23 मई 2025 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर तीखा हमला बोला और उन्हें “जेजे” कहकर तीन बड़े सवाल पूछे। यह हमला भारत-पाकिस्तान तनाव और अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा है। राहुल ने X पर लिखा: “भारत को पाकिस्तान के साथ क्यों जोड़ा गया? एक भी देश ने पाकिस्तान की निंदा में भारत का साथ क्यों नहीं दिया? ट्रम्प को मध्यस्थता के लिए किसने कहा?” उन्होंने दावा किया कि भारत की विदेश नीति “ध्वस्त” हो गई है। राहुल ने जयशंकर के डच ब्रॉडकास्टर NOS को दिए इंटरव्यू को भी टैग किया, जिसमें विदेश मंत्री ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर की बात की थी। इस बयान पर एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने राहुल को “बचकाना” बताया, जबकि बीजेपी ने उन्हें “मॉडर्न मीर जाफर” कहकर जवाब दिया। यह विवाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जयशंकर के बयानों और राहुल के पुराने आरोपों से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने जयशंकर की “चुप्पी” को “अपराध” करार दिया था। विदेश मंत्रालय ने राहुल के दावों को “तथ्यों का गलत चित्रण” बताया। यह लेख इस पूरे विवाद को आसान हिंदी में समझाएगा, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर, भारत-पाकिस्तान तनाव, और राजनीतिक बयानबाजी शामिल है। क्या राहुल के सवाल जायज हैं, या यह सिर्फ राजनीतिक ड्रामा है? आइए जानें।
पहलगाम आतंकी हमला: कैसे शुरू हुआ भारत-पाकिस्तान तनाव?
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भयानक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए। आतंकियों ने लोगों की धार्मिक पहचान पूछकर उन्हें निशाना बनाया, जिसे जयशंकर ने “बर्बर” बताया। इस हमले ने भारत-पाकिस्तान तनाव को फिर से हवा दी, क्योंकि भारत ने इसे पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा। हमले के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। जयशंकर ने कहा कि यह ऑपरेशन आतंकी ढांचे को निशाना बनाने के लिए था, न कि पाकिस्तानी सेना को। हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान ने 10 मई को सीजफायर पर सहमति जताई। लेकिन राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि इस सीजफायर और विदेश नीति में क्या गलतियां हुईं। उन्होंने दावा किया कि भारत की अंतरराष्ट्रीय साख कमजोर हुई, क्योंकि कोई देश पाकिस्तान की निंदा में भारत के साथ नहीं खड़ा हुआ। बीजेपी ने इसे “पाकिस्तान की भाषा” बोलने का आरोप लगाया। इस तनाव ने न सिर्फ外交 क्षेत्र में सवाल उठाए, बल्कि देश में राजनीतिक बहस को भी तेज कर दिया। क्या यह हमला और ऑपरेशन सिंदूर भारत की विदेश नीति की कमजोरी दिखाते हैं, या यह एक मजबूत जवाब था?
ऑपरेशन सिंदूर क्या था और क्यों हुआ विवाद?
ऑपरेशन सिंदूर भारत का पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सैन्य हमला था, जो 7 मई 2025 को शुरू हुआ। भारतीय सेना ने रात 1 से 1:30 बजे के बीच पाकिस्तान और PoK में नौ आतंकी कैंपों को नष्ट किया। डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने पाकिस्तानी समकक्ष मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला को सूचित किया कि हमले आतंकी ढांचे पर हैं, न कि सैन्य ठिकानों पर। जयशंकर ने बताया कि पाकिस्तान को “शुरुआती चरण के बाद” सूचना दी गई थी, ताकि बड़ा संघर्ष टाला जा सके। लेकिन राहुल गांधी ने इसे “अपराध” करार दिया, दावा करते हुए कि पाकिस्तान को पहले सूचना देने से भारत के विमान खो गए। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सूचना हमले शुरू होने के बाद दी गई, न कि पहले। राहुल ने यह भी पूछा कि इस फैसले को किसने मंजूरी दी और कितने विमान खोए। बीजेपी ने जवाब दिया कि राहुल पाकिस्तान के झूठे दावों को बढ़ावा दे रहे हैं। इस विवाद ने ऑपरेशन की रणनीति और विदेश नीति पर सवाल उठाए। क्या भारत का यह कदम सही था, या इसमें कोई चूक हुई? यह सवाल अभी भी बहस का विषय है, क्योंकि कोई ठोस सबूत विमान नुकसान पर नहीं मिला।
राहुल गांधी के तीन सवाल: क्या है इनका मतलब?
