क्या आपने सुना कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में एक बड़ी चेतावनी दी है? लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा कि अगर अमेरिकी कोर्ट उनके टैरिफ लगाने के अधिकार को रोकते हैं, तो यह देश की “आर्थिक बर्बादी” का कारण बन सकता है। ट्रम्प का कहना है कि उनके टैरिफ प्लान, जिनमें सभी आयातों पर 10% और कुछ देशों, जैसे चीन और यूरोपीय यूनियन, पर भारी टैरिफ शामिल हैं, अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत करेंगे। लेकिन मैनहट्टन की कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने 28 मई 2025 को उनके “लिबरेशन डे” टैरिफ को असंवैधानिक करार देते हुए रोक लगा दी। कोर्ट का कहना था कि टैरिफ लगाने का अधिकार सिर्फ कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास। ट्रम्प ने इस फैसले को “राजनीतिक” बताया और उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट इसे पलट देगा। इस बीच, यूरोपीय यूनियन और चीन जैसे देशों ने जवाबी टैरिफ की धमकी दी है, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका बढ़ गई है। आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं कि ट्रम्प के टैरिफ क्या हैं, और यह अमेरिका और दुनिया के लिए क्या मायने रखते हैं।
ट्रम्प का टैरिफ प्लान: क्या है “लिबरेशन डे”?
ट्रम्प का “लिबरेशन डे” टैरिफ प्लान अप्रैल 2025 में शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने सभी आयातों पर 10% बेसलाइन टैरिफ और चीन, भारत, जापान जैसे देशों पर 30% तक के भारी टैरिफ की घोषणा की। लाइवमिंट और बिजनेस टुडे की रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रम्प का मकसद अमेरिकी अर्थव्यवस्था को “विदेशी आर्थिक आक्रमण” से बचाना और स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना था। उन्होंने दावा किया कि ये टैरिफ अमेरिका को “महान बनाने” में मदद करेंगे। लेकिन मैनहट्टन की कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने 28 मई को इस प्लान को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि ट्रम्प ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकॉनमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का दुरुपयोग किया। कोर्ट का कहना था कि राष्ट्रपति बिना कांग्रेस की मंजूरी के ऐसे व्यापक टैरिफ नहीं लगा सकते। इसके जवाब में, फेडरल सर्किट कोर्ट ने 29 मई को टैरिफ पर अस्थायी रोक हटा दी, जिससे मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। ट्रम्प ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा, “अगर कोर्ट हमारे खिलाफ फैसला देता है, तो विदेशी देश हमें आर्थिक बंधक बनाएंगे।” इसने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी, क्योंकि यूरोप और चीन जैसे देश जवाबी कार्रवाई की योजना बना रहे हैं।
कोर्ट का फैसला: ट्रम्प की शक्तियों पर सवाल?
मैनहट्टन की कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने 28 मई को ट्रम्प के टैरिफ को असंवैधानिक क्यों ठहराया? लाइवमिंट और फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि अमेरिकी संविधान के तहत अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार सिर्फ कांग्रेस के पास है। ट्रम्प ने IEEPA का हवाला देकर टैरिफ लगाने की कोशिश की थी, जिसमें राष्ट्रपति को आपातकाल में आर्थिक कदम उठाने की शक्ति दी गई है। लेकिन कोर्ट ने माना कि ये टैरिफ आपातकाल के लिए नहीं, बल्कि व्यापक व्यापार नीति के लिए थे, जो उनकी शक्तियों से बाहर था। इसके अगले दिन, फेडरल सर्किट कोर्ट ने इस रोक को अस्थायी रूप से हटा दिया, जिससे ट्रम्प को थोड़ी राहत मिली। X पर कई पोस्ट्स में इसे “ट्रम्प के लिए बड़ा झटका” बताया गया, लेकिन ट्रम्प ने इसे “राजनीतिक” फैसला करार दिया। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट उनके पक्ष में फैसला नहीं देता, तो अमेरिका को “ट्रिलियन्स डॉलर” का नुकसान होगा। इस कानूनी लड़ाई ने न सिर्फ अमेरिका, बल्कि भारत जैसे देशों में भी चर्चा छेड़ दी, जहां टैरिफ का असर निर्यात पर पड़ सकता है।
वैश्विक व्यापार युद्ध: यूरोप और चीन की प्रतिक्रिया?
