12 मई 2025 को मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह ने एक कार्यक्रम में भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित बयान दिया, जिसने पूरे देश में हंगामा मचा दिया। शाह ने कुरैशी को “आतंकवादियों की बहन” कहकर ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले से जोड़ा। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इसे “खतरनाक और कैंसर जैसा” बयान बताते हुए 14 मई को FIR का आदेश दिया। कुरैशी, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया को जानकारी देती थीं, एक सम्मानित सैन्य अधिकारी हैं। शाह ने माफी मांगी, लेकिन कांग्रेस ने उनकी बर्खास्तगी की मांग की। आइए, आसान भाषा में इस विवाद की पूरी कहानी, कुरैशी की भूमिका, और कोर्ट के फैसले को समझें।
कर्नल सोफिया कुरैशी कौन हैं?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर में 1999 से सेवा दे रही हैं। 2016 में वे पहली महिला अधिकारी बनीं, जिन्होंने बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास का नेतृत्व किया। 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उन्होंने विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ मिलकर मीडिया को अपडेट्स दिए। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले (26 नागरिक मरे) के जवाब में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमला था। कुरैशी ने युद्ध में हिस्सा नहीं लिया, बल्कि देश को सेना की कार्रवाई की जानकारी दी। उनकी बहादुरी और समर्पण को सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में भी सराहा था।
विजय शाह ने क्या कहा?
12 मई को इंदौर के पास महू में एक कार्यक्रम में विजय शाह ने कहा, “जिन आतंकवादियों ने हमारी बहनों का सिंदूर छीना, पीएम मोदी ने उनकी ही समुदाय की बहन को भेजकर सबक सिखाया।” उन्होंने यह बात तीन बार दोहराई, जिसे कांग्रेस ने कुरैशी पर निशाना माना। शाह ने दावा किया कि वे पीएम मोदी और सेना की तारीफ कर रहे थे, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे “गटर की भाषा” और धार्मिक नफरत फैलाने वाला बताया। बयान का वीडियो वायरल हो गया, जिससे देशभर में गुस्सा भड़का।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का सख्त रुख?
14 मई को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए शाह के खिलाफ FIR का आदेश दिया। जस्टिस अतुल श्रीधरन और अनुराधा शुक्ला की बेंच ने कहा कि यह बयान “देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालता है” और धार्मिक समुदायों में नफरत पैदा कर सकता है। कोर्ट ने इसे भारतीय दंड संहिता (BNS) की धारा 152 (देश की संप्रभुता को खतरा) और 196 (धार्मिक वैमनस्य) के तहत अपराध माना। कोर्ट ने पुलिस की FIR को कमजोर बताते हुए 15 मई को कोर्ट-मॉनिटर्ड जांच का आदेश दिया। जस्टिस श्रीधरन ने कहा, “FIR में अपराध के तत्व नहीं हैं, इसे रद्द किया जा सकता है।”
विजय शाह की माफी: क्या थी सफाई?
विवाद बढ़ने पर शाह ने 13 मई को माफी मांगी। उन्होंने कहा, “मेरे बयान को गलत समझा गया। कुरैशी मेरी बहन से भी बड़ी हैं। अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची, तो मैं 10 बार माफी मांगता हूं।” शाह ने दावा किया कि उनका सैन्य परिवार है, और वे पहलगाम हमले से दुखी थे। उन्होंने कहा, “मैं देशभक्त हूं, मेरा इरादा कुरैशी का अपमान करना नहीं था।” हालांकि, कांग्रेस और जनता ने इसे नाकافی बताया। शाह ने सुप्रीम कोर्ट में FIR पर रोक की मांग की, लेकिन CJI बीआर गवई ने कहा, “मंत्री को जिम्मेदारी से बोलना चाहिए।”
कांग्रेस का हमला: बर्खास्तगी की मांग?
कांग्रेस ने शाह के बयान को “महिलाओं और सेना का अपमान” बताया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर लिखा, “BJP-RSS की मानसिकता हमेशा महिलाओं के खिलाफ रही। पहले पहलगाम में शहीद नौसेना अधिकारी की पत्नी को ट्रोल किया, फिर विदेश सचिव की बेटी को परेशान किया, और अब कुरैशी पर शर्मनाक टिप्पणी।” मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पाटनी ने CM मोहन यादव से शाह को बर्खास्त करने की मांग की। इंदौर में शाह का पुतला जलाया गया, और एक काउंसलर ने उनके चेहरे पर कालिख पोतने के लिए ₹51,000 का इनाम रखा।
BJP की डैमेज कंट्रोल: क्या होगा शाह का?
BJP ने शाह को चेतावनी दी और डैमेज कंट्रोल शुरू किया। मध्य प्रदेश BJP अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा, “कुरैशी देश की बेटी हैं, कोई उनका अपमान नहीं कर सकता।” पार्टी ने पूर्व MLA मनवेंद्र सिंह को कुरैशी के छतरपुर स्थित परिवार से मिलने भेजा, जहां उन्होंने उनकी बहादुरी की तारीफ की। CM मोहन यादव ने कहा, “हम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे।” हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, शाह की आदिवासी क्षेत्रों में पकड़ के कारण उनकी बर्खास्तगी मुश्किल है। BJP नेता मुक्तार अब्बास नकवी ने शाह को “बेवकूफ” कहा।
ऑपरेशन सिंदूर: क्यों थी कुरैशी की भूमिका अहम?
ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले के जवाब में शुरू हुआ, जिसमें पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। कुरैशी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए देश को सेना की कार्रवाई की जानकारी दी। उनकी मौजूदगी ने सरकार का संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत एकजुट है, चाहे कोई भी धर्म हो। कोर्ट ने कहा कि सेना “देश की आखिरी संस्थागत ताकत” है, और शाह का बयान इसे निशाना बनाता है। [ऑपरेशन सिंदूर] पढ़ें।
NCW और जनता की नाराजगी?
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की अध्यक्ष विजया रहटकर ने शाह के बयान को “अपमानजनक” बताया। उन्होंने कहा, “कुरैशी देश की बेटी हैं, उनकी सेवा का सम्मान करना चाहिए।” सोशल मीडिया पर पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने इसे “सांप्रदायिक और लैंगिक” टिप्पणी बताया। पूर्व CM उमा भारती ने भी शाह की बर्खास्तगी की मांग की। जनता ने X पर #SofiyaQureshi और #VijayShah हैशटैग के साथ गुस्सा जताया।
आगे क्या? कोर्ट और शाह का भविष्य?
15 मई को हाई कोर्ट ने FIR की कमजोरी पर नाराजगी जताई और कोर्ट-मॉनिटर्ड जांच का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने शाह को फटकार लगाई, लेकिन FIR पर रोक से इनकार किया। अगली सुनवाई 16 मई को होगी। शाह की बर्खास्तगी की संभावना कम है, लेकिन BJP पर दबाव बढ़ रहा है। कुरैशी के परिवार ने बयान से दूरी रखी, लेकिन उनकी बहादुरी की तारीफ हो रही है।
देशवासियों के लिए सबक: सेना का सम्मान करें?
यह विवाद हमें सिखाता है कि सेना और उसकी सेवा करने वालों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। कुरैशी जैसी महिला अधिकारी देश की शान हैं। नेताओं को जिम्मेदारी से बोलना चाहिए, खासकर संवेदनशील मुद्दों पर। क्या आप इस विवाद पर अपनी राय रखना चाहेंगे? कमेंट में शेयर करें, और ताजा अपडेट्स के लिए [यहां क्लिक करें]। [सेना सम्मान गाइड]