पीएम मोदी का टीएमसी पर हमला: भ्रष्टाचार, ऑपरेशन सिंदूर, और बंगाल की सियासत?

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PM Modi Slams TMC Over 'Cuts, Commissions' and Terror Links in Operation Sindoor Speech

29 मई 2025 को पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशाल रैली में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने टीएमसी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, यह कहते हुए कि उनके नेता गरीबों से केंद्र की योजनाओं का लाभ देने के बदले “कट और कमीशन” मांगते हैं। पीएम ने आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं को लागू न होने देने का जिम्मेदार टीएमसी को ठहराया। इसके अलावा, उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र किया, जो 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए।

मोदी ने टीएमसी पर आदिवासियों के प्रति “दुश्मनी” का भी आरोप लगाया, दावा किया कि टीएमसी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का विरोध किया था। उन्होंने बंगाल की सांस्कृतिक पहचान और ‘सिंदूर खेला’ के प्रतीक को जोड़ते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगा। ममता बनर्जी ने जवाब में मोदी के बयानों को “राजनीतिक” करार दिया, यह कहते हुए कि वह ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन करती हैं, लेकिन इसे राजनीति से जोड़ना गलत है। इस लेख में हम मोदी के आरोपों, टीएमसी की प्रतिक्रिया, और ऑपरेशन सिंदूर की पूरी कहानी को सरल हिंदी में समझाएंगे। क्या यह सियासी जंग बंगाल की राजनीति को नई दिशा देगी? आइए, जानते हैं।

टीएमसी पर भ्रष्टाचार का आरोप: “कट और कमीशन” की सियासत?

पीएम मोदी ने अपनी रैली में टीएमसी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि टीएमसी नेता गरीबों से केंद्र की योजनाओं, जैसे आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री आवास योजना, का लाभ देने के लिए “कट और कमीशन” मांगते हैं। उनके मुताबिक, इस वजह से कई गरीब परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं और पक्के मकान नहीं मिल पा रहे। मोदी ने दावा किया कि टीएमसी की “लूटतंत्र” ने बंगाल के विकास को रोक दिया है, और यह सरकार “लोकतंत्र” की जगह “टोलाबाजी” और “सिंडिकेट” को बढ़ावा देती है। The Times of India के अनुसार, मोदी ने कहा, “टीएमसी सरकार ने गरीबों का हक छीना है, और यह बंगाल के लोगों के साथ विश्वासघात है।”

इसके जवाब में, ममता बनर्जी ने इन आरोपों को “बेबुनियाद” बताया और कहा कि केंद्र सरकार ने बंगाल को वित्तीय सहायता रोक रखी है। The Economic Times के मुताबिक, टीएमसी ने पलटवार करते हुए केंद्र पर मणिपुर हिंसा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद सागरिका घोष ने कहा कि उनकी पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ है और केंद्र को पहले अपनी नीतियों पर सवाल उठाने चाहिए। यह सियासी टकराव बंगाल में पहले से चली आ रही बीजेपी-टीएमसी की जंग को और गर्म करता है। क्या यह आरोप बंगाल की जनता के बीच टीएमसी की छवि को नुकसान पहुंचाएंगे, या ममता का जवाब बीजेपी के हमले को कमजोर करेगा?

आयुष्मान भारत और आवास योजना: बंगाल में रुकावट क्यों?

मोदी ने रैली में कहा कि टीएमसी सरकार ने आयुष्मान भारत योजना को बंगाल में लागू नहीं होने दिया, जिससे गरीबों को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही। इस योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध है, लेकिन मोदी के मुताबिक, टीएमसी के “कट मनी” मांगने की वजह से लोग इसका लाभ नहीं उठा पा रहे। इसी तरह, उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना पर भी सवाल उठाए, दावा किया कि टीएमसी नेताओं की “कमीशनखोरी” की वजह से गरीबों को पक्के मकान नहीं मिल रहे। Navbharat Times ने बताया कि मोदी ने इसे “बंगाल की जनता के साथ अन्याय” करार दिया।

