मणिपुर में मेटी प्रोटेस्ट्स: इंफाल में क्यों बंद हुए सरकारी दफ्तर?

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Meitei Protesters Lock GSI Offices in Imphal, Detain CEO Amid Tensions

27 मई 2025 को मणिपुर की राजधानी इंफाल में हंगामा मच गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मेटी समुदाय के कार्यकर्ताओं ने दो केंद्रीय सरकारी दफ्तरों—मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ऑफ इंडिया (GSI)—को ताला लगा दिया। यह विरोध उस घटना के खिलाफ था, जिसमें एक सरकारी बस पर “मणिपुर” शब्द को छिपाने के लिए मजबूर किया गया था। यह बस शिरुई लिली फेस्टिवल के लिए उखरूल जा रही थी। मेटी संगठन COCOMI ने इसे मणिपुर की पहचान का अपमान बताया। द हिंदू के अनुसार, कार्यकर्ताओं ने गवर्नर अजय कुमार भल्ला से माफी और तीन वरिष्ठ अधिकारियों के इस्तीफे की मांग की। मणिपुर में मार्च 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है, और मेटी-कुकी तनाव ने हालात को और जटिल कर दिया है।
COCOMI के कार्यकर्ताओं ने लम्फेलपट में CEO ऑफिस में घुसकर कर्मचारियों को बाहर निकाला और गेट लॉक कर दिया। इसके बाद, GSI ऑफिस पर भी यही कार्रवाई हुई। नारे जैसे “माफी माँगो या मणिपुर छोड़ो” गूंज रहे थे। न्यूज9लाइव ने बताया कि इंफाल वैली में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे, और 5 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई। यह विरोध मणिपुर की एकता और पहचान की रक्षा के लिए था। लेकिन क्या यह विरोध शांति लाएगा, या तनाव को और बढ़ाएगा? आइए, इस घटना को गहराई से समझते हैं।

बस विवाद: आखिर क्या है पूरी कहानी?

इस पूरे विवाद की जड़ एक सरकारी बस है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, 20 मई 2025 को मणिपुर स्टेट ट्रांसपोर्ट की एक बस इंफाल से उखरूल के शिरुई लिली फेस्टिवल के लिए जा रही थी। इस बस में पत्रकार और सूचना विभाग के कर्मचारी सवार थे। ग्वालतबी चेकपोस्ट पर केंद्रीय सशस्त्र बलों ने बस को रोका और “मणिपुर स्टेट ट्रांसपोर्ट” लिखे शब्द को सफेद कागज से ढँकने को कहा। द हिंदू ने बताया कि कोई कारण नहीं बताया गया, लेकिन मेटी संगठनों ने इसे मणिपुर की पहचान पर हमला माना। COCOMI ने इसे “राज्य की गौरव और सम्मान” के खिलाफ बताया।
COCOMI ने गवर्नर को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया, लेकिन माफी नहीं मिली। इसके बाद, 24 मई को सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ। न्यूज9लाइव के मुताबिक, कार्यकर्ताओं ने गवर्नर के अलावा मुख्य सचिव पीके सिंह, DGP राजीव सिंह, और सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह के इस्तीफे की मांग की। यह घटना मणिपुर में पहले से चल रहे मेटी-कुकी तनाव को और भड़काने वाली थी। मणिपुर की जनता के लिए यह केवल एक बस का मामला नहीं, बल्कि उनकी पहचान और स्वाभिमान का सवाल है। क्या यह विवाद इतनी आसानी से सुलझ पाएगा?

COCOMI: मेटी समुदाय का नेतृत्वकर्ता?

कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी (COCOMI) मेटी समुदाय का एक प्रमुख संगठन है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, यह इंफाल वैली में मेटी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए काम करता है। COCOMI ने इस विरोध को नेतृत्व दिया, जिसमें छात्र विंग ने भी अहम भूमिका निभाई। न्यूज9लाइव ने बताया कि COCOMI ने नार्को-टेररिज्म और कानून-व्यवस्था पर गृह मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की। यह संगठन मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए दबाव बनाता है।
COCOMI का कहना है कि केंद्रीय बलों की कार्रवाई ने मणिपुर की पहचान को कमज़ोर किया। द हिंदू के अनुसार, संगठन ने गवर्नर को “मणिपुर के अपमान” के लिए जिम्मेदार ठहराया। COCOMI ने पहले भी कई विरोध प्रदर्शन किए हैं, जैसे 2024 में कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग। मणिपुर में मेटी और कुकी समुदायों के बीच मई 2023 से हिंसा चल रही है, जिसमें 260 से अधिक लोग मारे गए हैं। COCOMI इस तनाव में मेटी समुदाय की आवाज़ बनकर उभरा है। लेकिन क्या इसका आक्रामक रुख शांति की राह को और मुश्किल कर देगा?

राष्ट्रपति शासन: मणिपुर में क्या बदला?

मणिपुर में मार्च 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद विधानसभा को निलंबित कर दिया गया। यह फैसला मेटी-कुकी हिंसा को नियंत्रित करने के लिए लिया गया, जो मई 2023 से शुरू हुई थी। हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि हिंसा में अब तक हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। राष्ट्रपति शासन के तहत केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ा दी गई, लेकिन स्थानीय लोग इसे पर्याप्त नहीं मानते।
इस विरोध में COCOMI ने राष्ट्रपति शासन को भी निशाना बनाया। द हिंदू के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने बैनर लगाए, जिन पर लिखा था, “राष्ट्रपति शासन मणिपुर की पहचान का अपमान बंद करे।” मेटी समुदाय का मानना है कि केंद्रीय बल उनकी भावनाओं को समझने में नाकाम रहे। न्यूज9लाइव ने बताया कि गवर्नर को विरोध से बचने के लिए कांगला फोर्ट तक हेलिकॉप्टर से ले जाया गया। मणिपुर की जनता के लिए यह समय बेहद मुश्किल है, और राष्ट्रपति शासन के बावजूद शांति की राह दिखाई नहीं दे रही। क्या यह शासन मणिपुर को एकजुट कर पाएगा?

मणिपुर इंफाल मेटी प्रोटेस्ट्स 2025

मेटी-कुकी तनाव: एक लंबा इतिहास?

मणिपुर में मेटी और कुकी समुदायों के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मई 2023 में मेटी समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) मांग के खिलाफ कुकी समुदाय के विरोध से हिंसा शुरू हुई। हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि इस हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए और हजारों बेघर हुए। इंफाल वैली में मेटी बहुसंख्यक हैं, जबकि पहाड़ी इलाकों में कुकी समुदाय का दबदबा है।
इस बस विवाद ने इस तनाव को और बढ़ा दिया। द हिंदू के अनुसार, मेटी समुदाय का मानना है कि केंद्रीय बल कुकी समुदाय के पक्ष में काम कर रहे हैं। COCOMI ने कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। दूसरी ओर, कुकी संगठनों ने इसे “जातीय उत्पीड़न” बताया। न्यूज9लाइव ने बताया कि 2024 में भी COCOMI ने कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन की मांग की थी। यह तनाव मणिपुर की सामाजिक और राजनीतिक संरचना को और कमज़ोर कर रहा है। क्या दोनों समुदायों के बीच सुलह संभव है?

इंफाल में विरोध: मानव श्रृंखला और मार्च?

