ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360: कैंसर से जंग का नया कदम?

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Metropolis TruHealth Cancer Screen 360: Preventive Oncology Ka Naya Era

कैंसर आज भारत में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं, और देर से पता चलने की वजह से इलाज मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब इस दिशा में एक नई उम्मीद जगी है। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी डायग्नोस्टिक लैब चेन है, ने ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360 नाम से एक अनोखी पहल शुरू की है। यह पहल कैंसर की शुरुआती जांच को आसान और प्रभावी बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है। यह भारत में अपनी तरह की पहली स्क्रीनिंग है, जो पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग टेस्ट पैनल्स के साथ आती है। इसका मकसद है कैंसर को शुरुआती चरण में पकड़ना, ताकि इलाज आसान हो और मरीज की जान बचाई जा सके।

यह पहल क्यों खास है? क्योंकि भारत में कैंसर की जांच को लेकर जागरूकता और सुविधाओं की कमी एक बड़ी समस्या है। खासकर गाँवों और छोटे शहरों में, जहां अच्छे अस्पताल या डायग्नोस्टिक सेंटर तक पहुँचना मुश्किल होता है। मेट्रोपोलिस की इस पहल का लक्ष्य है कि न सिर्फ शहरों में, बल्कि गैर-शहरी इलाकों में भी लोग कैंसर की जांच करवा सकें। इस स्क्रीनिंग में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग टेस्ट शामिल हैं, जो उनके शरीर की खास जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं के लिए ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की जांच पर ज़ोर दिया गया है, जबकि पुरुषों के लिए प्रोस्टेट कैंसर जैसे टेस्ट शामिल हैं।

इस पहल को शुरू करने वाली मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की प्रमुख, अमीरा शाह, और सीईओ सुरेंद्रन चेम्मेनकोट्टिल का कहना है कि यह स्क्रीनिंग लोगों को अपनी सेहत का जिम्मा लेने की ताकत देगी। शुरुआती जांच से कैंसर को पकड़ना आसान होता है, और इलाज का असर भी बेहतर होता है। भारत में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियाँ महिलाओं में बहुत आम हैं, लेकिन जागरूकता की कमी और डर की वजह से लोग जांच करवाने से हिचकते हैं। ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360 इस डर को दूर करने और लोगों को समय पर जांच करवाने के लिए प्रोत्साहित करने का एक प्रयास है।

कैंसर की शुरुआती जांच क्यों जरूरी है?

कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो शुरुआती चरण में पकड़े जाने पर इलाज के लिए बहुत आसान हो सकती है। लेकिन अगर इसे देर से पकड़ा जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है। भारत में हर साल करीब 12 लाख नए कैंसर के मामले सामने आते हैं, और इनमें से कई लोग सिर्फ इसलिए अपनी जान गँवाते हैं क्योंकि उनकी बीमारी का पता बहुत देर से चलता है। उदाहरण के लिए, ब्रेस्ट कैंसर, जो भारतीय महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है, अगर शुरुआती चरण में पकड़ लिया जाए, तो इसका इलाज 90% से ज्यादा मामलों में सफल हो सकता है। लेकिन एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 45 साल से ऊपर की सिर्फ 1% महिलाएँ नियमित रूप से मैमोग्राफी करवाती हैं। यह आँकड़ा बहुत चिंताजनक है।

कैंसर की शुरुआती जांच इतनी जरूरी क्यों है? क्योंकि जब कैंसर अपने शुरुआती चरण में होता है, तो यह छोटा और सीमित होता है। इस समय इलाज के तरीके, जैसे सर्जरी या कीमोथेरेपी, ज्यादा प्रभावी होते हैं। लेकिन अगर कैंसर बढ़कर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाता है, तो इलाज जटिल और महँगा हो जाता है। इसके अलावा, शुरुआती जांच से मरीज को मानसिक तनाव भी कम होता है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उनकी बीमारी का इलाज संभव है। ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360 इस दिशा में एक बड़ा कदम है, क्योंकि यह लोगों को आसानी से उपलब्ध, वैज्ञानिक रूप से तैयार किए गए टेस्ट प्रदान करता है।

भारत में कैंसर की जांच को लेकर कई चुनौतियाँ हैं। पहली तो जागरूकता की कमी है। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि कैंसर की जांच करवाना कितना जरूरी है। दूसरी बड़ी समस्या है सुविधाओं की कमी, खासकर गाँवों में। तीसरी समस्या है डर और गलत धारणाएँ। कुछ लोग सोचते हैं कि मैमोग्राफी या अन्य टेस्ट दर्दनाक होते हैं, या इनसे नुकसान हो सकता है। लेकिन सच यह है कि ये टेस्ट पूरी तरह सुरक्षित हैं और इन्हें करवाने से आप अपनी जान बचा सकते हैं। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की यह नई स्क्रीनिंग इन सभी समस्याओं को हल करने की कोशिश करती है, ताकि हर व्यक्ति, चाहे वह शहर में हो या गाँव में, अपनी सेहत की जाँच करवा सके।

ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360 की खासियतें?

ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360 को खास तौर पर भारत की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह स्क्रीनिंग पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग टेस्ट पैनल्स प्रदान करती है, क्योंकि पुरुषों और महिलाओं में कैंसर के प्रकार और जोखिम अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं के लिए इस स्क्रीनिंग में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, और ओवेरियन कैंसर जैसे टेस्ट शामिल हैं। वहीं, पुरुषों के लिए प्रोस्टेट कैंसर और लंग कैंसर जैसे टेस्ट पर ज़ोर दिया गया है। यह वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन किए गए टेस्ट हैं, जो कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पकड़ने में सक्षम हैं।

इस स्क्रीनिंग की एक बड़ी खासियत यह है कि यह न सिर्फ शहरों में, बल्कि छोटे शहरों और गाँवों में भी उपलब्ध होगी। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस सुविधा का फायदा उठाएँ। इसके लिए कंपनी ने अपने डायग्नोस्टिक सेंटरों का विस्तार करने की योजना बनाई है। साथ ही, यह स्क्रीनिंग आसान और किफायती है, ताकि आम लोग भी इसे करवा सकें। कंपनी के सीईओ सुरेंद्रन चेम्मेनकोट्टिल ने कहा है कि इस पहल का मकसद है लोगों को समय पर जांच की सुविधा देना, ताकि कैंसर को शुरुआती चरण में पकड़कर इलाज किया जा सके।

इसके अलावा, यह स्क्रीनिंग तकनीक का भी पूरा इस्तेमाल करती है। इसमें आधुनिक डायग्नोस्टिक टूल्स और मशीनों का उपयोग किया जाता है, जो सटीक परिणाम देते हैं। यह टेस्ट उन लोगों के लिए भी उपयोगी हैं, जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास रहा हो, क्योंकि ऐसे लोगों में कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। अगर आपके परिवार में किसी को कैंसर रहा है, तो आपको नियमित जांच करवानी चाहिए। ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360 इस तरह की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक आसान और विश्वसनीय तरीका प्रदान करता है। यह न सिर्फ आपकी सेहत की रक्षा करता है, बल्कि आपको मानसिक शांति भी देता है।

आयुष्मान भारत

भारत में कैंसर की चुनौतियाँ और समाधान?

भारत में कैंसर एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, और इसके कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण है जागरूकता की कमी। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि कैंसर को शुरुआती चरण में पकड़ने से इलाज आसान हो सकता है। खासकर ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियाँ, जो महिलाओं में बहुत आम हैं, अगर समय पर जांच हो जाए, तो इनका इलाज पूरी तरह संभव है। लेकिन एक स्टडी के मुताबिक, भारत में सिर्फ 4.5% महिलाएँ केरल जैसे राज्य में मैमोग्राफी करवाती हैं, जबकि नगालैंड जैसे राज्यों में यह आँकड़ा शून्य है। यह अंतर दिखाता है कि हमें जागरूकता और सुविधाओं को बढ़ाने की कितनी जरूरत है।

दूसरी बड़ी समस्या है स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी। शहरों में तो बड़े अस्पताल और डायग्नोस्टिक सेंटर उपलब्ध हैं, लेकिन गाँवों में ऐसी सुविधाएँ बहुत कम हैं। इसके अलावा, कैंसर की जांच को लेकर कई गलत धारणाएँ भी हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि जांच करवाने से दर्द होगा या यह महँगा होगा। लेकिन ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360 इन सभी समस्याओं को हल करने की कोशिश करता है। यह स्क्रीनिंग न सिर्फ किफायती है, बल्कि इसे गाँवों और छोटे शहरों तक ले जाने की योजना भी है।

सरकार भी इस दिशा में काम कर रही है। आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने में मदद की है। उदाहरण के लिए, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने 76 करोड़ से ज्यादा हेल्थ अकाउंट्स बनाए हैं, जो लोगों को उनकी सेहत की जानकारी आसानी से उपलब्ध कराते हैं। लेकिन अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। स्कूलों में बच्चों को कैंसर और उसकी जांच के बारे में सिखाना चाहिए, ताकि भविष्य में जागरूकता बढ़े। साथ ही, सरकार और प्राइवेट कंपनियों को मिलकर ऐसी योजनाएँ बनानी चाहिए, जो जांच को और सस्ता और सुलभ बनाएँ।

तकनीक और कैंसर की जांच का भविष्य?

आज के समय में तकनीक ने स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह बदल दिया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिजिटल हेल्थ टूल्स ने कैंसर की जांच को और सटीक और तेज बना दिया है। उदाहरण के लिए, भारत में कई स्टार्टअप्स, जैसे कि Qure.ai और Niramai, AI का इस्तेमाल करके ब्रेस्ट कैंसर और अन्य बीमारियों की शुरुआती जांच कर रहे हैं। ये तकनीकें न सिर्फ सटीक परिणाम देती हैं, बल्कि गाँवों में भी इस्तेमाल की जा सकती हैं, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर भी अपनी स्क्रीनिंग में ऐसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करता है, जो ट्रूहेल्थ कैंसर स्क्रीन 360 को और प्रभावी बनाती हैं।

AI के अलावा, भारत में हाल ही में स्वदेशी HPV टेस्ट किट्स को भी लॉन्च किया गया है, जो सर्वाइकल कैंसर की जांच को आसान और सस्ता बनाते हैं। यह किट्स आठ तरह के हाई-रिस्क HPV जीनोटाइप्स का पता लगाती हैं, जो 96% से ज्यादा सर्वाइकल कैंसर के मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे नवाचार दिखाते हैं कि भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। मेट्रोपोलिस की ट्रूहेल्थ स्क्रीनिंग भी इसी तरह की इनोवेशन का हिस्सा है, जो लोगों को विश्वसनीय और आसान जांच की सुविधा देती है।

भविष्य में, हमें और ऐसी तकनीकों की जरूरत होगी, जो कैंसर की जांच को हर घर तक पहुँचाएँ। इसके लिए सरकार, प्राइवेट कंपनियाँ, और स्टार्टअप्स को मिलकर काम करना होगा। मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर ने इस दिशा में एक मिसाल कायम की है, और उम्मीद है कि आने वाले समय में और कंपनियाँ इस तरह की पहल करेंगी। अगर हम सब मिलकर जागरूकता बढ़ाएँ और जांच को आसान बनाएँ, तो कैंसर जैसी बीमारी को हराना मुमकिन है।

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