दूसरी ओर, ममता बनर्जी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बंगाल में उनकी सरकार ने स्वास्थ साथी योजना शुरू की, जो आयुष्मान भारत से बेहतर है। टीएमसी का दावा है कि केंद्र ने बंगाल को इन योजनाओं के लिए पर्याप्त फंड नहीं दिया, जिससे लागू करना मुश्किल हो रहा है। The Indian Express के अनुसार, ममता ने केंद्र पर “राजनीतिक बदले” की भावना से बंगाल को निशाना बनाने का आरोप लगाया। यह विवाद केंद्र और राज्य सरकारों के बीच चल रही तनातनी को उजागर करता है। क्या बंगाल की जनता इन योजनाओं का लाभ पाएगी, या यह सियासी जंग में उलझकर रह जाएगी?

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत का जवाब?

मोदी ने रैली में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा कि यह आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई नीति का हिस्सा है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, के जवाब में भारत ने 6-7 मई को यह ऑपरेशन शुरू किया। The Times of India के मुताबिक, भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। मोदी ने कहा, “पाकिस्तान को तीन बार घर में घुसकर मारा गया है, और ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है।”

उन्होंने ‘सिंदूर खेला’ के सांस्कृतिक प्रतीक को जोड़ते हुए कहा कि भारत अपनी बहनों के “सिंदूर” की रक्षा के लिए आतंकवादियों को बख्शेगा नहीं। ममता बनर्जी ने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया, लेकिन इसे राजनीति से जोड़ने पर आपत्ति जताई। ANI के अनुसार, ममता ने कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ हैं, लेकिन इसे वोट की सियासत से अलग रखना चाहिए।” टीएमसी ने अभिषेक बनर्जी को ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया, यह दिखाने के लिए कि वे राष्ट्रीय हित में साथ हैं। क्या ऑपरेशन सिंदूर भारत की आतंकवाद नीति को नया आयाम देगा?

पीएम मोदी टीएमसी भ्रष्टाचार आरोप 2025

पाकिस्तान को चेतावनी: “आतंकवाद का अंजाम भुगतना होगा?

मोदी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों का “विनाश” निश्चित है। उन्होंने 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 के एयर स्ट्राइक, और 2025 के ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया, यह कहते हुए कि भारत अब आतंकी हमलों का जवाब देगा। The Economic Times के अनुसार, मोदी ने कहा, “पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए कि भारत अब घर में घुसकर मारता है।” उन्होंने 1971 के बांग्लादेश युद्ध की याद दिलाते हुए पाकिस्तान की हार का जिक्र किया।

पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के साथ तनाव कम करने की कोशिश की। 10 मई को पाकिस्तानी सेना ने भारत के DGMO से संपर्क किया, यह वादा करते हुए कि वे आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देंगे। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया भारत के दबाव का नतीजा है। ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर कहा कि टीएमसी आतंकवाद के खिलाफ केंद्र के साथ है, लेकिन बंगाल को बदनाम करने की कोशिश गलत है। क्या भारत का यह रुख आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाएगा?

टीएमसी और आदिवासियों पर विवाद: राष्ट्रपति मुर्मू का मुद्दा?

मोदी ने टीएमसी पर आदिवासियों के प्रति “दुश्मनी” का आरोप लगाया, यह कहते हुए कि उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि टीएमसी ने “आदिवासी गौरव” को ठेस पहुंचाई, जो बंगाल के आदिवासी समुदाय के लिए अपमानजनक है। The Hindu के मुताबिक, मोदी ने कहा, “टीएमसी ने हमेशा आदिवासियों के हितों को नजरअंदाज किया, और यह उनकी सियासत का हिस्सा है।” यह बयान बंगाल के आदिवासी बहुल इलाकों, जैसे अलीपुरद्वार, में समर्थन जुटाने की कोशिश थी।

टीएमसी ने इन आरोपों को “राजनीतिक नाटक” करार दिया। सागरिका घोष ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने आदिवासियों के लिए कई योजनाएं शुरू कीं, जैसे जंगलमहल में विकास कार्य। टीएमसी ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति मुर्मू का विरोध उनकी पार्टी की नीति नहीं था, बल्कि यह विपक्षी एकता का हिस्सा था। यह विवाद बंगाल की सियासत में जातीय और क्षेत्रीय मुद्दों को उभारता है। क्या यह आरोप टीएमसी की आदिवासी वोट बैंक को प्रभावित करेंगे, या बीजेपी की यह रणनीति नाकाम रहेगी?