राहुल गांधी ने 23 मई को X पर तीन सवाल पूछकर जयशंकर को घेरा: पहला, भारत को पाकिस्तान के साथ क्यों जोड़ा गया? उनका मतलब था कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि एक मजबूत देश की होनी चाहिए, न कि पाकिस्तान जैसे देश के साथ तुलना की। दूसरा, पहलगाम हमले की निंदा में एक भी देश ने भारत का साथ क्यों नहीं दिया? राहुल ने इसे विदेश नीति की नाकामी बताया। तीसरा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को मध्यस्थता के लिए किसने कहा? ट्रम्प ने दावा किया था कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान सीजफायर में मदद की, लेकिन जयशंकर ने कहा, “अमेरिका तो अमेरिका में था।” राहुल ने इन सवालों के साथ दावा किया कि भारत की विदेश नीति “ध्वस्त” हो गई। बीजेपी ने जवाब में राहुल को “मीर जाफर” कहा, जबकि कांग्रेस ने जयशंकर को “जयचंद” करार दिया। इन सवालों ने भारत की कूटनीतिक स्थिति पर गहरी बहस छेड़ दी। क्या राहुल के सवाल भारत की कमजोरी उजागर करते हैं, या यह सिर्फ विपक्ष की रणनीति है? विदेश मंत्रालय ने इन दावों को खारिज किया, लेकिन जनता के बीच सवाल बने हुए हैं।
जयशंकर का जवाब: सीजफायर कैसे हुआ?
एस. जयशंकर ने राहुल के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान सीजफायर पूरी तरह द्विपक्षीय था। उन्होंने NOS इंटरव्यू में बताया कि 10 मई का समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत से हुआ। जयशंकर ने ट्रम्प के मध्यस्थता दावे को खारिज करते हुए कहा, “अमेरिका इसमें शामिल नहीं था।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय हमलों ने पाकिस्तानी सेना को मजबूर किया कि वे गोलीबारी रोकें। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत से बात की, लेकिन यह सिर्फ तनाव कम करने के लिए था। जयशंकर ने पहलगाम हमले को “धार्मिक विद्वेष” फैलाने की साजिश बताया और कहा कि भारत भविष्य में भी आतंकी हमलों का जवाब देगा। राहुल के विमान नुकसान के दावे पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह “तथ्यों का गलत चित्रण” है। जयशंकर ने नीदरलैंड्स में डच विदेश मंत्री से मुलाकात कर पहलगाम हमले की निंदा का समर्थन भी हासिल किया। क्या जयशंकर का जवाब राहुल के सवालों का पूरी तरह समाधान करता है, या कुछ सवाल अब भी अनुत्तरित हैं?
‘जेजे’ और ‘मीर जाफर’: राजनीतिक बयानबाजी का खेल?
राहुल गांधी ने जयशंकर को “जेजे” कहकर निशाना साधा, जिसे बीजेपी ने “जयचंद जयशंकर” का अपमान बताया। जवाब में बीजेपी ने राहुल को “मॉडर्न मीर जाफर” करार दिया, दावा करते हुए कि वे पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जयशंकर को “मुखबिर” कहा, जबकि बीजेपी के अमित मालवीय ने कहा कि राहुल पाकिस्तानी न्यूज चैनलों के लिए “बचावकर्ता” बन गए। यह बयानबाजी भारत-पाकिस्तान तनाव से ज्यादा राजनीतिक ड्रामे में बदल गई। एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जब देश एकजुट है, तब राहुल की “बचकानी” बातें कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाएंगी। कांग्रेस ने पीएम मोदी की “विश्वगुरु” छवि पर सवाल उठाए, दावा किया कि उनकी “अहंकारी” नीति ने भारत की साख को ठेस पहुंचाई। लेकिन बीजेपी ने जवाब दिया कि राहुल भारतीय सेना के साहस पर सवाल उठा रहे हैं। यह तीखी बहस X पर #OperationSindoor और #IndiaVSPak जैसे हैशटैग्स के साथ ट्रेंड कर रही है। क्या यह सिर्फ वोट की राजनीति है, या इसके पीछे गहरे मुद्दे हैं?
विदेश नीति पर सवाल: क्या भारत कमजोर हुआ?
राहुल गांधी ने दावा किया कि भारत की विदेश नीति “ध्वस्त” हो गई है, क्योंकि पहलगाम हमले की निंदा में कोई देश भारत के साथ नहीं खड़ा हुआ। उन्होंने “भारत-पाकिस्तान hyphenation” पर सवाल उठाया, यानी भारत को एक आतंकवादी देश के साथ क्यों जोड़ा जा रहा है। जयशंकर ने जवाब में कहा कि भारत ने नीदरलैंड्स जैसे देशों से समर्थन हासिल किया। लेकिन राहुल का कहना है कि बड़े वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज कमजोर पड़ी। ट्रम्प के मध्यस्थता दावे ने भी सवाल खड़े किए, क्योंकि भारत हमेशा कहता रहा है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था। फिर भी, कांग्रेस ने मोदी सरकार की कूटनीति को “अहंकारी” बताया, जिसने भारत की साख को नुकसान पहुंचाया। बीजेपी ने जवाब में कहा कि राहुल के बयान भारत की सेना और सरकार को कमजोर करते हैं। इस बहस ने भारत की वैश्विक स्थिति पर गहरे सवाल उठाए। क्या भारत की विदेश नीति वाकई कमजोर हुई, या यह विपक्ष का प्रचार है?
