हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा है, और इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हाई-लेवल मीटिंग बुलाई। इस मीटिंग में कई मंत्रालयों के सचिव शामिल हुए, और आपात स्थिति से निपटने के लिए बड़े निर्देश दिए गए। लेकिन ये मीटिंग क्यों हुई? और इसका ऑपरेशन सिंदूर से क्या कनेक्शन है? आइए, इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझते हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की, जिसे *ऑपरेशन सिंदूर* नाम दिया गया। इस कार्रवाई ने न सिर्फ आतंकवाद को जवाब दिया, बल्कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में नई हलचल पैदा कर दी। इसी बीच, पीएम मोदी ने दिल्ली में ये अहम मीटिंग की, ताकि देश की सुरक्षा और किसी भी आपात स्थिति के लिए पूरी तैयारी हो।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है और क्यों है चर्चा में?
ऑपरेशन सिंदूर 7 मई, 2025 को शुरू हुआ एक सैन्य अभियान है, जिसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इन ठिकानों में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के कैंप शामिल थे। खबरों के मुताबिक, इस ऑपरेशन में करीब 90 आतंकवादी मारे गए।
ये ऑपरेशन पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें कई निर्दोष लोग मारे गए थे। भारत ने साफ कर दिया कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा। लेकिन इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को बौखला दिया। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने इसे “भारत की आक्रामकता” बताया और बदला लेने की बात कही।
पीएम मोदी की मीटिंग: क्या हुआ और क्यों जरूरी थी?
पीएम मोदी की ये मीटिंग दिल्ली में हुई, जिसमें रक्षा, गृह, और विदेश मंत्रालय जैसे कई अहम विभागों के सचिव शामिल थे। मीटिंग का मकसद था देश को किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार करना। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ गया है। पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में हाई अलर्ट जारी है, और पुलिस की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
मीटिंग में पीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि:
– सभी सुरक्षा एजेंसियां आपस में तालमेल बनाए रखें।
– सीमावर्ती इलाकों में चौकसी बढ़ाई जाए।
– मॉक ड्रिल और सिविल डिफेंस की तैयारियों को तेज किया जाए।
इसके अलावा, दिल्ली में 15 मिनट के लिए ब्लैकआउट की मॉक ड्रिल भी की गई, ताकि युद्ध जैसी स्थिति में बिजली और अन्य सेवाओं की तैयारी परखी जा सके।
भारत-पाक तनाव: क्या है मौजूदा स्थिति?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत की कार्रवाई में 26 लोग मारे गए, जिनमें आम नागरिक भी शामिल थे। हालांकि, भारत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिर्फ आतंकी ठिकानों पर केंद्रित था।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची दिल्ली पहुंचे और विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बातचीत की। ये मुलाकात भारत-ईरान के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए थी, लेकिन इसका समय भारत-पाक तनाव के बीच अहम माना जा रहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने 26 देशों के नेताओं से बात की और तनाव कम करने की अपील की। लेकिन भारत का रुख साफ है कि वह आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम रहेगा।
देश में मॉक ड्रिल: क्यों हो रही है ये तैयारियां?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद देशभर में मॉक ड्रिल की तैयारियां तेज हो गई हैं। दिल्ली में 50 जगहों पर सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल हुई, जिसमें लोगों को आपात स्थिति में क्या करना है, ये बताया गया। मॉक ड्रिल का मकसद है कि अगर कोई बड़ा संकट आए, जैसे युद्ध या प्राकृतिक आपदा, तो उसका जवाब देने के लिए हम तैयार रहें।
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयार रहें। दिल्ली में 8 मई को रात 8 बजे 15 मिनट का ब्लैकआउट भी इसी तैयारी का हिस्सा था।
आम लोगों के लिए क्या मतलब है इस मीटिंग का?
पीएम मोदी की इस मीटिंग का सीधा मतलब है कि सरकार देश की सुरक्षा को लेकर कोई ढील नहीं बरतना चाहती। ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक तनाव के बीच, सरकार ये सुनिश्चित करना चाहती है कि न सिर्फ सीमाएं सुरक्षित रहें, बल्कि देश के अंदर भी लोग किसी आपात स्थिति के लिए तैयार हों।
इसके अलावा, इंडिगो और एयर इंडिया जैसी एयरलाइंस ने कई फ्लाइट्स कैंसिल कर दी हैं, और यात्रियों को सलाह दी है कि वे यात्रा से पहले एडवाइजरी चेक करें। इससे साफ है कि स्थिति गंभीर है, लेकिन सरकार हर मोर्चे पर तैयार है।
आगे क्या होने वाला है?
फिलहाल, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम होने के आसार कम हैं। पाकिस्तान की ओर से लगातार बयानबाजी हो रही है, लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। पीएम मोदी की अगुवाई में सरकार हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस तनाव पर नजर रखे हुए है। कतर, तुर्की, और ईरान जैसे देशों के साथ भारत की बातचीत से साफ है कि भारत न सिर्फ सैन्य ताकत, बल्कि कूटनीति के जरिए भी अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।