ममता बनर्जी का जवाब: “मोदी की सियासत गलत?

ममता बनर्जी ने मोदी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वह ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन करती हैं, लेकिन इसे बंगाल की सियासत से जोड़ना गलत है। Navbharat Times के अनुसार, ममता ने कहा, “हम आतंकवाद के खिलाफ हैं, लेकिन बीजेपी बंगाल को बदनाम कर रही है।” उन्होंने केंद्र पर बंगाल को फंड न देने और आधार कार्ड डिएक्टिवेशन जैसे मुद्दों पर सवाल उठाए। ममता ने यह भी कहा कि टीएमसी ने ऑपरेशन सिंदूर के लिए अभिषेक बनर्जी को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भेजा, जो उनकी राष्ट्रीय एकता की प्रतिबद्धता दिखाता है।

टीएमसी ने केंद्र से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की, ताकि ऑपरेशन सिंदूर पर पारदर्शी चर्चा हो। The Times of India के मुताबिक, टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा, “हम चाहते हैं कि जनता को सच पता चले।” ममता ने यह भी कहा कि बीजेपी बंगाल में अपनी हार को छिपाने के लिए ऐसे आरोप लगा रही है। यह जवाब बंगाल की जनता को यह संदेश देता है कि टीएमसी केंद्र के खिलाफ मजबूती से खड़ी है। क्या ममता का यह पलटवार बीजेपी के हमले को कमजोर करेगा?

ममता बनर्जी कट कमीशन विवाद?

बंगाल की सियासत: बीजेपी vs टीएमसी की जंग?

मोदी की रैली और ममता का जवाब बंगाल में बीजेपी और टीएमसी के बीच चल रही सियासी जंग को और तेज करता है। बीजेपी बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है, खासकर 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले। The Indian Express के अनुसार, बीजेपी भ्रष्टाचार और शासन के मुद्दों को उठाकर टीएमसी को घेर रही है, जबकि टीएमसी केंद्र पर “बंगाल विरोधी” नीतियों का आरोप लगाकर समर्थन जुटा रही है। मोदी के “लूटतंत्र” वाले बयान ने इस जंग को और नाटकीय बना दिया।

टीएमसी ने बीजेपी पर मणिपुर हिंसा, बेरोजगारी, और महिलाओं की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। ममता ने कहा कि बीजेपी की “डबल इंजन सरकार” ने देश को “अंधेरे” में धकेला है। इस बीच, बीजेपी ने बंगाल के संदेशखाली जैसे मुद्दों को उठाकर टीएमसी को निशाना बनाया। यह सियासी टकराव बंगाल की जनता के बीच ध्रुवीकरण को बढ़ा सकता है। क्या यह जंग बंगाल की सियासत को नई दिशा देगी, या यह सिर्फी वोट की राजनीति है?

ऑपरेशन सिंदूर का वैशिक प्रभाव?