ऑपरेशन सिंदूर और विमान नुकसान: सच क्या है?
राहुल गांधी ने 17 और 19 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के विमान नुकसान पर सवाल उठाए, दावा करते हुए कि पाकिस्तान को पहले सूचना देने से यह हुआ। उन्होंने जयशंकर की “चुप्पी” को “अपराध” बताया। विदेश मंत्रालय ने इसे “तथ्यों का गलत चित्रण” करार दिया, कहा कि पाकिस्तान को हमले शुरू होने के बाद सूचित किया गया। डीजीएमओ राजीव घई ने भी पुष्टि की कि सूचना हमले के बाद थी। बीजेपी ने पूछा कि राहुल पाकिस्तान के विमान नुकसान पर क्यों नहीं बोलते। कोई आधिकारिक डेटा विमान नुकसान की पुष्टि नहीं करता, जिससे राहुल का दावा विवादास्पद बन गया। कांग्रेस ने जयशंकर के एक बयान का वीडियो शेयर किया, जिसमें वे कहते हैं कि पाकिस्तान को “ऑपरेशन की शुरुआत में” सूचना दी गई। लेकिन MEA ने स्पष्ट किया कि यह “शुरुआती चरण के बाद” था। इस मुद्दे ने जनता में भ्रम पैदा किया, क्योंकि सैन्य ऑपरेशन्स की पारदर्शिता पर सवाल उठे। क्या राहुल का आरोप सही है, या यह सिर्फ सरकार को घेरने की रणनीति है?
कांग्रेस बनाम बीजेपी: कौन जीतेगा यह बहस?
इस विवाद ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच तीखी जंग को और गहरा कर दिया। कांग्रेस ने जयशंकर को “जयचंद” और सरकार को “मुखबिर” कहा, जबकि बीजेपी ने राहुल को “मीर जाफर” और “पाकिस्तान का समर्थक” करार दिया। कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार की विदेश नीति ने भारत की साख को नुकसान पहुंचाया, जबकि बीजेपी का दावा है कि राहुल भारतीय सेना के मनोबल को तोड़ रहे हैं। इस बहस में कुछ कांग्रेस नेता भी राहुल के रुख से असहज हैं, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे को संकीर्ण बना सकता है। X पर यह बहस #IndiaVSPak और #OperationSindoor जैसे हैशटैग्स के साथ ट्रेंड कर रही है। जनता के बीच भी राय बंटी है—कुछ राहुल के सवालों को जायज मानते हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक स्टंट कहते हैं। बीजेपी ने राहुल के बयानों को पाकिस्तानी मीडिया में इस्तेमाल होने का हवाला देकर उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया। क्या यह बहस भारत की राजनीति को नई दिशा देगी, या सिर्फ शोर बनकर रह जाएगी?
क्या कहती है जनता और क्या है भविष्य?
इस विवाद ने न सिर्फ राजनीतिक हलकों में, बल्कि आम जनता में भी बहस छेड़ दी। X पर लोग राहुल के “जेजे” कमेंट को मजेदार मान रहे हैं, लेकिन कई उनकी “मीर जाफर” आलोचना से नाराज हैं। कुछ का मानना है कि राहुल ने विदेश नीति पर जरूरी सवाल उठाए, खासकर ट्रम्प के मध्यस्थता दावे पर। लेकिन अन्य लोग कहते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर ऐसी बयानबाजी गलत है। विदेश मंत्रालय और बीजेपी ने राहुल के दावों को खारिज कर दिया, लेकिन विमान नुकसान जैसे मुद्दों पर पारदर्शिता की कमी ने भ्रम बढ़ाया। भविष्य में भारत की विदेश नीति और पाकिस्तान के साथ रिश्ते इस विवाद से प्रभावित हो सकते हैं। जयशंकर की नीदरलैंड्स यात्रा और वैश्विक समर्थन हासिल करने की कोशिश दिखाती है कि सरकार डैमेज कंट्रोल में जुटी है। राहुल के सवालों ने सरकार को जवाबदेही के लिए मजबूर किया, लेकिन क्या यह जनता का भरोसा जीत पाएगा? आप क्या सोचते हैं? कमेंट में बताएं और लेटेस्ट अपडेट्स के लिए [यहां क्लिक करें]