ट्रम्प के टैरिफ ने वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ा दिया है। लाइवमिंट और बीबीसी की रिपोर्ट्स के अनुसार, यूरोपीय यूनियन ने ट्रम्प के 50% टैरिफ की धमकी का जवाब देते हुए 107 बिलियन डॉलर के अमेरिकी निर्यात पर जवाबी टैरिफ की योजना बनाई है। EU ने कहा कि ट्रम्प का कदम “वैश्विक व्यापार समझौतों को कमजोर करता है।” इसी तरह, चीन ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया कि ट्रम्प ने चीन पर 145% टैरिफ लगाने की बात कही थी, जिसे बाद में 30% तक कम कर दिया गया। लेकिन चीन ने कहा कि वह अमेरिकी टैरिफ दबाव में नहीं झुकेगा। मई 2025 में जेनेवा में हुए एक व्यापार समझौते में दोनों देशों ने टैरिफ कम करने पर सहमति जताई थी, लेकिन ट्रम्प ने हाल ही में इसे “पूरी तरह उल्लंघन” करने का आरोप लगाया। इस तनाव का असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि ट्रम्प ने भारत से बने iPhones पर 25% टैरिफ की धमकी दी है। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और निर्यात प्रभावित हो सकते हैं।
भारत पर असर: iPhone और निर्यात की चुनौती?
ट्रम्प के टैरिफ का भारत पर क्या असर होगा? लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प ने भारत में बने iPhones पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी है, यह कहते हुए कि Apple को अमेरिका में ही मैन्युफैक्चरिंग करनी चाहिए। कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने इस धमकी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है, यह कहते हुए कि Apple जैसे कंपनियों ने कैलिफोर्निया को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया है। भारत के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि Apple ने हाल ही में भारत में iPhone प्रोडक्शन बढ़ाया है। अगर टैरिफ लागू होते हैं, तो भारत का निर्यात प्रभावित हो सकता है, और iPhone की कीमतें बढ़ सकती हैं। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के सेंसेक्स और निफ्टी जैसे स्टॉक मार्केट्स ने कोर्ट के टैरिफ रोकने के फैसले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, क्योंकि इससे निर्यात पर दबाव कम हुआ। लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रम्प के पक्ष में फैसला देता है, तो भारत को अपनी व्यापार रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है।
उपभोक्ताओं पर बोझ: कीमतें बढ़ने की आशंका?
ट्रम्प के टैरिफ का असर आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ सकता है। लाइवमिंट और सीएनएन की रिपोर्ट्स के अनुसार, Adidas, Shein, Walmart, और Mattel जैसी कंपनियों ने कहा है कि टैरिफ की वजह से उन्हें अपनी कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी। उदाहरण के लिए, Shein का एक बाथिंग सूट, जो पहले 4.39 डॉलर में मिलता था, अब 8.39 डॉलर में बिकेगा, यानी 91% की बढ़ोतरी। याहू फाइनेंस ने बताया कि एक फेडरल रिजर्व अधिकारी ने चेतावनी दी है कि टैरिफ की वजह से कीमतों में तेजी से उछाल आ सकता है। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, और रोजमर्रा की चीजों के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। ट्रम्प ने Walmart जैसे रिटेलर्स से कहा कि वे टैरिफ की लागत खुद वहन करें, लेकिन Walmart ने जवाब दिया कि उनके पास ऐसा करने की सीमित क्षमता है। भारत में भी, अगर iPhone और अन्य आयातित सामानों पर टैरिफ बढ़ता है, तो कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर मध्यम वर्ग पर पड़ेगा। इसने उपभोक्ताओं और कंपनियों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
स्टॉक मार्केट की प्रतिक्रिया: राहत या अनिश्चितता?
