क्या आपने हाल ही में शर्मिष्ठा पनोली का नाम सुना है? यह नाम पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और न्यूज़ में छाया हुआ है। 22 साल की यह लॉ स्टूडेंट और इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर गुरुग्राम से कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई, क्योंकि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और बॉलीवुड सितारों की चुप्पी पर एक विवादित वीडियो पोस्ट किया था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वीडियो में शर्मिष्ठा ने कुछ ऐसे कमेंट्स किए, जिन्हें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला और सांप्रदायिक माना गया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद #ArrestSharmistha ट्रेंड करने लगा, और उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा। लेकिन इस मामले में बॉलीवुड अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत ने उनका समर्थन किया, जिसने इस विवाद को और हवा दी। कंगना ने कहा कि शर्मिष्ठा ने अपनी गलती मानी और माफी मांग ली, फिर भी उन्हें परेशान करना ठीक नहीं। आइए, इस पूरी कहानी को समझते हैं कि शर्मिष्ठा कौन हैं, क्या था उनका वीडियो, और यह विवाद इतना बड़ा क्यों बन गया।
ऑपरेशन सिंदूर: विवाद की जड़ क्या थी?
ऑपरेशन सिंदूर अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले का जिम्मेदार भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को ठहराया। 7 मई को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर हमले किए, जिसमें ब्रह्मोस और स्कैल्प मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ। इस ऑपरेशन को देश में खूब सराहा गया, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग, खासकर शर्मिष्ठा पनोली, ने बॉलीवुड सितारों की चुप्पी पर सवाल उठाए। शर्मिष्ठा ने एक वीडियो में कथित तौर पर कुछ सांप्रदायिक टिप्पणियां कीं और बॉलीवुड सितारों, खासकर खान्स, पर ऑपरेशन सिंदूर पर चुप रहने का आरोप लगाया। न्यूज़18 और हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वीडियो में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कमेंट्स थे, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की। यह वीडियो इतना वायरल हुआ कि शर्मिष्ठा को भारी ट्रोलिंग और धमकियों का सामना करना पड़ा।
शर्मिष्ठा पनोली: एक लॉ स्टूडेंट और इन्फ्लुएंसर?
शर्मिष्ठा पनोली एक 22 साल की लॉ स्टूडेंट हैं, जो पुणे की सिम्बायोसिस लॉ स्कूल में BBA LLB (Hons.) की पढ़ाई कर रही हैं। वह मूल रूप से कोलकाता की रहने वाली हैं और सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। उनके इंस्टाग्राम पर 90,000 और X पर 85,000 फॉलोअर्स हैं। इंडियन एक्सप्रेस और लाइवमिंट की रिपोर्ट्स के मुताबिक, शर्मिष्ठा अपने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बेबाक राय रखने के लिए जानी जाती हैं। वह पहले भी पाकिस्तान और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर वीडियो बना चुकी हैं। लेकिन इस बार उनका वीडियो, जिसमें उन्होंने बॉलीवुड सितारों की चुप्पी और ऑपरेशन सिंदूर पर कमेंट्स किए, ने उन्हें मुश्किल में डाल दिया। वीडियो में कथित तौर पर इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां थीं, जिसके बाद AIMIM के प्रवक्ता वारिस पठान ने गृह मंत्री को टैग करके उनकी गिरफ्तारी की मांग की। शर्मिष्ठा ने वीडियो डिलीट कर माफी मांगी, लेकिन तब तक मामला कोर्ट तक पहुंच चुका था।
कंगना रनौत का समर्थन: क्यों उठाई रिहाई की मांग?
कंगना रनौत, जो एक अभिनेत्री और बीजेपी सांसद हैं, ने शर्मिष्ठा के समर्थन में अपनी आवाज़ उठाई। टाइम्स ऑफ इंडिया और न्यूज़18 की रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंगना ने इंस्टाग्राम स्टोरीज़ पर लिखा, “मैं मानती हूं कि शर्मिष्ठा ने कुछ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन आजकल ज्यादातर युवा ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने अपनी गलती के लिए माफी मांग ली, और यह काफी होना चाहिए। उन्हें और परेशान करने की जरूरत नहीं।” कंगना का यह बयान तब आया, जब शर्मिष्ठा को 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। कंगना का कहना था कि एक युवा लड़की को इतनी सजा देना ठीक नहीं। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर नई बहस छेड़ दी, जहां कुछ लोग उनके समर्थन में आए, तो कुछ ने उनकी आलोचना की। कंगना पहले भी कई विवादों में अपनी बेबाक राय के लिए जानी जाती हैं, और इस बार भी उन्होंने शर्मिष्ठा के पक्ष में बोलकर सुर्खियां बटोरीं।
कोलकाता पुलिस की कार्रवाई: कैसे हुई गिरफ्तारी?
शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। लाइवमिंट और हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, कोलकाता पुलिस ने 15 मई को गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी। इस FIR में उन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने, सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने, और शांति भंग करने जैसे आरोप लगाए गए। पुलिस ने कई बार शर्मिष्ठा और उनके परिवार को नोटिस भेजने की कोशिश की, लेकिन वे उपलब्ध नहीं थे। आखिरकार, कोलकाता पुलिस ने गुरुग्राम में उनके घर पर छापा मारा और शुक्रवार रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया। शनिवार को उन्हें कोलकाता के अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने उनके फोन और लैपटॉप को भी जब्त किया, ताकि यह जांच हो सके कि क्या उनके डिवाइस में और कोई आपत्तिजनक सामग्री है। इस कार्रवाई ने सोशल मीडिया पर #ReleaseSharmistha और #ArrestSharmistha जैसे हैशटैग्स को ट्रेंड करा दिया।
सोशल मीडिया पर हंगामा: #ArrestSharmistha और #ReleaseSharmistha
शर्मिष्ठा का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर तूफान मच गया। नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, #ArrestSharmistha हैशटैग X पर ट्रेंड करने लगा, क्योंकि कई यूज़र्स ने उनके कमेंट्स को धार्मिक भावनाओं के खिलाफ माना। दूसरी ओर, कुछ लोग उनके समर्थन में आए और #ReleaseSharmistha हैशटैग चलाने लगे। शर्मिष्ठा ने 15 मई को X पर एक माफी पोस्ट की, जिसमें उन्होंने लिखा, “मैं अपनी गलती के लिए बिना शर्त माफी मांगती हूं। मेरी भावनाएं व्यक्तिगत थीं और मैंने किसी को ठेस पहुंचाने का इरादा नहीं किया।” लेकिन उनकी माफी के बावजूद, कोलकाता पुलिस ने कार्रवाई की। कुछ यूज़र्स ने यह भी आरोप लगाया कि शर्मिष्ठा को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि उनके खिलाफ धमकियां देने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पूरे मामले ने सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी और सांप्रदायिक संवेदनशीलता पर एक नई बहस छेड़ दी।
ऑपरेशन सिंदूर और बॉलीवुड की चुप्पी: क्यों उठा सवाल?
शर्मिष्ठा के वीडियो का एक बड़ा हिस्सा बॉलीवुड सितारों, खासकर खान्स, की ऑपरेशन सिंदूर पर चुप्पी पर था। इंडिया फोरम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मिष्ठा ने अपने वीडियो में सवाल उठाया कि जब पूरा देश ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ कर रहा था, तब बॉलीवुड के बड़े सितारे क्यों चुप थे। यह सवाल कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने भी उठाया, जिसने इस विवाद को और भड़काया। कुछ लोगों का मानना था कि बॉलीवुड सितारों को इस तरह के राष्ट्रीय मुद्दों पर बोलना चाहिए, जबकि कुछ का कहना था कि उनकी चुप्पी का मतलब तटस्थ रहना हो सकता है। शर्मिष्ठा का वीडियो इस सवाल को सांप्रदायिक रंग देने की वजह से विवादों में आ गया। कई लोगों ने उनके कमेंट्स को गलत ठहराया, जबकि कुछ ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा माना। इसने न सिर्फ शर्मिष्ठा को मुश्किल में डाला, बल्कि बॉलीवुड की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
क्या है अभिव्यक्ति की आजादी का सवाल?
शर्मिष्ठा का मामला एक बार फिर अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाता है। न्यूज़एक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया पर यह बहस छेड़ दी कि क्या भारत में लोग अपनी राय खुलकर रख सकते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि शर्मिष्ठा ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई, इसलिए उनकी गिरफ्तारी जायज़ थी। लेकिन कंगना रनौत और पवन कल्याण जैसे सितारों का कहना है कि उनकी माफी को स्वीकार करना चाहिए था। पवन कल्याण ने भी शर्मिष्ठा का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी गलती मानी और वीडियो डिलीट कर दिया। इस मामले ने यह सवाल भी उठाया कि क्या सोशल मीडिया पर हर कमेंट को कानूनी नज़रिए से देखा जाना चाहिए। भारत जैसे देश में, जहां धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दे बहुत संवेदनशील हैं, अभिव्यक्ति की आजादी और जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: बीजेपी बनाम टीएमसी?
इस मामले ने न सिर्फ सोशल मीडिया, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचाई। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी नेता सुवendu अधिकारी ने शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी को टीएमसी की “तुष्टिकरण की राजनीति” का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि टीएमसी नेताओं के खिलाफ सांप्रदायिक टिप्पणियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, लेकिन शर्मिष्ठा को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। दूसरी ओर, कोलकाता पुलिस ने कहा कि उनकी कार्रवाई पूरी तरह कानूनी थी। द हिंदू की एक रिपोर्ट में बताया गया कि शर्मिष्ठा के खिलाफ भादंसं की धारा 196(1)(a), 299, 352, और 353(1)(c) के तहत मामला दर्ज किया गया, जो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने जैसे आरोपों से जुड़े हैं। इसने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया, जहां बीजेपी और टीएमसी के बीच पहले से ही तनाव है।
भविष्य में क्या? शर्मिष्ठा और सोशल मीडिया का सबक?
शर्मिष्ठा पनोली का मामला सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक बड़ा सबक है। फ्री प्रेस जर्नल और एडएक्सलाइव की रिपोर्ट्स के मुताबिक, शर्मिष्ठा को अपनी गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में यह कहते हुए देखा गया, “लोकतंत्र में इस तरह का उत्पीड़न ठीक नहीं।” उनके इस बयान ने कई लोगों का ध्यान खींचा। यह मामला बताता है कि सोशल मीडिया पर अपनी राय रखते समय सावधानी बरतना कितना जरूरी है, खासकर धार्मिक और सांप्रदायिक मुद्दों पर। शर्मिष्ठा ने भले ही माफी मांग ली हो, लेकिन उनकी गिरफ्तारी ने यह सवाल उठाया कि क्या भारत में इन्फ्लुएंसर्स को अपनी राय रखने की पूरी आजादी है। भविष्य में, इन्फ्लुएंसर्स को अपनी सामग्री को लेकर और जिम्मेदार होना होगा। साथ ही, सरकार और समाज को भी यह सोचना होगा कि अभिव्यक्ति की आजादी और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच कैसे संतुलन बनाया जाए।