भारत-पाक सीजफायर: विक्रम मिसरी को ट्रोलिंग का शिकार क्यों बनाया गया? ओवैसी बोले, “इन्हें दोषी नहीं ठहराना चाहिए?

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Foreign Secretary Vikram Misri's

11 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी को सोशल मीडिया पर भद्दी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मिसरी का बचाव करते हुए कहा, “विक्रम मिसरी एक ईमानदार और मेहनती डिप्लोमैट हैं, जो देश के लिए दिन-रात काम करते हैं। सिविल सर्वेंट्स को सरकार के फैसलों के लिए दोषी नहीं ठहराना चाहिए।” मिसरी ने ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर की ब्रीफिंग में अहम भूमिका निभाई, लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें “गद्दार” और “देशद्रोही” जैसे शब्दों से निशाना बनाया। उनकी बेटी डिडोन मिसरी को भी ट्रोल किया गया, जिसके बाद मिसरी ने अपना X अकाउंट लॉक कर दिया। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि यह विवाद क्यों हुआ, ऑपरेशन सिंदूर क्या है, और मिसरी को समर्थन क्यों मिल रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर: पहलगाम हमले का जवाब?

यह सब शुरू हुआ 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले से, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक शहीद हुए। इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली, जिसके तार लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैं। खुफिया जानकारी के मुताबिक, यह साजिश पाकिस्तान में रची गई थी। हमले ने देश को गुस्से से भर दिया, और सरकार ने कड़ी कार्रवाई का वादा किया।

7 मई की रात 1:05 से 1:30 बजे के बीच भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पाकिस्तान के बहावलपुर, मुरिदके, और PoK के मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इस ऑपरेशन में राफेल जेट्स और स्कैल्प मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ, और 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए। ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ पहलगाम की विधवाओं को श्रद्धांजलि था। विदेश सचिव विक्रम मिसरी, कर्नल सोफिया कुरैशी, और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने इसकी ब्रीफिंग दी, जिसे दुनिया भर में देखा गया। [ऑपरेशन सिंदूर की पूरी कहानी] पढ़ें।

ऑपरेशन सिंदूर

सीजफायर की घोषणा: क्यों उठा विवाद?

10 मई को विक्रम मिसरी ने ऐलान किया कि भारत और पाकिस्तान ने शाम 5 बजे से जमीन, समुद्र, और हवा में सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला किया है। यह सीजफायर अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ, और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसे “लंबी बातचीत का नतीजा” बताया। मिसरी ने बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ से दोपहर 3:35 बजे बात की, और दोनों पक्षों ने शांति का वादा किया।

लेकिन कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने सीजफायर तोड़ दिया। पुंछ और राजौरी में गोलाबारी हुई, जिसमें एक सैनिक और 12 नागरिक मारे गए। मिसरी ने रात को फिर ब्रीफिंग दी, जिसमें उन्होंने कहा, “हमारी सेना इन उल्लंघनों का जवाब दे रही है।” कुछ लोगों को सीजफायर की घोषणा पसंद नहीं आई, क्योंकि वे पहलगाम हमले के बाद और सख्त कार्रवाई चाहते थे। इस गुस्से का निशाना मिसरी बन गए। [भारत-पाक सीजफायर की जानकारी] पढ़ें।

विक्रम मिसरी की ट्रोलिंग: क्या हुआ?

सीजफायर की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर मिसरी और उनकी बेटी डिडोन मिसरी को भद्दे कमेंट्स का सामना करना पड़ा। कुछ यूजर्स ने मिसरी को “गद्दार,” “देशद्रोही,” और “शर्मनाक” जैसे शब्दों से निशाना बनाया। उनकी बेटी, जो लंदन में वकील हैं, को रोहिंग्या शरणार्थियों की मदद करने के लिए ट्रोल किया गया। मिसरी का फोन नंबर और परिवार की जानकारी भी लीक कर दी गई, जिसके बाद उन्होंने अपना X अकाउंट लॉक कर दिया।

यह ट्रोलिंग उन लोगों की नाराजगी से शुरू हुई, जो सीजफायर को कमजोरी मानते थे। लेकिन मिसरी सिर्फ सरकार के प्रवक्ता थे, जिन्होंने फैसला नहीं लिया। फिर भी, कुछ दक्षिणपंथी ट्रोल्स ने उन्हें निशाना बनाया, जिसे कई नेताओं ने “शर्मनाक” बताया।

Asaduddin Owaisi On Vikram Misri

ओवैसी का बचाव: मिसरी मेहनती डिप्लोमैट हैं?