ट्रम्प के टैरिफ पर कोर्ट की रोक ने वैश्विक स्टॉक मार्केट्स में राहत की लहर दौड़ाई। लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 28 मई को कोर्ट के फैसले के बाद S&P 500 फ्यूचर्स में 1.5% की उछाल आई, और अमेरिकी डॉलर ने येन और स्विस फ्रैंक के खिलाफ 0.7-0.8% की बढ़त हासिल की। भारत में भी, सेंसेक्स और निफ्टी ने सकारात्मक रुझान दिखाया, क्योंकि टैरिफ की अनिश्चितता कम हुई। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह राहत अस्थायी हो सकती है। लाइवमिंट में उद्धृत विश्लेषक प्रवीण तापसे ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रम्प के पक्ष में फैसला देता है, तो स्टॉक मार्केट्स में फिर से अस्थिरता आ सकती है। इसके अलावा, ट्रम्प के टैरिफ ने गोल्ड की कीमतों को भी प्रभावित किया है, क्योंकि निवेशक अनिश्चितता के बीच गोल्ड को सुरक्षित निवेश मानते हैं। लेकिन कोर्ट की रोक के बाद कुछ निवेशक गोल्ड से स्टॉक्स में शिफ्ट हो रहे हैं। यह स्थिति भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां वैश्विक व्यापार नीतियों का सीधा असर होता है।
ट्रम्प और चीन: व्यापार युद्ध की नई शुरुआत?
ट्रम्प और चीन के बीच तनाव फिर से बढ़ रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया और लाइवमिंट की रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रम्प ने 30 मई को चीन पर एक व्यापार समझौते को “पूरी तरह उल्लंघन” करने का आरोप लगाया। मई 2025 में जेनेवा में हुए एक समझौते में दोनों देशों ने टैरिफ 115% तक कम करने पर सहमति जताई थी, लेकिन ट्रम्प का कहना है कि चीन ने इस वादे को तोड़ा। उन्होंने कहा कि उनके टैरिफ ने चीन की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को कमजोर किया, जिसके परिणामस्वरूप चीन का PMI 16 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। ट्रम्प ने यह भी दावा किया कि उनके टैरिफ से अमेरिका को आर्थिक फायदा हुआ। लेकिन चीन ने जवाबी टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों की धमकी दी है। लाइवमिंट की एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि ट्रम्प जल्द ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात करेंगे, ताकि व्यापार तनाव को कम किया जा सके। इस तनाव का असर भारत जैसे देशों पर भी पड़ सकता है, जो दोनों देशों के साथ व्यापार करता है।
एलन मस्क और टैरिफ: एक तटस्थ रुख?
एलन मस्क, टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक, ने ट्रम्प के टैरिफ पर एक तटस्थ रुख अपनाया है। लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, मस्क ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि टैरिफ का उनकी कंपनियों पर “मामूली असर” पड़ता है। उन्होंने न तो ट्रम्प के टैरिफ की पूरी तरह तारीफ की, न ही उनकी आलोचना। मस्क ने यह भी कहा कि वह ट्रम्प प्रशासन के कुछ कदमों से सहमत हैं, लेकिन पूरी तरह समर्थन नहीं करते। मस्क का यह बयान तब आया, जब ट्रम्प ने उनसे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने व्यापार और टैरिफ पर चर्चा की। मस्क की तटस्थता इस बात का संकेत है कि टैरिफ का असर टेक इंडस्ट्री पर भी पड़ रहा है, लेकिन यह उतना गंभीर नहीं है जितना रिटेल या मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर। भारत में टेस्ला की योजनाओं को देखते हुए, मस्क का यह रुख भारतीय निवेशकों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि टैरिफ भारत में टेस्ला की मैन्युफैक्चरिंग योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।
भविष्य की राह: टैरिफ और वैश्विक अर्थव्यवस्था?
ट्रम्प के टैरिफ और कोर्ट की रोक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता पैदा कर दी है। लाइवमिंट और बीबीसी की रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रम्प के टैरिफ का असर न सिर्फ अमेरिका, बल्कि भारत, चीन, और यूरोपीय यूनियन जैसे देशों पर भी पड़ रहा है। अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रम्प के पक्ष में फैसला देता है, तो वैश्विक व्यापार युद्ध और गहरा सकता है। लेकिन अगर कोर्ट की रोक बरकरार रहती है, तो अमेरिका को अपनी व्यापार नीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है। भारत के लिए यह एक मौका हो सकता है कि वह अपनी निर्यात रणनीति को मजबूत करे और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अपनी जगह बनाए। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को ड्रोन और AI जैसी नई तकनीकों में निवेश बढ़ाना चाहिए, ताकि वह वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धी बना रहे। ट्रम्प का यह टैरिफ ड्रामा न सिर्फ आर्थिक, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होता है और इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है।