्ग में ले जाएगा। सरकार को बुनियादी ढांचे, शिक्षा, और स्वास्थ्य में निवेश बढ़ाना होगा। वैश्विक व्यापार तनाव, जलवायु परिवर्तन, और मुद्रास्फीति जैसे जोखिमों से निपटने के लिए रणनीति चाहिए. भारत की युवा जनसंख्या और डिजिटल अर्थव्यवस्था इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं। नीति आयोग ने अगस्त 2025 में दूसरी एसेट मोनेटाइजेशन योजना की घोषणा की है। पीएम का जोर राज्यों की भागीदारी और निर्यात वृद्धि पर है। भारत को अपनी प्रति व्यक्ति आय और सामाजिक सूचकांकों में सुधार पर भी ध्यान देना होगा। क्या भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन पाएगा? [भारत का भविष्य] जानें।

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