असदुद्दीन ओवैसी ने X पर लिखा, “विक्रम मिसरी एक सभ्य, ईमानदार, और मेहनती डिप्लोमैट हैं, जो हमारे देश के लिए अथक काम करते हैं। सिविल सर्वेंट्स सरकार के निर्देश पर काम करते हैं, और उन्हें राजनीतिक फैसलों के लिए दोषी नहीं ठहराना चाहिए।” उनकी यह पोस्ट वायरल हो गई, और कई लोगों ने इसे सराहा। ओवैसी ने यह भी कहा कि मिसरी ने ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग में देश का गर्व बढ़ाया।

ओवैसी अकेले नहीं थे। कांग्रेस नेता सलमान अनीस सोज ने लिखा, “विक्रम मिसरी, जो कश्मीरी हैं, ने देश का मान बढ़ाया। ट्रोलिंग उनकी सेवा को कम नहीं कर सकती।” पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने NDTV से कहा, “मिसरी को निशाना बनाना बहुत दुखद है।” पूर्व राजनयिक नवदीप सूरी ने ट्रोलिंग को “घृणित” बताया और मिसरी की प्रोफेशनलिज्म की तारीफ की।

समर्थन की लहर: IAS और IPS भी साथ?

IAS और IPS एसोसिएशन ने भी मिसरी के समर्थन में बयान जारी किया। IAS एसोसिएशन ने कहा, “विक्रम मिसरी के खिलाफ व्यक्तिगत हमले निंदनीय हैं।” IPS एसोसिएशन ने इसे “घृणास्पद” बताया और मिसरी के परिवार को निशाना बनाने की निंदा की। डीएआरपीजी सचिव वी. श्रीनिवास ने कहा, “मिसरी देश के सबसे सम्मानित डिप्लोमैट्स में से एक हैं। मैं उनके साथ हूं।”

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, “पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष बढ़ाना भारत की प्राथमिकता नहीं है।” पूर्व राजनयिक निरुपमा मेनन राव ने भी मिसरी का बचाव किया। इन बयानों से साफ है कि मिसरी को नेताओं और अधिकारियों का भारी समर्थन मिल रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर ने भारत-पाक तनाव को नई ऊंचाई दी है। पाकिस्तान ने सीजफायर तोड़कर पुंछ, राजौरी, और कुपवाड़ा में गोलाबारी की, जिसमें स्कूल और रिहायशी इलाके निशाना बने। मिसरी ने बताया कि पुंछ के क्राइस्ट स्कूल के पास एक गोला गिरा, जिसमें दो छात्रों की जान गई।

भारत ने साफ किया कि वह शांति चाहता है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ सख्त रहेगा। सरकार ने कहा, “पाकिस्तान को अनिश्चितता को नया सामान्य मानना होगा। कश्मीर पर कोई बातचीत नहीं होगी।” दुनिया भर से शांति की अपील हो रही है, जिसमें G7 देश, रूस, और सऊदी अरब शामिल हैं।

ट्रोलिंग क्यों गलत है?

विक्रम मिसरी जैसे अधिकारी देश के लिए दिन-रात काम करते हैं। वे सरकार के निर्देश पर ब्रीफिंग देते हैं, न कि अपने फैसले लेते हैं। उन्हें और उनके परिवार को ट्रोल करना न सिर्फ गलत है, बल्कि देश की एकता को कमजोर करता है। मिसरी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया को भारत की ताकत दिखाई, फिर भी कुछ लोग उनकी मेहनत को नहीं देखते।

आप क्या सोचते हैं? क्या सिविल सर्वेंट्स को ऐसे ट्रोल करना ठीक है? अपनी राय कमेंट में शेयर करें, और ताजा अपडेट्स के लिए [यहां क्लिक करें]। [ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी](#) और [पहलगाम हमले की कहानी] भी पढ़ें।

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