इंफाल वैली में विरोध प्रदर्शन बड़े पैमाने पर हुए। न्यूज9लाइव के अनुसार, सैकड़ों मेटी कार्यकर्ताओं ने लमलॉन्ग में मार्च निकाला, जो डिप्टी कमिश्नर ऑफिस तक जाने वाला था। सुरक्षा बलों ने इसे पोरमपट जंक्शन पर रोका। इसके अलावा, टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि सिंगजमेई से लिलॉन्ग तक 5 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई गई। बिष्णुपुर और नमबोल में भी प्रदर्शन हुए।
ये विरोध केवल सरकारी दफ्तरों को बंद करने तक सीमित नहीं थे। द हिंदू के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर की “अविभाज्य” पहचान पर जोर दिया। COCOMI के धनकुमार मेटी ने कहा, “हम सरकार की नाकामी से तंग आ चुके हैं।” हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि कार्यकर्ताओं ने नार्को-टेररिज्म और हिंसा को रोकने की मांग की। इंफाल के लोग इस विरोध को अपनी पहचान की लड़ाई मानते हैं। लेकिन क्या इतने बड़े प्रदर्शन शांति की ओर ले जाएँगे, या तनाव को और बढ़ाएँगे?

केंद्रीय बलों की भूमिका: सवालों के घेरे में?

केंद्रीय सशस्त्र बल इस विवाद के केंद्र में हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, ग्वालतबी चेकपोस्ट पर बलों ने बस पर “मणिपुर” शब्द को ढँकने का आदेश दिया। मेटी समुदाय ने इसे अपमान माना। द हिंदू ने बताया कि COCOMI ने इसे “मणिपुर की पहचान को मिटाने” की साजिश करार दिया। बलों ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया, जिससे गुस्सा और बढ़ा।
न्यूज9लाइव के मुताबिक, इंफाल वैली में CRPF और अन्य बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। लेकिन मेटी समुदाय का मानना है कि ये बल निष्पक्ष नहीं हैं। हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया कि 2024 में भी COCOMI ने बलों पर कुकी समुदाय का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। मणिपुर में सुरक्षा बलों की भूमिका हमेशा से विवादास्पद रही है। क्या ये बल शांति स्थापित कर पाएँगे, या विवाद का हिस्सा बनते रहेंगे?

मणिपुर गवर्नर अजय भल्ला विवाद

गवर्नर पर निशाना: क्यों माँगी जा रही माफी?

गवर्नर अजय कुमार भल्ला इस विरोध के मुख्य निशाने पर हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, COCOMI ने गवर्नर से बस विवाद के लिए सार्वजनिक माफी की मांग की। द हिंदू ने बताया कि गवर्नर को विरोध से बचाने के लिए उन्हें हेलिकॉप्टर से कांगला फोर्ट ले जाया गया। COCOMI का कहना है कि गवर्नर ने मणिपुर की पहचान को ठेस पहुँचाने वाली इस घटना को रोकने में नाकाम रहे।
न्यूज9लाइव के मुताबिक, कार्यकर्ताओं ने गवर्नर के इस्तीफे की भी मांग की।। मणिपुर में गवर्नर की भूमिका पहले भी सवालों में रही है। इस विवाद ने उनकी स्थिति को और कमजोर कर दिया। क्या गवर्नर की माफी से यह तनाव कम हो पाएगा?

शांति की राह: क्या है समाधान?

मणिपुर में शांति एक दूर का सपना लगता है। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मेटी और कुकी समुदायों के बीच विश्वास की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। COCOMI जैसे संगठन मणिपुर की एकता की बात करते हैं। न्यूज9लाइव ने बताया कि COCOMI ने केंद्र सरकार से नार्को-टेररिज्म और हिंसा पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। क्या सरकार इस तनाव को कम कर पाएगी?

भविष्य की चुनौतियाँ: मणिपुर का रास्ता?

मणिपुर का भविष्य अनिश्चित है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, राष्ट्रपति शासन और मेटी-कुकी तनाव ने राज्य को मुश्किल में डाल दिया है। COCOMI जैसे संगठन मणिपुर की पहचान को बचाने की बात करते हैं। द हिंदू ने बताया कि शांति के लिए दोनों समुदायों के बीच बातचीत जरूरी है। क्या मणिपुर फिर से शांति की राह पर लौटेगा?

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