ऑपरेशन सिंदoor ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति को वैश्विक मंच पर चर्चा का विषय बना दिया। The Economic Times के मुताबिक, भारत ने 33 देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे, जिसमें टीएमसी के अभिषेक बनर्जी भी शामिल थे, ताकि भारत के रुख को समझाया जाए। इन प्रतिनिधिमंडल ने न्यूयॉर्क, सियोल, और बहरीन जैसे शहरों में आतंकवाद के खिलाफ भारत की “जीरो टॉलरेंस” नीति पर जोर दिया। अभिषेक बनर्जी ने सियोल में कहा, “हम शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए काम कर रहे हैं।”

हालांकि, कुछ विपक्षी नेताओं ने ऑपरेशन के समय और पारदर्शिता पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा कि हमले की जानकारी कैसे लीक हुई। ममता ने संसद में विशेष सत्र की मांग की, ताकि जनता को पूरी जानकारी मिले। यह ऑपरेशन भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक रणनीति को दर्शाता है, लेकिन यह सवाल भी उठाता है कि क्या यह सियासत से मुक्त है। क्या ऑपरेशन सिंदूर भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करेगा?

बंगाल की जनता का मूड: सियासत से परे सवाल?

मोदी की रैली और टीएमसी का जवाब बंगाल की जनता के बीच कई सवाल खड़े करता है। The Hindu के अनुसार, बंगाल के ग्रामीण इलाकों में भ्रष्टाचार और विकास योजनाओं का मुद्दा लोगों के लिए अहम है। कई लोग मानते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार की सियासी जंग की वजह से योजनाएं रुक रही हैं। दूसरी ओर, ऑपरेशन सिंदूर ने राष्ट्रीय गर्व को बढ़ाया है, लेकिन लोग यह भी पूछ रहे हैं कि इसका बंगाल से क्या लेना-देना।

टीएमसी ने ममता की “बंगाली अस्मिता” की छवि को मजबूत करने की कोशिश की, जबकि बीजेपी ने भ्रष्टाचार और आतंकवाद के मुद्दों को उठाकर समर्थन जुटाया। X पर @MamitaOfficial की पोस्ट में कहा गया, “बंगाल की जनता ममता के साथ है, क्योंकि हम विकास और शांति चाहते हैं।” लेकिन बीजेपी का दावा है कि लोग बदलाव के लिए तैयार हैं। यह सियासी माहौल बंगाल के भविष्य को कैसे आकार देगा? क्या लोग भ्रष्टाचार के आरोपों पर भरोसा करेंगे, या ममता की लोकप्रियता बरकरार रहेगी?

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
ऑपरेशन सिन्दूर भारत का सैन्य अभियान है, जो पहलगाम आतंकी के जवाब में शुरू किया गया। इसमें पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया।

2. ममता बनर्जी पर भ्रष्टाचार के क्या आरोप हैं?
मोदी ने आरोप लगाया कि टीएमसी के नेता गरीबों से केंद्र की योजनाओं के लिए “कट और कमीशन” मांगते हैं।

3. टीएमसी ने मोदी के आरोपों का क्या जवाब दिया?
ममता ने इन आरोपों को “राजनीति” बताया और केंद्र पर बंगाल को फंड न देने का आरोप लगाया।

4. ऑपरेशन सिन्दूर का बंगाल से क्या लेना-देना है?
मोदी ने इसे बंगाल के ‘सिंदूर खेला’ से जोड़ा, लेकिन ममता ने इसे सियासत से अलग रखने की मांग की।

निष्कर्ष?

पीएम मोदी की अलीपुरद्वार रैली ने बंगाल की सियासत को गर्म कर दिया है। टीएमसी पर भ्रष्टाचार और “कट्स एंड कमीशन” के आरोप, आयुष्मान भारत जैसे योजनाओं में रुकावट, और आदिवासियों के प्रति “दुश्मनी” के बयानों ने बीजेपी-टीएमसी की जंग को नया मोड़ दिया। ऑपरेशन सिन्दूर ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति को मजबूत किया, लेकिन इसका सियास में इस्तेमाल विवादास्पद रहा। ममता बनर्जी ने केंद्र पर पलटवार करते हुए बंगाल की जनता को एकजुट रहने का आह्वान किया। यह सियासी टकराव बंगाल के विकास, भ्रष्टाचार, और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवालों को उजागर करता है। क्या बंगाल की जनता इन आरोपों पर भरोसा करेगी, या ममता की “बंगाली अस्मिता” जीत का रास्ता बनाएगी?

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